संस्कृत व्याकरण: विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi) के नियम, प्रकार और 50 उदाहरणों सहित विस्तृत व्याख्या

Sooraj Krishna Shastri
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विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi) संस्कृत व्याकरण की एक प्रमुख सन्धि है जिसमें विसर्ग (ः) के स्थान पर विभिन्न परिवर्तन जैसे स्, श्, ष्, ओ, र् अथवा लोप होते हैं। इस लेख में विसर्ग सन्धि की परिभाषा, नियम, सूत्र, चारों मुख्य प्रकार — सत्व सन्धि, उत्व सन्धि, रत्व सन्धि तथा विसर्ग लोप सन्धि — को सरल भाषा में समझाया गया है। साथ ही 50 सटीक उदाहरणों की सारणी द्वारा विद्यार्थियों, अध्यापकों और प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के लिए यह अध्ययन अत्यंत उपयोगी बनाया गया है। यह सामग्री संस्कृत सन्धि विषय को पूर्णरूपेण समझने हेतु प्रमाणिक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करती है।

संस्कृत व्याकरण: विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi) के नियम, प्रकार और 50 उदाहरणों सहित विस्तृत व्याख्या

संस्कृत व्याकरण: विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi) के नियम, प्रकार और 50 उदाहरणों सहित विस्तृत व्याख्या
संस्कृत व्याकरण: विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi) के नियम, प्रकार और 50 उदाहरणों सहित विस्तृत व्याख्या

🌸 संस्कृत व्याकरण : विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi)

🔹 परिभाषा (Definition)

जब विसर्ग (ः) के बाद कोई स्वर या व्यंजन आता है और उस मेल से विसर्ग में विकार (परिवर्तन) होता है, तो उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं।


🔶 विसर्ग सन्धि के प्रमुख भेद (Main Types of Visarga Sandhi)

१. सत्व सन्धि (Satva Sandhi)

सूत्र: विसर्जनीयस्य सः

नियम:
यदि विसर्ग (ः) के बाद खर् प्रत्याहार (अर्थात् — वर्गों के १ले या २रे वर्ण तथा श्, ष्, स्) में से कोई वर्ण आता है, तो विसर्ग स् (सकार) में परिवर्तित हो जाता है।
यह सकार आगे आने वाले वर्ण के अनुसार बदलता है —

क्रम स्थिति परिणामी परिवर्तन उदाहरण
यदि स् के बाद च्, छ् आए श् (श्चुत्व) रामः + चिनोति → रामश्चिनोति
यदि स् के बाद ट्, ठ् आए ष् (ष्टुत्व) धनुः + टङ्कारः → धनुष्टङ्कारः
अन्य स्थितियों में स् यथावत् रहता है नमः + कारः → नमस्कारः

२. उत्व सन्धि (Utva Sandhi)

यह सन्धि दो चरणों में होती है —

(क) रुत्व (Rutva)

सूत्र: ससजुषो रुः
नियम:
यदि पद के अन्त में स् (सकार) या सजुष् का स् हो, तो वह रु (र् ध्वनि) में परिवर्तित हो जाता है।
👉 उदाहरण: रामस् → रामरु → रामः

(ख) उत्व (Utv)

सूत्र:

  1. अतो रोरप्लुतादप्लुते
  2. हशि च

नियम १ (अतो रोरप्लुतादप्लुते):
यदि विसर्ग से पहले और बाद दोनों ओर ह्रस्व अ हो, तो विसर्ग और पूर्ववर्ती ‘अ’ मिलकर हो जाते हैं तथा बाद वाले ‘अ’ के स्थान पर अवग्रह (ऽ) लग जाता है।
👉 उदाहरण:
शिवः + अर्च्यः → शिवरु + अर्च्यः → शिवोऽर्च्यः

नियम २ (हशि च):
यदि विसर्ग से पहले ह्रस्व अ हो और बाद में हश् प्रत्याहार (वर्गों के ३रे, ४थे, ५वें वर्ण या ह्, य्, व्, र्, ल्) में से कोई वर्ण आए, तो भी विसर्ग और अ मिलकर बन जाते हैं।
👉 उदाहरण:
मनः + हरः → मनरु + हरः → मनोहरः


३. विसर्ग लोप सन्धि (Visarga Lopa Sandhi)

(क) ‘आ’ के बाद विसर्ग लोप

नियम:
यदि विसर्ग से पहले हो और बाद में कोई स्वर या हश् प्रत्याहार हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है।
👉 उदाहरण:
रामाः + इति → रामा इति

