संस्कृत श्लोक: "वस्त्रेण वपुषा वाचा विद्यया विनयेन च" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक: "वस्त्रेण  वपुषा  वाचा  विद्यया विनयेन च" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत श्लोक: "वस्त्रेण वपुषा वाचा विद्यया विनयेन च" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

संस्कृत श्लोक: "वस्त्रेण  वपुषा  वाचा  विद्यया विनयेन च" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

जय श्री राम!
सुप्रभातम्।

यह श्लोक अत्यंत सुंदर जीवन-उपदेश देता है—
वस्त्रेण वपुषा वाचा विद्यया विनयेन च।
वकारैः पञ्चभिर्युक्तः नरो भवति पूजितः॥


हिन्दी अनुवाद (भाव सहित)

जो मनुष्य वस्त्र (उचित वेश-भूषा), वपु (स्वस्थ एवं आकर्षक शरीर), वाचा (मीठी और शिष्ट भाषा), विद्या (ज्ञान) और विनय (विनम्रता) — इन पाँच "व" से युक्त होता है, वह समाज में आदर प्राप्त करता है।


शाब्दिक विश्लेषण

  • वस्त्रेण – वस्त्र द्वारा (सुसंस्कृत, स्वच्छ वस्त्र)
  • वपुषा – शरीर के सौष्ठव और प्रस्तुतिकरण से
  • वाचा – वाणी की मधुरता, संयमित एवं प्रभावी भाषा
  • विद्यया – ज्ञान और समझ
  • विनयेन च – विनम्रता और व्यवहार में नम्रता
  • वकारैः पञ्चभिः युक्तः – इन पाँच वकार (वर्ण ‘व’ से शुरू होने वाले गुणों) से युक्त
  • नरः भवति पूजितः – वह मनुष्य पूजनीय, अर्थात् आदरणीय बनता है

व्याकरणिक विश्लेषण

  • वस्त्रेण, वपुषा, वाचा, विद्यया, विनयेन — पंचमी विभक्ति एकवचन, करण कारक (उपकरण द्वारा आदर प्राप्त होता है)
  • नरः — प्रथमा एकवचन
  • भवति — वर्तमानकाल, कर्तरी प्रयोग
  • पूजितः — क्तप्रत्ययांत पद (past participle), ‘पूज्’ धातु से

आधुनिक सन्दर्भ

आज के सामाजिक जीवन में यह श्लोक अत्यधिक प्रासंगिक है—

  • केवल अच्छा पहनावा ही नहीं, बल्कि एक संतुलित व्यक्तित्व, शालीन भाषा, प्रामाणिक ज्ञान और विनम्र स्वभाव— ये सभी गुण एक आदरणीय व्यक्ति का निर्माण करते हैं।
  • यदि किसी के पास विद्या है लेकिन विनय नहीं, तो वह अहंकारी समझा जाता है।
  • यदि वस्त्र उत्तम हैं, पर वाणी कटु है, तो व्यक्ति उपेक्षित होता है।

अर्थात् पूर्णता केवल ज्ञान या दिखावे में नहीं, बल्कि संतुलन और शिष्टता में है।

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