आंकड़ों का स्रोत, प्राप्ति और वर्गीकरण

Sooraj Krishna Shastri
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आंकड़ों का स्रोत, प्राप्ति और वर्गीकरण
आंकड़ों का स्रोत, प्राप्ति और वर्गीकरण

यह "आंकड़ों का स्रोत, प्राप्ति और वर्गीकरण" पर एक विस्तृत, संदर्भयुक्त और व्यवस्थित लेख, जो शैक्षिक, अनुसंधान और प्रशासनिक दृष्टिकोण से उपयोगी है:


आंकड़ों का स्रोत, प्राप्ति और वर्गीकरण: एक समग्र अध्ययन

(Sources, Collection, and Classification of Data)


1. भूमिका (Introduction):

आज के सूचना-प्रधान युग में आंकड़े (Data) केवल संख्या भर नहीं हैं, बल्कि नीति-निर्धारण, अनुसंधान, व्यवसाय, समाजशास्त्र, विज्ञान तथा मानविकी में निर्णयों की बुनियाद हैं। आंकड़ों के उपयुक्त स्रोतों की पहचान, सही विधियों से उनकी प्राप्ति तथा व्यवस्थित वर्गीकरण न केवल विश्लेषण को सरल बनाते हैं, बल्कि निष्कर्षों की गुणवत्ता भी बढ़ाते हैं।


2. आंकड़ों की परिभाषा (Definition of Data):

आंकड़े वे तथ्यों, संख्याओं अथवा वर्णात्मक सूचनाओं का समूह हैं, जो किसी विशिष्ट उद्देश्य हेतु संग्रहित किए जाते हैं।
उदाहरण:

  • “भारत की जनसंख्या 2021 में 139 करोड़ थी” – यह एक आंकड़ा है।
  • “कक्षा में 20 छात्र हैं, जिनमें से 12 लड़के हैं” – यह भी आंकड़ा है।

3. आंकड़ों के स्रोत (Sources of Data):

आंकड़ों को मुख्यतः दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:

(A) प्राथमिक स्रोत (Primary Sources):

वे स्रोत जिनसे आंकड़े प्रत्यक्ष रूप से पहली बार एकत्र किए जाते हैं।

विशेषताएँ:

  • मौलिक (Original) होते हैं
  • उद्देश्य विशेष हेतु एकत्र किए जाते हैं
  • समय-ग्रहणशील व खर्चीले हो सकते हैं

उदाहरण:

  • सरकारी जनगणना
  • सर्वेक्षण
  • साक्षात्कार
  • क्षेत्रीय निरीक्षण
  • वैज्ञानिक प्रयोग

(B) माध्यमिक स्रोत (Secondary Sources):

वे आंकड़े जो पहले से किसी अन्य संस्था/व्यक्ति द्वारा एकत्रित किए गए हैं।

विशेषताएँ:

  • कम समय व लागत में उपलब्ध
  • विशिष्ट उद्देश्यों के लिए सीमित उपयुक्तता
  • विश्वसनीयता जाँचनीय होनी चाहिए

उदाहरण:

  • रिपोर्ट (सरकारी/गैर सरकारी)
  • पुस्तकें, जर्नल्स
  • इंटरनेट डेटाबेस (जैसे – World Bank, NSSO, NITI Aayog)
  • समाचार पत्र, वेबसाइट्स

4. आंकड़ों की प्राप्ति की विधियाँ (Methods of Data Collection):

(1) सर्वेक्षण विधि (Survey Method):

प्रश्नावली या इंटरव्यू के माध्यम से जनसमूह से जानकारी एकत्र करना।
उपयोग: जनगणना, सामाजिक अध्ययन, बाज़ार अनुसंधान

(2) प्रेक्षण विधि (Observation Method):

घटना को प्रत्यक्ष देखकर आंकड़े इकट्ठा करना।
उपयोग: व्यवहार अध्ययन, सामाजिक या मानव विज्ञान शोध

