संस्कृत व्याकरण में वचन (Vacana) क्या है? एकवचन, द्विवचन और बहुवचन की परिभाषा, सारणी, उदाहरण, संज्ञा-रूप और धातु-रूप के साथ स्पष्ट व्याख्या।
Vacana in Sanskrit Grammar – वचन क्या है? (Ekavacana–Dvivacana–Bahuvacana Explained with Tables)
🟦 वचन (Vacana – Number)
संस्कृत व्याकरण की संख्यागत श्रेणी
🟦 १. वचन के प्रकार (Types of Vacana)
| वचन (Vacana) | संख्या (Count) | अर्थ (Meaning) | विशेषता (Feature) |
|---|---|---|---|
| एकवचन (Ekavacana) | 1 | एक वस्तु/व्यक्ति | Singular |
| द्विवचन (Dvivacana) | 2 | दो वस्तुएँ/व्यक्ति | केवल संस्कृत में विशिष्ट रूप से मिलता है |
| बहुवचन (Bahuvacana) | 3 या अधिक | तीन या अधिक | Plural |
📌 संस्कृत की विशिष्टता: द्विवचन (dual number) विश्व की बहुत कम भाषाओं में पाया जाता है—संस्कृत इसका अत्यंत व्यवस्थित उदाहरण है।
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| Vacana in Sanskrit Grammar – वचन क्या है? (Ekavacana–Dvivacana–Bahuvacana Explained with Tables) |
🟦 २. संज्ञा-रूपों (Nominal Declensions) में वचन
संज्ञाओं, सर्वनामों और विशेषणों के सभी रूप वचन के आधार पर बदलते हैं।
उदाहरण — ‘बालक’ (पुंल्लिङ्ग, अकारान्त)
✔ प्रथमा, द्वितीया और षष्ठी—तीन विभक्तियों के रूप
| विभक्ति | एकवचन (1) | द्विवचन (2) | बहुवचन (3+) |
|---|---|---|---|
| प्रथमा (Subject) | बालकः | बालकौ | बालकाः |
| द्वितीया (Object) | बालकम् | बालकौ | बालकान् |
| षष्ठी (Possessive) | बालकस्य | बालकयोः | बालकानाम् |
📝 ध्यान दें: द्विवचन में प्रथमा और द्वितीया के रूप समान होते हैं—यह संस्कृत की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
🟦 ३. धातु-रूपों (Verb Conjugations) में वचन
उदाहरण — धातु पठ् (paṭh) — लट् लकार (Present Tense)
| पुरुष / Person | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
|---|---|---|---|
| प्रथम पुरुष (He/They) | पठति | पठतः | पठन्ति |
| मध्यम पुरुष (You) | पठसि | पठथः | पठथ |
| उत्तम पुरुष (I/We) | पठामि | पठावः | पठामः |
📌 व्याख्या:
- पठति = “वह पढ़ता है”
- पठतः = “वे दोनों पढ़ते हैं”
- पठन्ति = “वे (तीन या अधिक) पढ़ते हैं”
🟦 ४. द्विवचन का विशेष महत्व (Uniqueness of Dual Number)
✔ उदाहरण
- एक घोड़ा → अश्वः (एकवचन)
- दो घोड़े → अश्वौ (द्विवचन)
- तीन या अधिक → अश्वाः (बहुवचन)
🟦 ५. वचन का प्रयोग किन-किन में होता है?