(ख) अन्य विसर्ग लोप

सूत्र: एषोऽमसि
नियम:
यदि विसर्ग से पहले या सः, एषः जैसे शब्द हों और बाद में के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर या व्यंजन** आए, तो विसर्ग का लोप हो जाता है।
👉 उदाहरण:
एषः + पुरुषः → एष पुरुषः


४. रत्व सन्धि (Ratva Sandhi)

सूत्र: खरवसानयोर्विसर्जनीयः
(यह विसर्ग की प्राप्ति का सूत्र है, परन्तु विसर्ग के र् में बदलने हेतु रो रि सूत्र सहायक होता है।)

नियम:
यदि विसर्ग से पहले अ, आ के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर** हो और बाद में कोई स्वर या हश् प्रत्याहार हो, तो विसर्ग र् (रेफ) में बदल जाता है।

क्रम उदाहरण परिवर्तन
मुनिः + अयम् मुनिरयम्
गुरुः + जयति गुरुर्जयति

विशेष स्थिति (रो रि सूत्र):
यदि दो र् परस्पर आएँ, तो पहले वाला र् लुप्त हो जाता है और उससे पहले वाला ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है।
👉 उदाहरण:
पुनर् + रमते → पुना रमते


🌿 सारांश (Summary Table)

क्रम सन्धि का नाम सूत्र परिवर्तन का स्वरूप उदाहरण
सत्व सन्धि विसर्जनीयस्य सः विसर्ग → स्/श्/ष् रामश्चिनोति, धनुष्टङ्कारः
उत्व सन्धि ससजुषो रुः, अतो रोरप्लुतादप्लुते, हशि च विसर्ग → ओ शिवोऽर्च्यः, मनोहरः
विसर्ग लोप एषोऽमसि विसर्ग लोप एष पुरुषः
रत्व सन्धि खरवसानयोर्विसर्जनीयः विसर्ग → र् मुनिरयम्, गुरुर्जयति


📘 विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi) — ५० उदाहरणों की सारणी

