🌺 Sanskrit Niti Shlok in Hindi 🌺
यह लेख जीवन को श्रेष्ठ, संतुलित और सुखद बनाने वाले प्राचीन संस्कृत नीति श्लोकों का संग्रह है। इसमें सत्य, दान, क्षमा, धैर्य, विवेक, आरोग्य, संतोष, एवं सदाचार जैसे जीवन-मूल्यों पर आधारित नीति-सूत्र दिए गए हैं।
हर श्लोक के साथ उसका हिंदी अर्थ, भावार्थ, और आधुनिक जीवन में उपयोग बताया गया है।
यह संग्रह महाभारत, मनुस्मृति, नीतिशतक, एवं शास्त्रीय ग्रंथों से उद्धृत है — जो जीवन को दिशा देने वाले दिव्य विचारों का सार प्रस्तुत करता है।
पढ़ें ये श्लोक और जानें – सुख, सफलता और शांति के छः, अष्ट और दश सूत्र।
👉 नीति श्लोक – ज्ञान, आचरण और मोक्ष का संगम।
जीवनदर्शन के नीति श्लोक | Sanskrit Niti Shlok in Hindi – Moral Life Lessons
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जीवनदर्शन के नीति श्लोक | Sanskrit Niti Shlok in Hindi – Moral Life Lessons |
🌺 श्रीमद् नीतिसार — जीवन के अमृत सूत्र 🌺
🌸 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🌸
🌻 जीवन में सुख प्रदान करने वाले छह कारण
अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।वश्यश्च पुत्रोऽर्थकरी च विद्या षट् जीवलोकस्य सुखानि राजन्॥
🌾 मनुष्य के छह त्याज्य न होने योग्य गुण
षडेव तु गुणाः पुंसा न हातव्याः कदाचन।सत्यं दानमनालस्यमनसूया क्षमा धृतिः॥
🥀 धर्म-विवेक से वंचित दस व्यक्ति
दश धर्मं न जानन्ति धृतराष्ट्र निबोध तान्।मत्तः प्रमत्तः उन्मत्तः श्रान्तः क्रुद्धो बुभुक्षितः।त्वरमाणश्च लुब्धश्च भीतः कामी च ते दश॥
🌳 जीवन के छह सुखद स्तंभ
आरोग्यमानृण्यमविप्रवासः सद्भिर्मनुष्यैः सह संप्रयोगः।स्वप्रत्यया वृत्तिरभीतवासः षट् जीवलोकस्य सुखानि राजन्॥
🌷 सदा दुःखी रहने वाले छह प्रकार के लोग
ईर्ष्यी घृणी न संतुष्टः क्रोधनो नित्यशङ्कितः।परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदुःखिताः॥
☘️ मनुष्य को उज्ज्वल बनाने वाले आठ गुण
अष्टौ गुणाः पुरुषं दीपयन्ति प्रज्ञा च कौल्यं च दमः श्रुतं च।पराक्रमश्चाभुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥
🥀 सच्चे वीर के लक्षण
सुदुर्बलं नावजानाति कञ्चित् युक्तो रिपुं सेवते बुद्धिपूर्वम्।न विग्रहं रोचयते बलस्थैः काले च यो विक्रमते स धीरः॥
💐 संकट में धैर्यवान पुरुष का गौरव
प्राप्यापदं न व्यथते कदाचिदुद्योगमन्विच्छति चाप्रमत्तः।दुःखं च काले सहते महात्मा धुरन्धरस्तस्य जिताः सप्तनाः॥
🍂 सदैव सुखी रहने वाले का आचरण
अनर्थकं विप्रवासं गृहेभ्यः पापैः सन्धि परदाराभिमर्शम्।दम्भं स्तैन्य पैशुन्यं मद्यपानं न सेवते यश्च सुखी सदैव॥
🌼 सच्चे ज्ञानी की पहचान
न संरम्भेणारभते त्रिवर्गमाकारितः शंसति तत्त्वमेव।न मित्रार्थरोचयते विवादं नापुजितः कुप्यति चाप्यमूढः॥
🌲 त्याज्य छह प्रकार के लोग
षडिमान् पुरुषो जह्यात् भिन्नं नावमिवार्णवे।अप्रवक्तारं आचार्यं अनध्यायिनम् ऋत्विजम्।आरक्षितारं राजानं भार्यां चाऽप्रियवादिनीं।ग्रामकामं च गोपालं वनकामं च नापितम्॥
🌺 हरि स्मरण — जीवन का सार 🌺
बोल हरि बोल, हरि हरि बोल, केशव माधव गोविंद बोल।
जहाँ हरि नाम है, वहाँ सद्बुद्धि, शांति और सुख का वास है।जीवन की हर परिस्थिति में यह स्मरण ही सच्ची नीति और परम औषधि है।
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