(3) साक्षात्कार विधि (Interview Method):

प्रश्नों के उत्तर व्यक्ति से बातचीत कर प्राप्त करना।
उपयोग: गहराई से सूचना प्राप्त करने हेतु

(4) प्रयोग विधि (Experimental Method):

नियंत्रित वातावरण में परीक्षण कर आंकड़े एकत्र करना।
उपयोग: वैज्ञानिक अनुसंधान, मनोवैज्ञानिक अध्ययन

(5) अभिलेखीय विधि (Documentary Method):

पुस्तकों, अभिलेखों, सरकारी रिपोर्टों से आंकड़े लेना।
उपयोग: इतिहास, प्रशासन, अर्थशास्त्र


5. आंकड़ों का वर्गीकरण (Classification of Data):

आंकड़ों को तार्किक समूहों में विभाजित करना वर्गीकरण कहलाता है। यह विश्लेषण को सरल, व्यवस्थित एवं उद्देश्यपरक बनाता है।

(A) प्रकृति के आधार पर:

(i) गुणात्मक आंकड़े (Qualitative Data):

गुणों या विशेषताओं से संबंधित होते हैं।
उदाहरण: जाति, धर्म, भाषा, रंग, मत

(ii) मात्रात्मक आंकड़े (Quantitative Data):

संख्यात्मक होते हैं, गणना योग्य होते हैं।
उदाहरण: उम्र, आय, जनसंख्या, तापमान


(B) मात्रात्मक आंकड़ों का उपवर्गीकरण:

(i) विविक्त आंकड़े (Discrete Data):

पूर्णांकों में आते हैं, जैसे – छात्र संख्या, वाहन संख्या।
विशेषता: दो मानों के बीच कोई मान संभव नहीं।

(ii) सातत्य आंकड़े (Continuous Data):

कोई भी मान ले सकते हैं, जैसे – वजन (62.3 किग्रा), ऊँचाई।
विशेषता: दो मानों के बीच अनगिनत संभावित मान होते हैं।


(C) स्रोत के आधार पर:

(i) प्राथमिक आंकड़े (Primary Data)

(ii) माध्यमिक आंकड़े (Secondary Data)

(जैसा कि पूर्व में वर्णित)


(D) समय के आधार पर:

(i) कालिक आंकड़े (Time Series Data):

समय के अनुसार एकत्र आंकड़े – जैसे प्रति वर्ष जनसंख्या वृद्धि।

(ii) अकालिक आंकड़े (Cross-sectional Data):

एक विशेष समय पर विभिन्न वस्तुओं का तुलनात्मक आंकड़ा।


(E) उपयोगिता के आधार पर:

(i) वर्णनात्मक आंकड़े (Descriptive Data):

स्थिति का वर्णन करने के लिए

(ii) विश्लेषणात्मक आंकड़े (Analytical Data):

कारणों और प्रभावों का अध्ययन करने के लिए


6. आंकड़ों की उपयोगिता (Utility of Data):

  • नीति-निर्माण में सहायक (सरकारी योजनाओं का निर्माण)
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रयोग
  • शैक्षणिक एवं व्यावसायिक अनुसंधान में मूलभूत
  • समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र जैसे विषयों में अनिवार्य
  • रुझानों एवं पैटर्न की पहचान हेतु उपयोगी
  • उद्यम, उद्योग एवं प्रशासन में निर्णय लेने का आधार

7. निष्कर्ष (Conclusion):

आंकड़े किसी समाज की सोच, प्रवृत्ति, प्रगति और संभावनाओं के दर्पण हैं। इनके स्रोतों की प्रामाणिकता, प्राप्ति की विधियों की वैज्ञानिकता और वर्गीकरण की सूक्ष्मता ही आंकड़ों को विश्लेषण के योग्य बनाती है। आज के समय में आंकड़ों का सटीक उपयोग राष्ट्र, समाज और संगठन की दिशा तय करता है।

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