संस्कृत श्लोक: "कुशलेन कृतं कर्म कर्त्रा साधु विनिश्चितम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक: "कुशलेन कृतं कर्म कर्त्रा साधु विनिश्चितम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत श्लोक: "कुशलेन कृतं कर्म कर्त्रा साधु विनिश्चितम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद


संस्कृत श्लोक: "कुशलेन कृतं कर्म कर्त्रा साधु विनिश्चितम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

🌞 जय श्री राम! सुप्रभातम्!🌞
  प्रस्तुत श्लोक कार्य की गुणवत्ता और कर्ता की कुशलता के बीच के संबंध को गहराई से दर्शाता है। आइए इसे सभी पहलुओं से समझें:


श्लोक

कुशलेन कृतं कर्म कर्त्रा साधु विनिश्चितम् ।
इदं त्वकुशलेनेति विशेषादुपलभ्यते॥


शाब्दिक विश्लेषण

  • कुशलेन – कुशल व्यक्ति के द्वारा (तृतीया विभक्ति)
  • कृतं – किया हुआ (कृ धातु से कृत कृदन्त)
  • कर्म – कार्य
  • कर्त्रा – कर्ता के द्वारा
  • साधु – उत्तम / उत्कृष्ट
  • विनिश्चितम् – निश्चित किया गया है
  • इदं तु – यह कार्य (लेकिन)
  • अकुशलेन – अकुशल व्यक्ति द्वारा
  • इति – ऐसा
  • विशेषात् – विशेष रूप से / स्पष्ट रूप से
  • उपलभ्यते – जाना जाता है / अनुभव में आता है

हिंदी भावार्थ

जो कार्य एक कुशल व्यक्ति द्वारा किया गया होता है, उसकी उत्तमता से ही यह निश्चित हो जाता है कि वह कार्यकर्ता निपुण है। इसके विपरीत, यदि कार्य में स्पष्ट दोष या कमी दिखाई देती है, तो यह समझ लिया जाता है कि वह किसी अकुशल व्यक्ति का काम है।


व्याकरणिक दृष्टि

  • यह सिद्धान्तात्मक श्लोक है, जो कर्म-कर्तृ-गुण को परखने के तरीके को दर्शाता है।
  • तृतीया विभक्ति का सुंदर प्रयोग — कुशलेन, कर्त्रा, अकुशलेन
  • कृ धातु से “कृतं” (past participle form)
  • उपलभ्यतेलट् लकार, प्रथम पुरुष एकवचन, आत्मनेपदी क्रिया

भावात्मक दृष्टिकोण

  • कार्य व्यक्ति की पहचान बनता है।
  • यदि आप उत्तम, संतुलित, सजग और साफ-सुथरा काम करते हैं, तो वह स्वयं बोलता है।
  • वहीं, लापरवाही, अज्ञान या अयोग्यता से किया गया काम छिप नहीं सकता।

आधुनिक सन्दर्भ

  • यह श्लोक आज के पेशेवर आचरण, गुणवत्ता नियंत्रण (quality control), और प्रोजेक्ट मूल्यांकन में पूर्णतः लागू होता है।
  • किसी प्रस्तुति, रिपोर्ट, कला या शिल्प के माध्यम से भी कर्ता की दक्षता का अनुमान लगाया जा सकता है।
  • यह हमें यह सिखाता है कि— "काम ऐसा करो कि वह खुद बोले, 'यह किसी दक्ष व्यक्ति का है।'"

उपसंहार

यह श्लोक विद्यार्थियों, कलाकारों, व्यवसायियों, और किसी भी क्षेत्र में कार्यरत सभी लोगों को प्रेरित करता है कि— कर्म के माध्यम से अपनी पहचान बनाओ, क्योंकि वही तुम्हारी चुप भाषा होती है।

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