12 भावों के नाम, उनके कारकत्व और ग्रहाधारित दृष्टिकोण
"भावों के नाम, उनके कारकत्व और ग्रहाधारित दृष्टिकोण" से संबंधित अत्यंत महत्वपूर्ण सूत्र यहां प्रस्तुत किये गए हैं। यह विषय ज्योतिष शास्त्र के मूल आधार में आता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि प्रत्येक भाव का कोई एक विशिष्ट नाम है, उससे संबंधित विषय क्या हैं, और उन विषयों पर विचार किस ग्रह अथवा किस भाव से करना चाहिए।
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12 भावों के नाम, उनके कारकत्व और ग्रहाधारित दृष्टिकोण |
मैं इसे व्यवस्थित रूप में दो खण्डों में प्रस्तुत कर रहा हूँ:
🔷 १. लग्न से १२ भावों के नाम और कर्तव्य विषय
श्लोक –
तनुर्धनं च सहजो बन्धुपुत्रारयस्तथा।युवतीरन्ध्रधमाख्ये कर्मलाभव्ययाः क्रमात्॥ (37)
भाव संख्या | नाम | विषय (कर्तव्य) |
---|---|---|
1 (लग्न) | तनु | शरीर, आत्मा, स्वभाव |
2 | धन | वाणी, परिवार, धन |
3 | सहज | पराक्रम, भाइयों का सुख |
4 | बन्धु | माता, गृह, सुख |
5 | पुत्र | सन्तान, विद्या, बुद्धि |
6 | अरि | रोग, ऋण, शत्रु |
7 | युवती (दारा) | विवाह, पत्नी, साझेदारी |
8 | रन्ध्र | आयु, मृत्यु, गूढ़ विषय |
9 | धर्म | भाग्य, गुरु, धर्म |
10 | कर्म | कार्य, यश, राजकीय संबंध |
11 | लाभ | इच्छाएँ, लाभ, बड़े भाई |
12 | व्यय | व्यय, मोक्ष, हानि, विदेश |
🔷 २. ग्रह-विशिष्ट भाव दृष्टिकोण (कारक भाव विचार)
श्लोक –
नवमेऽपि पितुर्ज्ञानं सूर्याच्च नवमेष्थवा॥तुर्ये तनौ धने लाभे भाग्ये यच्चिन्तनं च तत्।चन्द्रात् तु तनौ लाभे भाग्ये तच्चिन्तयेद् ध्रुवम्॥ (40)
नीचे सारणी में दर्शाया गया है कि किन ग्रहों से किन भावों पर विचार करना चाहिए:
विचार का विषय | ग्रह | भाव (ग्रह से) | उद्देश्य / क्यों |
---|---|---|---|
पिता | सूर्य | नवम (9वाँ) | पिता, सम्मान, आत्मा |
स्वयं, धन, लाभ, भाग्य | चन्द्र | 1, 2, 9, 11 | मन, पोषण, ग्रहस्थ जीवन पर प्रभाव |
पराक्रम (साहस) | मंगल | तृतीय (3वाँ) | साहस, शौर्य, अनुज |
रोग, शत्रु, ऋण | बुध | षष्ठ (6वाँ) | विवेक, विश्लेषण, ऋण शमन |
पुत्र, विद्या, सन्तान | बृहस्पति | पंचम (5वाँ) | ज्ञान, संतान, आशीर्वाद |
पत्नी, विवाह | शुक्र | सप्तम (7वाँ) | दाम्पत्य सुख, सौंदर्य, वियोग या संगति |
मृत्यु, हानि | शनि | अष्टम (8वाँ), व्यय (12वाँ) | दीर्घायु, मृत्यु योग, मोक्ष, विलंब |
📝 विशेष टिप्पणी:
- यह सिद्धांत "चरभावविचार" या "कारकभाव विचार" कहलाता है।
- यह स्पष्ट करता है कि भाव और ग्रह दोनों से एक ही विषय के लिए विश्लेषण करना चाहिए, ताकि सटीक निष्कर्ष निकले।
- उदाहरण:👉 पिता का विचार केवल नवम भाव से नहीं, सूर्य से नवम भाव से भी करें।👉 पति/पत्नी का विचार सप्तम भाव से भी करें और शुक्र/मंगल से सप्तम भी।