| श्रेणी | वचन बदलता है? | उदाहरण |
|---|---|---|
| संज्ञा | ✔ | रामः, रामौ, रामाः |
| सर्वनाम | ✔ | सः, तौ, ते |
| विशेषण | ✔ (संज्ञा के अनुरूप) | सुन्दरः, सुन्दरौ, सुन्दराः |
| क्रिया | ✔ (कर्ता के अनुसार) | गच्छति, गच्छतः, गच्छन्ति |
| अव्यय | ✖ | न, च, अपि आदि में परिवर्तन नहीं |
📘 नित्य / निश्चित वचन वाले शब्दों की सारणी
(Words with Permanent Number in Sanskrit)
🟦 १. नित्य एकवचन (Always Singular Words)
ये शब्द स्वभावतः एक ही वस्तु, अद्वितीय सत्ता, या अभौतिक/अगणनीय अर्थ व्यक्त करते हैं, इसलिए मात्र एकवचन में ही आते हैं।
| श्रेणी | उदाहरण | अर्थ |
|---|---|---|
| समष्टि/अभौतिक शब्द | जलम्, वायुः, अग्निः, आकाशम्, पृथिवी | पानी, वायु, अग्नि, आकाश, धरती |
| भाववाची शब्द | शौर्यम्, सौन्दर्यम्, दुःखम्, सुखम्, ज्ञानम् | साहस, सौन्दर्य, दुख, सुख, ज्ञान |
| अद्वितीय वस्तुएँ | सूर्यः, चन्द्रः, ब्रह्म | सूर्य, चन्द्र, ब्रह्म |
| सामूहिक शब्द | सेनान्यम्, जनसमूहः, वनम् | सेना, जनसमूह, वन |
| धातु/तत्त्व रूप शब्द | ओजः, तेजः, बलम्, स्त्रीमात्रम् | ओज, तेज, बल, स्त्रियों का समूह |
| शास्त्रीय/अपरिमेय | धैर्यम्, मैत्री, क्षमा, प्रज्ञा | धैर्य, मैत्री, क्षमा, बुद्धि |
| समय-सूचक शब्द | आज् (आज), शुक्रः (शुक्रवार), कालः | काल, दिन |
| देश-बोधक | काशी, अयोध्या, मथुरा (सामान्यतः) | नगर |
📌 विशेष: ये शब्द अर्थ की दृष्टि से गणनीय नहीं माने जाते, इसलिए द्विवचन/बहुवचन रूप सामान्यतः नहीं होते।
🟦 २. नित्य द्विवचन (Always Dual Words)
ये शब्द स्वभाव से ही “दो” की संख्या व्यक्त करते हैं—क्योंकि ये प्राकृतिक जोड़ों में पाए जाते हैं।
| शब्द | अर्थ |
|---|---|
| नयनौ | दोनों नेत्र |
| कर्णौ | दोनों कान |
| करौ | दोनों हाथ |
| चरणौ | दोनों पैर |
| जङ्घे | दोनों पिंडलियाँ |
| ऊरू | दोनों जाँघें |
| स्कन्धौ | दोनों कंधे |
| शृङ्गिणौ | पशु के दोनों सींग |
| पक्षिणौ (प्रायः पक्षौ) | दोनों पंख/दोनों ओर |
| ग्रीवौ | दो ग्रीवाएँ (दोहित प्रयोग) |
📌 ध्यान दें:
- स्थूल अर्थ में नयन, कर्ण, कर, पाद आदि के बहुवचन रूप होते हैं, पर शरीर के अवयव के रूप में ये नित्य द्विवचन माने जाते हैं, क्योंकि वे हमेशा “दो” ही होते हैं।
- संस्कृत शैली में “दोनों” को व्यक्त करने के लिए यही द्विवचन रूप प्रयोग में लाए जाते हैं।
🟦 ३. नित्य बहुवचन (Always Plural Words)
ये शब्द सदैव बहुवचन (plural) में ही आते हैं क्योंकि इनका अर्थ अनेक, समूह, या व्यापकता का होता है।
| श्रेणी | उदाहरण | अर्थ |
|---|---|---|
| समूह/जनसमुदाय | जनाः, देवाः, असुराः | लोग, देवता, असुर |
| ज्ञान-वर्ग | वेदाः (त्रयी), उपनिषदः (समूह) | वेद, उपनिषद |
| अनिवार्य बहुवचन | धान्यानि, वस्तूनि (बहुवचन में प्रचलित) | अनाज, वस्तुएँ |
| त्यौहार/कालसूचक | शरदाः (ऋतु), वर्षाणि (वर्ष), रात्रयः | ऋतुएँ, वर्ष, रात्रियाँ |
| सामूहिक क्रिया या अवस्थाएँ | प्रयत्नाः, उपक्रमाः, उपासनाः | प्रयत्न, उपक्रम |
| वस्तु-समूह | पाकाः, पत्राणि (पत्तियाँ), फलानि (फल) | पत्तियाँ, फल |
📌 कुछ शब्दों के एकवचन होते हैं, पर सामान्य प्रयोग बहुवचन में होता है—जैसे वेदाः।
📘 नित्य बहुवचन वाले ५० संस्कृत शब्द — एकीकृत सारणी
(Unified Table of 50 Nitya Bahuvacana Sanskrit Words)
| क्रम | लिङ्ग | प्रातिपदिक (Base Word) | अर्थ (Meaning) | प्रथमा बहुवचन रूप |
