"वित्तं बंधुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी" यह संस्कृत नीति श्लोक जीवन के पाँच आदरणीय तत्वों — धन, संबंधी, आयु, कर्म और विद्या — की महत्ता को दर्शाता है।
इस श्लोक के अनुसार, इन सभी में सबसे श्रेष्ठ तत्व विद्या (ज्ञान) है, क्योंकि यह व्यक्ति को स्थायी सम्मान, विवेक और आत्मबल प्रदान करती है।
धन नष्ट हो सकता है, मित्र दूर जा सकते हैं, पर विद्या अमर रहती है।
इस विस्तृत विश्लेषण में दिया गया है —
👉 संस्कृत श्लोक सहित English Transliteration
👉 शुद्ध हिन्दी अनुवाद और शब्दार्थ
👉 व्याकरणात्मक विश्लेषण
👉 आधुनिक सन्दर्भ और नीति कथा
👉 प्रेरक निष्कर्ष — “धन से नहीं, विद्या से बनता है मनुष्य महान।”
यह लेख ज्ञान के महत्त्व को समझने वाले प्रत्येक विद्यार्थी, शिक्षक और अध्येता के लिए प्रेरणादायी है।
Vidya Is the Greatest Wealth | वित्तं बंधुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी श्लोकार्थ
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Vidya Is the Greatest Wealth | वित्तं बंधुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी श्लोकार्थ |
🕉️ 1. श्लोक
✍️ 2. English Transliteration
🌿 3. हिन्दी अनुवाद
🪷 4. शब्दार्थ
संस्कृत शब्द | अर्थ |
---|---|
वित्तम् | धन |
बन्धुः | संबंधी, मित्र |
वयः | आयु, युवावस्था |
कर्म | कार्य, आचरण |
विद्या | ज्ञान, शिक्षा |
भवति पञ्चमी | पाँचवाँ तत्व है |
एतानि मान्यस्थानानि | ये सभी आदरणीय स्थान हैं |
गरीयः | अधिक श्रेष्ठ |
यत् यत् उत्तरम् | जो जो आगे है |
📘 5. व्याकरणात्मक विश्लेषण
- वित्तम्, बन्धुः, वयः, कर्म, विद्या — पंचवचन रूप में सूचीबद्ध संज्ञाएँ।
- भवति पञ्चमी — “भू धातु” से लट् लकार, प्रथम पुरुष एकवचन (होती है)।
- एतानि — नपुंसकलिंग बहुवचन, सर्वनाम (ये सभी)।
- गरीयः — “गुरु” से तुलनात्मक रूप, (अधिक श्रेष्ठ)।
- उत्तरम् — “उत्तर” का विशेषण, जो बाद में आता है।
🌏 6. आधुनिक सन्दर्भ
शिक्षा ही वह दीपक है जो अज्ञान का अंधकार मिटाकर जीवन को प्रकाशित करती है।
🎭 7. संवादात्मक नीति कथा (Moral Story in Dialogue Form)
स्थान: तक्षशिला विश्वविद्यालय
🌺 8. निष्कर्ष (Conclusion)
“विद्या वह दिव्य संपत्ति है, जो न चोर छीन सकता है, न काल हर सकता है, न भाग्य बदल सकता है।”
🌸 नीति-सूत्र
“धन से नहीं, विद्या से बनता है मनुष्य महान।”“Knowledge is the only wealth that multiplies when shared.”