आँकड़े और सुशासन (Data and Good Governance) – एक विस्तृत विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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आँकड़े और सुशासन (Data and Good Governance) – एक विस्तृत विश्लेषण, UGC NET/JRF,PAPER I,UNIT VII,POINT V, Bhagwat darshan sooraj krishna shastri
आँकड़े और सुशासन (Data and Good Governance) – एक विस्तृत विश्लेषण, UGC NET/JRF,PAPER I,UNIT VII,POINT V, Bhagwat darshan sooraj krishna shastri

 आँकड़े और सुशासन (Data and Good Governance) – एक विस्तृत विश्लेषण

भूमिका:

आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में "सुशासन" (Good Governance) को पारदर्शिता, जवाबदेही, प्रभावशीलता, सहभागिता और विधिसम्मत निर्णय प्रक्रिया जैसे मूल्यों का समुच्चय माना जाता है। वहीं, "आँकड़े" (Data) 21वीं सदी में शासन का सबसे प्रभावशाली उपकरण बन चुके हैं। किसी भी नीति की कल्पना, निर्माण, क्रियान्वयन और मूल्यांकन के हर चरण में आँकड़ों की केंद्रीय भूमिका होती है।


1. सुशासन की परिभाषा और उद्देश्य:

सुशासन का आशय है ऐसी शासन प्रणाली, जो नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुरूप, पारदर्शी, समावेशी, संवेदनशील और सतत हो। इसके मुख्य स्तंभ हैं:

  • पारदर्शिता (Transparency)
  • जवाबदेही (Accountability)
  • प्रभावशीलता (Effectiveness)
  • कानूनी शासन (Rule of Law)
  • सहभागिता (Participation)

2. आँकड़ों की भूमिका:

(क) नीति निर्माण में सहायता:

  • जनगणना, सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण आदि आँकड़ों से वास्तविक ज़मीनी समस्याओं की पहचान होती है।
  • जैसे – महिला शिक्षा में गिरावट या ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की असमानता।

(ख) सटीक लक्ष्यान्वेषण (Targeting):

  • गरीबी रेखा के नीचे (BPL) परिवारों की पहचान, कृषि सब्सिडी वितरण, पीएम-किसान जैसी योजनाओं का निष्पादन आँकड़ों पर आधारित होता है।

(ग) वास्तविक समय में निगरानी (Real-time Monitoring):

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे Aadhaar, Jan Dhan, DBT, e-Shram आदि के माध्यम से योजनाओं की निगरानी संभव है।

(घ) प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Evaluation):

  • विभिन्न राज्यों, जिलों, या विभागों की तुलनात्मक प्रगति आँकड़ों के माध्यम से आँकी जा सकती है (जैसे: NITI Aayog SDG India Index)।

3. डिजिटलीकरण और डेटा-आधारित प्रशासन:

(क) e-Governance:

  • RTI पोर्टल, UMANG, DigiLocker, BHIM जैसे एप नागरिकों को सेवाएं प्रदान करते हैं।

(ख) Big Data Analytics:

  • नीति निर्धारण में पूर्वानुमान और रुझानों की पहचान करने में सहायक।

(ग) AI व Machine Learning का उपयोग:

  • अपराध की भविष्यवाणी (Predictive Policing), कृषि सलाह, मौसम पूर्वानुमान आदि में सहायता।

4. सुशासन में आँकड़ों के उपयोग के उदाहरण:

क्षेत्र आँकड़ों का योगदान
स्वास्थ्य कोविड-19 Dashboard, टीकाकरण ट्रैकिंग, आरोग्य सेतु
शिक्षा UDISE+ डेटा, एनसीईआरटी लर्निंग आउटकम रिपोर्ट
कृषि किसान पोर्टल, पीएम-किसान योजना की लाभार्थी सूची
ग्राम विकास ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP), MIS डेटा

5. चुनौतियाँ:

  • डेटा की गुणवत्ता में अंतर (Incomplete/Outdated Data)
  • गोपनीयता और डेटा सुरक्षा का अभाव (Data Privacy Concerns)
  • साइबर खतरे
  • डिजिटल विभाजन (Digital Divide) – विशेषकर ग्रामीण भारत में

6. समाधान और सुधार:

  • डेटा संग्रहण की एकरूप प्रणाली का विकास
  • डेटा साक्षरता (Data Literacy) का प्रचार
  • नैतिक डेटा उपयोग की आचार संहिता बनाना
  • Open Data Initiatives – जैसे data.gov.in

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: आँकड़ों का प्रशासन में उपयोग

भारतीय शासन व्यवस्था में आँकड़ों के प्रयोग की परंपरा प्राचीन काल से रही है:

(क) प्राचीन भारत:

  • कौटिल्य का अर्थशास्त्र – इसमें जनसंख्या, कृषि उत्पादन, व्यापारिक आंकड़े, शासकीय लेखा आदि के नियमित संकलन और विश्लेषण की बात की गई है।
  • मौर्य काल में राजस्व, आपूर्ति, जनसांख्यिकी आदि के आंकड़े संकलित कर रणनीति बनाई जाती थी।

(ख) औपनिवेशिक काल:

  • ब्रिटिश शासन में 1872 में पहली बार जनगणना का आयोजन हुआ।
  • राजस्व संग्रह, भूमि रिकॉर्ड, रेलवे आँकड़े, स्वास्थ्य रजिस्टर, आदि व्यवस्थाएं डाटा के प्रयोग पर आधारित थीं।

2. सुशासन का गहराई से विश्लेषण:

सुशासन के 8 मूलभूत तत्व (UNDP द्वारा परिभाषित):

तत्व विवरण
सहभागिता (Participation) नागरिकों की भागीदारी, विशेषकर हाशिए पर स्थित वर्गों की।
कानून का शासन (Rule of Law) विधिक न्याय प्रणाली, समानता एवं मानवाधिकारों की रक्षा।
पारदर्शिता (Transparency) निर्णय प्रक्रिया स्पष्ट एवं जानने योग्य हो।
जवाबदेही (Accountability) सभी संस्थाएं – सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज – उत्तरदायी हों।
अनुक्रियाशीलता (Responsiveness) शासन नागरिकों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हो।
सर्वसम्मत अभिविन्यास (Consensus Orientation) भिन्न मतों के बीच संतुलन एवं संवाद।
समावेशिता (Inclusiveness) सभी को निर्णय प्रक्रिया में सम्मिलित करना।
प्रभावशीलता और कार्यकुशलता (Effectiveness and Efficiency) संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और समयबद्ध क्रियान्वयन।

इन सभी तत्वों के मूल्यांकन और अनुपालन में आँकड़ों की केंद्रीय भूमिका है।


3. आँकड़ों के विविध प्रकार:

प्रकार उदाहरण शासन में उपयोग
जनसांख्यिकीय आँकड़े जनगणना, Birth/Death rate नीतिगत आबादी योजना, संसाधन आवंटन
सामाजिक आँकड़े शिक्षा, लिंग अनुपात, कुपोषण SSA, POSHAN योजना, महिला सशक्तिकरण
आर्थिक आँकड़े GDP, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति बजट, आर्थिक नीति, रोज़गार योजनाएँ
पर्यावरणीय आँकड़े वायु गुणवत्ता, जल स्रोत पर्यावरण संरक्षण नीति
डिजिटल आँकड़े इंटरनेट उपयोग, डिजिटल भुगतान डिजिटलीकरण योजनाएं

4. आँकड़ों पर आधारित प्रमुख सरकारी पहलें:

पहल उद्देश्य
Digital India डेटा केंद्रित शासन व्यवस्था, नागरिक सेवाओं का डिजिटलीकरण
Aadhaar नागरिक पहचान और योजनाओं की दक्षता
Direct Benefit Transfer (DBT) पारदर्शी व भ्रष्टाचार-मुक्त वित्तीय सहायता
PM Gati Shakti बुनियादी ढाँचे की योजनाओं का आँकड़ा-सम्मिलन
Open Government Data Platform (data.gov.in) सभी के लिए आँकड़ों की पहुँच

5. आँकड़े और सामाजिक न्याय:

आँकड़े कैसे समाज के वंचित वर्गों को केंद्र में लाते हैं:

  • जातिगत जनगणना (Caste Census) से सामाजिक-आर्थिक विषमताओं की पहचान।
  • जनजातीय आँकड़े – वनाधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन।
  • लिंग आधारित आँकड़े – लिंग बजट (Gender Budgeting), बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

6. आँकड़ों के बिना क्या होता है?

  • योजनाएं अंधेरे में चलती हैं।
  • संसाधनों का दुरुपयोग होता है।
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
  • समानता और न्याय की अवधारणा कमजोर होती है।

7. वैश्विक परिप्रेक्ष्य:

(क) विश्व बैंक और OECD:

  • आँकड़ों को “New Oil” कहा गया है – राष्ट्र की समृद्धि का स्रोत।
  • डेटा-गवर्नेंस इंडेक्स के माध्यम से देशों की तुलना की जाती है।

(ख) संयुक्त राष्ट्र के SDGs (Sustainable Development Goals):

  • इन लक्ष्यों की प्रगति प्रतिवर्ष आँकड़ों के आधार पर मापी जाती है।
  • NITI Aayog का SDG India Index एक राष्ट्रीय उदाहरण है।

8. जोखिम और सावधानियाँ:

खतरा समाधान
डेटा गोपनीयता का हनन डेटा संरक्षण कानून, नागरिक की सहमति
गलत आँकड़ों पर आधारित नीति वैधता जांच, सतत अपडेट
डिजिटल असमानता डिजिटल साक्षरता अभियान, ग्रामीण कनेक्टिविटी

9. भविष्य की दिशा:

  • डेटा लोकतंत्रीकरण: हर नागरिक तक आँकड़ों की पहुँच।
  • डेटा और AI आधारित प्रशासन: Smart Governance
  • Ethical AI Framework: मानव अधिकारों की रक्षा के साथ तकनीकी उपयोग।

निष्कर्ष:

आँकड़े न केवल शासन का दर्पण हैं, बल्कि एक मार्गदर्शक भी हैं। जब शासन आँकड़ों पर आधारित होता है, तब वह अधिक उत्तरदायीसटीक, और नागरिक-केंद्रित बनता है। सुशासन और आँकड़ों का समन्वय एक ऐसे लोकतंत्र का निर्माण करता है जहाँ योजनाएँ केवल बनाए नहीं जातीं, बल्कि वास्तविक रूप से जमीनी स्तर तक पहुँचती हैं।
"सुशासन" केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि क्रियात्मक सत्य है, जिसकी आत्मा आँकड़ों में बसती है।
जिस समाज में आँकड़े विश्वसनीय, सुलभ, और नैतिक रूप से उपयोग किए गए हों, वहाँ शासन जन-हितैषी, त्वरित और न्यायोचित बनता है। आँकड़े नीतियों को दृष्टि देते हैं, योजनाओं को दिशा देते हैं, और समाज को निष्पक्षता।

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