|---|---|---|---|---|
| 1 | पुं० | असु | प्राण, श्वास | असवः |
| 2 | पुं० | दार | पत्नी | दाराः |
| 3 | पुं० | सम्राज् | सम्राट् | सम्राजः |
| 4 | पुं० | तण्डुल | चावल | तण्डुलाः |
| 5 | पुं० | सिकत | रेत | सिकताः |
| 6 | पुं० | वर्ष | वर्षों का समूह | वर्षाः |
| 7 | पुं० | मद्विध | मेरे जैसे | मद्विधाः |
| 8 | पुं० | अक्षत | साबुत चावल | अक्षताः |
| 9 | पुं० | प्राण | जीवन शक्ति | प्राणाः |
| 10 | पुं० | पुत्र | पुत्रगण | पुत्राः |
| 11 | पुं० | वृद्ध | बड़े-बुजुर्ग | वृद्धाः |
| 12 | पुं० | बाल | बच्चे | बालाः |
| 13 | पुं० | मुनि | मुनिगण | मुनयः |
| 14 | पुं० | गृह | परिवार | गृहाः |
| 15 | पुं० | देव | देवगण | देवाः |
| 16 | पुं० | स्वर् | स्वर्ग | स्वराः |
| 17 | स्त्री० | अप् | जल | आपः |
| 18 | स्त्री० | वर्षा | वर्षा ऋतु | वर्षाः |
| 19 | स्त्री० | प्रावृष् | वर्षाकाल | प्रावृषः |
| 20 | स्त्री० | सुमना | पुष्प-समूह | सुमनसः |
| 21 | स्त्री० | अक्ष | आँखें | अक्षयः |
| 22 | स्त्री० | अङ्ग | शरीर के अंग | अङ्ग्यः |
| 23 | स्त्री० | समीप | निकटता | समीपाः |
| 24 | स्त्री० | प्रणय | प्रेम | प्रणयाः |
| 25 | स्त्री० | चेष्टित | क्रियाएँ | चेष्टिताः |
| 26 | स्त्री० | अधरा | निचला होंठ | अधराः |
| 27 | स्त्री० | वधू | वधुएँ | वध्वः |
| 28 | स्त्री० | देवी | देवियाँ | देव्यः |
| 29 | स्त्री० | नदी | नदियाँ | नद्यः |
| 30 | स्त्री० | लता | बेलें | लताः |
| 31 | नपुं० | सुख | सुखों का समूह | सुखानि |
| 32 | नपुं० | दुःख | दुःखों का समूह | दुःखानि |
| 33 | नपुं० | वर्ष | वर्ष (समय) | वर्षाणि |
| 34 | नपुं० | अन्न | भोजन प्रकार | अन्नानि |
| 35 | नपुं० | नेत्र | आँखें | नेत्राणि |
| 36 | नपुं० | उत्साह | उत्साह | उत्साहानि |
| 37 | नपुं० | कर्ण | कान | कर्णानि |
| 38 | नपुं० | अक्षत | चावल | अक्षतानि |
| 39 | नपुं० | वसन | वस्त्र | वसनानि |
| 40 | नपुं० | शिरस् | सिर | शिरांसि |
| 41 | नपुं० | दिश | दिशाएँ | दिशांसि |
| 42 | नपुं० | हृदय | हृदय, भाव | हृदयानि |
| 43 | नपुं० | ज्ञान | ज्ञान के प्रकार | ज्ञानानि |
| 44 | नपुं० | फल | फल | फलानि |
| 45 | नपुं० | शाक | सब्जियाँ | शाकानि |
| 46 | नपुं० | गृह | घर | गृहाणि |
| 47 | नपुं० | मुख | चेहरों के भाव | मुखानि |
| 48 | नपुं० | पाश | बन्धन | पाशानि |
| 49 | नपुं० | लोम | रोम, बाल | लोमानि |
| 50 | नपुं० | स्रोत् | जलस्रोत | स्रोतांसि |
सारांश (Summary)
| प्रकार | अर्थ | उदाहरण |
|---|---|---|
| नित्य एकवचन | अद्वितीय, अगणनीय, अमूर्त वस्तुएँ | जलम्, अग्निः, सूर्यः, ज्ञानम् |
| नित्य द्विवचन | प्राकृतिक जोड़े वाले अवयव | नेत्रौ, करौ, पादौ |
| नित्य बहुवचन | समूह, समुदाय, अनेक वस्तुएँ | वेदाः, देवाः, जनाः |
वचन (Vacana) के तीन प्रकार—एकवचन, द्विवचन, बहुवचन—की सरल परिभाषा, सारणी, उदाहरण, संज्ञा-रूप और धातु-रूप सहित पूर्ण व्याकरणिक विवरण। Sanskrit Grammar: वचन के तीन प्रकार (Ekavacana–Dvivacana–Bahuvacana) स्पष्ट तालिकाओं, शब्द-रूपों और धातु-रूपों के साथ विस्तार से समझें। Vacana in Sanskrit Grammar: Meaning, Types, Tables with Balaka forms, Paṭh verb forms, dual number, and complete examples.
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