क्र. सन्धि का भेद सन्धि विच्छेद (पूर्व + पर) सन्धि पद नियम / परिणाम
सत्व सन्धि (विसर्ग → स्, श्, ष्) सूत्र – विसर्जनीयस्य सः
1 सत्व (स्) नमः + कारः नमस्कारः विसर्ग → स्
2 सत्व (स्) कः + तरति कस्तरति विसर्ग → स्
3 सत्व (स्) रामः + त्रायते रामस्त्रायते विसर्ग → स्
4 सत्व (श्) रामः + चिनोति रामश्चिनोति स् → श् (श्चुत्व)
5 सत्व (श्) कः + चित् कश्चित् स् → श् (श्चुत्व)
6 सत्व (श्) हरिः + शेते हरिश्शेते स् → श् (श्चुत्व)
7 सत्व (श्) पुनः + च पुनश्च स् → श् (श्चुत्व)
8 सत्व (ष्) धनुः + टङ्कारः धनुष्टङ्कारः स् → ष् (ष्टुत्व)
9 सत्व (ष्) कः + टीकते कष्टीकते स् → ष् (ष्टुत्व)
10 सत्व (ष्) निः + ठुरः निष्ठुरः स् → ष् (ष्टुत्व)
11 सत्व (श्) तपः + चर्या तपश्चर्या विसर्ग → श्
उत्व सन्धि (विसर्ग → ओ / ओऽ) सूत्र – अतो रोरप्लुतादप्लुते / हशि च
12 उत्व (ओऽ) सः + अयम् सोऽयम् अ + विसर्ग + अ → ओऽ
13 उत्व (ओऽ) कः + अपि कोऽपि अ + विसर्ग + अ → ओऽ
14 उत्व (ओऽ) देवः + अयम् देवोऽयम् अ + विसर्ग + अ → ओऽ
15 उत्व (ओ) मनः + हरः मनोहरः अ + विसर्ग + हश् → ओ
16 उत्व (ओ) यशः + दानम् यशोदानम् अ + विसर्ग + हश् → ओ
17 उत्व (ओ) वयः + वृद्धः वयोवृद्धः अ + विसर्ग + हश् → ओ
18 उत्व (ओ) तापः + अग्निः तापोऽग्निः अ + विसर्ग + अ → ओऽ
19 उत्व (ओ) बालः + गच्छति बालो गच्छति अ + विसर्ग + ग → ओ
20 उत्व (ओ) शिष्यः + हसति शिष्यो हसति अ + विसर्ग + हश् → ओ
रत्व सन्धि (विसर्ग → र्) नियम – अ/आ भिन्न स्वर + विसर्ग + स्वर/हश्
21 रत्व मुनिः + अयम् मुनिरयम् इ + विसर्ग + अ → इर्अ
22 रत्व हरिः + आगच्छति हरिरागच्छति इ + विसर्ग + आ → इर्आ
23 रत्व गुरुः + वदति गुरुर्वदति उ + विसर्ग + व → उर्
24 रत्व वधूः + इयम् वधूरियम् ऊ + विसर्ग + इ → ऊर्
25 रत्व ज्योतिः + वेदः ज्योतिर्वेदः इ + विसर्ग + व → इर्
26 रत्व निः + धनः निर्धनः इ + विसर्ग + ध → इर्
27 रत्व दुः + जनः दुर्जनः उ + विसर्ग + ज → उर्
28 रत्व आशीः + वादः आशीर्वादः ई + विसर्ग + व → ईर्
रत्व (रो रि → दीर्घ) नियम – र् + र् → लोप + पूर्व स्वर दीर्घ
29 रो रि पुनर् + रमते पुना रमते र् + र् → ा
30 रो रि हरिर् + रम्यः हरी रम्यः र् + र् → ी
विसर्ग लोप सन्धि सूत्र – लोपः शाकल्यस्य / हलि सर्वेषाम्
31 लोप देवाः + गच्छन्ति देवा गच्छन्ति आ + हश् → लोप
32 लोप छात्राः + एते छात्रा एते आ + स्वर → लोप
33 लोप बालाः + यान्ति बाला यान्ति आ + हश् → लोप
34 लोप नरः + हसति नर हसति अ + हश् → लोप (कभी ओ संभव)
35 लोप सः + इच्छति स इच्छति स/एष के बाद स्वर → लोप
36 लोप एषः + विष्णुः एष विष्णुः स/एष के बाद व्यंजन → लोप
37 लोप ते + नराः ते नराः ए + व्यंजन → लोप
38 लोप त्वम् + असि त्वमसि म् लोप (विशेष)
अन्य उदाहरण
39 सत्व (श्) तपः + चर्या तपश्चर्या विसर्ग → श्
40 सत्व (ष्) चतुः + षष्टिः चतुष्षष्टिः विसर्ग → ष्
41 उत्व (ओ) पुरः + हितः पुरोहितः अ + विसर्ग + हश् → ओ
42 उत्व (ओ) तेजः + मयम् तेजोमयम् अ + विसर्ग + हश् → ओ
43 रत्व प्रातः + उत्थाय प्रातरुत्थाय अ ≠ आ → र्
44 रत्व चक्षुः + दुःखम् चक्षुर्दुःखम् उ + विसर्ग + हश् → उर्
45 लोप छात्रौ + गच्छतः छात्रौ गच्छतः ओ + व्यंजन → लोप
46 सत्व (स्) दुः + तरम् दुस्तरम् विसर्ग → स्
47 सत्व (श्) निः + छलः निश्छलः विसर्ग → श्
48 उत्व (ओ) रामः + जयति रामो जयति अ + विसर्ग + हश् → ओ
49 रत्व निः + आकारः निराकारः इ + विसर्ग + आ → इर्आ
50 लोप कृष्णाः + अत्र कृष्णा अत्र आ + स्वर → लोप

संस्कृत व्याकरण में विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi in Sanskrit) एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। विद्यार्थी जब Sanskrit Grammar for Beginners का अध्ययन करते हैं, तब वे विसर्ग सन्धि के प्रकार, उसके नियम (विसर्ग सन्धि नियम संस्कृत व्याकरण) और उसके उदाहरण (विसर्ग सन्धि उदाहरण सहित) को समझना चाहते हैं। इस विषय के अंतर्गत Hal Sandhi, Ach Sandhi और Visarga Sandhi Difference को जानना भी उपयोगी होता है। लेख में दी गई Visarga Sandhi Table (50 Examples) से सन्धि के विविध रूपों को सरलता से समझा जा सकता है। यह अध्ययन सामग्री Sanskrit Grammar Sandhi Rules के अंतर्गत आने वाले सभी नियमों को स्पष्ट करती है।

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