अव्ययीभाव समास (Avyayibhava Samas) – परिभाषा, सूत्र, उदाहरण और सम्पूर्ण व्याख्या | Avyayibhava Samas in Sanskrit Grammar

Sooraj Krishna Shastri
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अव्ययीभाव समास का सरल और विस्तृत वर्णन — परिभाषा, पाणिनि सूत्र, 16 प्रकार, उदाहरण और नपुंसकलिंग प्रयोग सहित सम्पूर्ण व्याख्या।

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अव्ययीभाव समास (Avyayibhava Samas) – परिभाषा, सूत्र, उदाहरण और सम्पूर्ण व्याख्या | Avyayibhava Samas in Sanskrit Grammar

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अव्ययीभाव समास (Avyayibhava Samas) – परिभाषा, सूत्र, उदाहरण और सम्पूर्ण व्याख्या | Avyayibhava Samas in Sanskrit Grammar



🌿 अव्ययीभाव समास (Avyayibhava Samas)


१. परिभाषा और स्वरूप (Definition and Nature)

अव्ययीभाव समास वह समास है जिसमें पूर्वपद (पहला पद) की प्रधानता होती है।

🔹 सूत्र (पाणिनि): प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावः
जहाँ प्रायः पूर्व पद का अर्थ प्रधान होता है।

🔹 परिणाम:
समास के बाद बना हुआ समस्त पद अव्यय (Indeclinable) बन जाता है तथा नपुंसकलिङ्ग एकवचन में प्रयोग होता है।

🔹 विग्रह:
इसका विग्रह लौकिक (सामान्य अर्थ में) और अलौकिक (व्याकरणिक दृष्टि से) दोनों प्रकार से किया जा सकता है।
प्रायः इसका पूर्वपद कोई अव्यय या उपसर्ग होता है।


२. मुख्य सूत्र (Governing Sutras)

अव्ययीभाव समास का विधान मुख्यतः पाणिनि की अष्टाध्यायी के निम्न सूत्रों द्वारा होता है।


(क) मुख्य विधान सूत्र

क्रम सूत्र अष्टाध्यायी संख्या अर्थ
अव्ययं विभक्ति-समीप-समृद्धि-व्यृद्धि-अर्थाभाव-अत्यय-असम्प्रति-शब्दप्रादुर्भाव-पश्चात्-यथा-आनुपूर्व्य-यौगपद्य-सादृश्य-सम्पत्ति-साकल्य-अन्त-वचनेषु २.१.६ अव्यय का सुबन्त (संज्ञा) पद के साथ १६ अर्थों में समास होता है।

🔸 अव्ययीभाव समास के १६ अर्थ

क्रम अर्थ (Meaning) प्रयुक्त अव्यय उदाहरण विग्रह
विभक्ति (In the sense of case) अधि अधिहरि हरौ इति (हरि में)
समीप (Nearness) उप उपगङ्गम् गङ्गायाः समीपम्
समृद्धि (Prosperity) सु सुमद्रम् मद्राणां समृद्धिः
व्यृद्धि (Absence of growth) दुर् दुर्यवनम् यवनानाम् ऋद्धेः अभावः
अभाव (Absence) निर् निर्मक्षिकम् मक्षिकाणाम् अभावः
अत्यय (Destruction) अति अतहिमम् हिमस्य अत्ययः
असम्प्रति (Impropriety) अति अतिनिद्रम् निद्रा सम्प्रति न युज्यते
शब्दप्रादुर्भाव (Appearance of sound) इति इतिहरि हरि शब्दस्य प्रकाशः
पश्चात् (Following) अनु अनुरथम् रथस्य पश्चात्
१० यथा (According to) यथा यथाशक्ति शक्तिम् अनतिक्रम्य
११ आनुपूर्व्य (Sequence) अनु अनुज्येष्ठम् ज्येष्ठस्य आनुपूर्व्येण
१२ यौगपद्य (Simultaneity) सचक्रम् चक्रेण सह
१३ सादृश्य (Similarity) सरि हरेः सादृश्यम्
१४ सम्पत्ति (Suitability) सक्षत्रम् क्षत्राणां सम्पत्तिः
१५ साकल्य (Entirety) स-तृणम् तृणम् अपि अपरित्यज्य
१६ अन्त (Limit/End) यावत् यावज्जीवम् यावत् जीवनम्

(ख) अन्य महत्वपूर्ण सूत्र

क्रम सूत्र अष्टाध्यायी संख्या अर्थ उदाहरण
अक्षशलाका-संख्या-परिणा २.१.१० पासे (अक्ष) या शलाका के साथ संख्यावाची शब्द का विपरीत अर्थ में समास होता है। एकविभक्ति (एक पास की जीत)
नदीभिः च २.१.२० संख्यावाची शब्द का नदीवाचक शब्दों के साथ समाहार (समूह) अर्थ में अव्ययीभाव समास होता है। पञ्चनदम् (पाँच नदियों का समूह)
द्वि-त्रि-चतुरः ५.४.१८ द्वि, त्रि, चतुर् आदि शब्दों के बाद ‘अच्’ से प्रारम्भ होने वाले शब्दों के साथ समासान्त ‘अ’ प्रत्यय लगता है। द्वियमुनम् (दो यमुनाओं का समूह)

३. समासोत्तर प्रक्रिया (Post-samāsa Transformation)

अव्ययीभाव समास बनने के बाद निम्न दो प्रमुख प्रक्रियाएँ होती हैं —

(१) सुप्-लुक् (विभक्ति-लोप)

समास बनने पर दोनों पदों के सुबन्त प्रत्यय लुप्त (लोप) हो जाते हैं।

(२) नपुंसकलिङ्गता एवं अव्ययत्व

🔹 सूत्र: अव्ययीभावश्च (२.४.१८)
समस्त पद को नपुंसकलिङ्ग माना जाता है।

🔹 सूत्र: अव्ययादाप्सुपः (२.४.८२)
अव्ययीभाव समास के पश्चात आने वाली विभक्तियाँ लुप्त हो जाती हैं, अतः वह अव्यय रूप धारण कर लेता है।

📘 उदाहरण:

उप + गङ्गा (ङस्) → उपगङ्ग → नपुंसकलिङ्ग → उपगङ्ग + अम् → उपगङ्गम्


४. संक्षिप्त सार (Summary Table)

विशेषता विवरण
प्रधान पद पूर्वपद (अव्यय/उपसर्ग)
समस्त पद का लिंग नपुंसक
समस्त पद की प्रकृति अव्यय
प्रयोग केवल एकवचन में
विग्रह लौकिक एवं अलौकिक दोनों
पाणिनि सूत्र २.१.६, २.१.१०, २.१.२०, ५.४.१८, २.४.१८, २.४.८२

५. उदाहरणावली (Examples Collection)

अव्ययीभाव समास विग्रह अर्थ
उपवनम् वनस्य समीपम् वन के पास
यथाशक्ति शक्तिम् अनतिक्रम्य अपनी शक्ति के अनुसार
सग्रामम् ग्रामम् सह ग्राम सहित
यावज्जीवम् यावत् जीवनम् जब तक जीवन है
निर्मलम् मलस्य अभावः मलरहित, शुद्ध


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