संस्कृत श्लोक: "स्त्रियां तु रोचमानायां सर्वं तद्रोचते कुलम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

 

संस्कृत श्लोक: "स्त्रियां तु रोचमानायां सर्वं तद्रोचते कुलम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत श्लोक: "स्त्रियां तु रोचमानायां सर्वं तद्रोचते कुलम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

संस्कृत श्लोक: "स्त्रियां तु रोचमानायां सर्वं तद्रोचते कुलम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

श्लोक

स्त्रियां तु रोचमानायां सर्वं तद्रोचते कुलम्।
तस्यां त्वरोचमानायां सर्वमेव न रोचते॥


शब्दार्थ

  • स्त्रियां – स्त्री में, स्त्री के संबंध में (सप्तमी विभक्ति, बहुवचन)
  • तु – निश्चय ही, वास्तव में (निपात)
  • रोचमानायाम् – प्रसन्न रहने पर, प्रसन्नता में (सप्तमी विभक्ति, एकवचन, स्त्रीलिंग)
  • सर्वम् – संपूर्ण, सबकुछ (नपुंसकलिंग, एकवचन)
  • तद् – वह (नपुंसकलिंग, एकवचन)
  • रोचते – आनंदित होता है, प्रसन्न होता है (कर्तरि प्रयोग, लट् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन)
  • कुलम् – परिवार, वंश, समाज (नपुंसकलिंग, एकवचन)
  • तस्याम् – उस (स्त्री) में (सप्तमी विभक्ति, एकवचन)
  • त्व् – निश्चय ही, फिर (निपात)
  • अरोचमानायाम् – अप्रसन्न रहने पर, उदास होने पर (सप्तमी विभक्ति, एकवचन, स्त्रीलिंग)
  • सर्वम् – संपूर्ण, सबकुछ (नपुंसकलिंग, एकवचन)
  • एव – ही, निश्चय ही (निपात)
  • – नहीं (नकारार्थक अव्यय)
  • रोचते – आनंदित होता है, प्रसन्न होता है (कर्तरि प्रयोग, लट् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन)

व्याकरणिक विश्लेषण

  1. विभक्ति
    • "स्त्रियां", "रोचमानायां", "अरोचमानायां" – सप्तमी विभक्ति (अधिकरण कारक)
    • "कुलम्", "सर्वम्" – द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक)
  2. लकार – लट् (वर्तमान काल)
  3. धातु रूप
    • "रुच्" (रुचिरकरणे - प्रसन्नता देना) → रूप "रोचते" (कर्तरि प्रयोग, प्रथम पुरुष, एकवचन)
  4. संधि-विच्छेद
    • "तस्यां त्वरोचमानायां" → "तस्याम् तु अरोचमानायाम्"
    • "सर्वमेव" → "सर्वम् एव"

हिन्दी अनुवाद

जब स्त्री प्रसन्न रहती है, तो पूरा कुल (परिवार) प्रसन्न रहता है। परन्तु जब वह अप्रसन्न रहती है, तो संपूर्ण परिवार आनंद से वंचित हो जाता है।


आधुनिक संदर्भ

यह श्लोक स्त्री के महत्व को दर्शाता है। आज के समय में यह सिद्ध हो चुका है कि एक महिला का मानसिक और भावनात्मक संतुलन केवल उसके व्यक्तिगत जीवन को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि संपूर्ण परिवार और समाज पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि वह सुखी और संतुलित है, तो परिवार में सद्भाव बना रहता है, बच्चों का मानसिक विकास अच्छा होता है और पारिवारिक रिश्ते मधुर रहते हैं।

यदि हम इसे व्यापक दृष्टिकोण से देखें, तो यह सिद्धांत कार्यस्थल, समाज और राष्ट्र पर भी लागू होता है। जब महिलाएँ सम्मान, प्रेम, और समर्थन के साथ अपने कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ती हैं, तो समाज समृद्ध होता है।


निष्कर्ष

यह श्लोक केवल पारिवारिक संदर्भ में ही नहीं, बल्कि पूरे समाज और मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। यदि स्त्रियाँ प्रसन्न रहेंगी, तो उनका योगदान अधिक सकारात्मक होगा, जिससे परिवार, समाज और राष्ट्र की उन्नति होगी। अतः यह आवश्यक है कि हम महिलाओं का सम्मान करें, उन्हें प्रोत्साहित करें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें।

नारी शक्ति को नमन!
शुभकामनाएँ – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर!

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!