DEFENSE: भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहभागिता की दिशा में निर्णायक कदम

Sooraj Krishna Shastri
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DEFENSE: भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहभागिता की दिशा में निर्णायक कदम
DEFENSE: भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहभागिता की दिशा में निर्णायक कदम

DEFENSE: भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहभागिता की दिशा में निर्णायक कदम

भूमिका

21वीं सदी में वैश्विक शक्ति-संतुलन तेजी से परिवर्तित हो रहा है। पारंपरिक युद्धों की अवधारणा बदल रही है और तकनीक-आधारित लड़ाइयों का युग प्रारंभ हो चुका है। ऐसे समय में भारत ने एक नहीं, बल्कि कई मोर्चों पर एक साथ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं – स्वदेशी स्मार्ट बम ‘गौरव’, उच्च शक्ति लेज़र हथियार प्रणाली, और अमेरिका व घाना के साथ संयुक्त त्रिसेनिक अभ्यास ‘टाइगर ट्राय 2025’। ये तीनों घटनाएँ न केवल सैन्य बल को सुदृढ़ करती हैं, बल्कि भारत की रणनीतिक दूरदर्शिता, आत्मनिर्भरता की नीति और वैश्विक सैन्य-सहयोग की परिपक्वता को भी दर्शाती हैं।


1. 'गौरव' ग्लाइड बम – एक नई पीढ़ी का भारतीय स्मार्ट बम

(क) विशेषताएँ:

  • वजन: 1000 किलोग्राम
  • रेंज: 100 किलोमीटर से अधिक
  • नेविगेशन प्रणाली: हाइब्रिड (INS + GPS)
  • डिज़ाइन: कम ड्रैग, फोल्डेबल विंग्स
  • क्लास: स्टैंड-ऑफ प्रिसीजन बम

(ख) सामरिक महत्व:

  • टारगेट पर सटीक वार: यह बम बिना लक्ष्य क्षेत्र में प्रवेश किए दुश्मन के अंदरूनी ठिकानों को भेदने में सक्षम है। इससे विमान खतरे से दूर रह सकते हैं।
  • स्वदेशी उत्पादन: अमेरिका के JDAM और रूस के KAB बमों की तर्ज पर भारत ने पूर्णतः स्वदेशी तकनीक से इसे विकसित किया, जो आयात निर्भरता को कम करता है।
  • वायुसेना की मारक क्षमता में वृद्धि: कम विमानों से अधिक लक्ष्य साधना संभव होगा।

(ग) तकनीकी दृष्टि से उपलब्धि:

DRDO ने 'गौरव' को अत्यंत परिशुद्धता से डिज़ाइन किया है, जिससे यह स्पूफिंग या जैमिंग के विरुद्ध भी सक्षम है। इसकी ‘लॉन्च एंड लीव’ क्षमता इसे आधुनिक युद्धों के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाती है।


2. टाइगर ट्राय 2025 – त्रिसेनिक वैश्विक सहयोग की झलक

(क) अभ्यास की रूपरेखा:

  • स्थान: भारत
  • अवधि: 22 से 30 अप्रैल 2025
  • सहयोगी देश: भारत, अमेरिका, घाना
  • सैन्य शाखाएँ: थल, वायु, और नौसेना – तीनों की संयुक्त भागीदारी

(ख) अभ्यास के उद्देश्य:

  • मानवीय सहायता और आपदा प्रतिक्रिया (HADR) क्षमता को सशक्त करना
  • इंटरऑपरेबिलिटी – विभिन्न देशों की सेनाओं के बीच तालमेल विकसित करना
  • साझा रणनीति निर्माण – बहुपक्षीय सैन्य कूटनीति का अभ्यास

(ग) रणनीतिक संदेश:

  • भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा साझेदार बन रहा है।
  • अफ्रीकी राष्ट्रों (जैसे घाना) के साथ सैन्य संबंधों को सुदृढ़ करना भारत की साउथ-साउथ कोऑपरेशन नीति को बल देता है।
  • अमेरिका के साथ निरंतर सैन्य अभ्यास भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाई देता है।

3. डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) – भविष्य के युद्धों की तैयारी

(क) क्या है डायरेक्टेड एनर्जी वेपन?

यह एक ऐसा लेज़र हथियार है जो उच्च शक्ति प्रकाश किरणों के माध्यम से ड्रोन, मिसाइल या विमानों को निष्क्रिय करता है। इसमें गोला-बारूद की आवश्यकता नहीं होती – केवल ऊर्जा।

(ख) भारत का प्रयास:

  • DRDO ने सफलतापूर्वक 100 किलोवॉट लेज़र हथियार प्रणाली का परीक्षण किया है।
  • मंच: स्थलीय और वाहनों पर आधारित मॉडल विकसित किया जा रहा है।
  • परीक्षणों में यह प्रणाली ड्रोनों और हल्के हवाई लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट करने में सक्षम रही है।

(ग) वैश्विक संदर्भ:

  • अमेरिका (HELWS), रूस और चीन इस क्षेत्र में पहले से अग्रसर हैं।
  • भारत का प्रवेश इसे तकनीकी-सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करता है।
  • यह हथियार भारत की आत्मनिर्भर सुरक्षा तकनीक का प्रतीक बनकर उभरता है।

4. भारत की रक्षा रणनीति में समन्वय और दृष्टिकोण

(क) आत्मनिर्भर भारत रक्षा क्षेत्र में:

  • भारत 2024-25 तक रक्षा निर्यात को $5 बिलियन तक पहुँचाने का लक्ष्य रखता है।
  • HAL, BEL, DRDO जैसी संस्थाएँ अब केवल उत्पादक नहीं, निर्यातक भी बन रही हैं।

(ख) नवाचार और बहुपक्षीय सहयोग:

  • ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ का विचार केंद्र में है।
  • भारत-अमेरिका, भारत-अफ्रीका, और भारत-इंडो-पैसिफिक सुरक्षा सहयोग को इन परियोजनाओं से गति मिलती है।

निष्कर्ष

DRDO द्वारा विकसित गौरव ग्लाइड बम, डायरेक्टेड एनर्जी वेपन, और ‘टाइगर ट्राय 2025’ अभ्यास भारत की सैन्य रणनीति, कूटनीति और तकनीकी क्षमता के समन्वय का अद्भुत उदाहरण हैं। ये घटनाएँ दर्शाती हैं कि भारत अब केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं हो रहा, बल्कि तकनीकी रूप से उन्नत और वैश्विक स्तर पर विश्वसनीय भागीदार भी बन चुका है। ये कदम भविष्य में भारत को न केवल अपने सीमांत खतरों से निपटने में सक्षम बनाएँगे, बल्कि एक नवोन्मेषी, सक्रिय और निर्णायक वैश्विक शक्ति के रूप में भी स्थापित करेंगे।

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