संस्कृत श्लोक "इदमेव हि पाण्डित्यं चातुर्यमिदमेव हि" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
🌞 🙏 जय श्रीराम 🌹 सुप्रभातम् 🙏
आज का श्लोक बहुत ही व्यावहारिक, बुद्धिप्रद और हर गृहस्थ, राजनेता, विद्यार्थी, और साधक — सभी के लिए अत्यंत आवश्यक नीति-सूक्ति है। इसमें सच्ची बुद्धिमत्ता का एक अत्यंत सरल, किंतु शक्तिशाली मापदंड बताया गया है।
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संस्कृत श्लोक "इदमेव हि पाण्डित्यं चातुर्यमिदमेव हि" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण |
✨ श्लोक ✨
इदमेव हि पाण्डित्यं चातुर्यमिदमेव हि ।इदमेव सुबुद्धित्वमायादल्पतरो व्ययः ॥
idam eva hi pāṇḍityaṁ cāturyam idam eva hi ।idam eva subuddhitvam āyād alpataro vyayaḥ ॥
🔍 शब्दार्थ एवं व्याकरणीय विश्लेषण:
पद | अर्थ | व्याकरणिक टिप्पणी |
---|---|---|
इदमेव | यही | “इदम्” (यह) + एव (ही) |
हि | निश्चय ही / वास्तव में | अव्यय |
पाण्डित्यम् | विद्वत्ता | नपुंसक लिंग, एकवचन |
चातुर्यम् | चतुराई, चपलता | नपुंसक लिंग |
सुबुद्धित्वम् | उत्तम बुद्धिमत्ता | “सु” + “बुद्धि” + “त्व” |
आयात् | आय से | पंचमी विभक्ति |
अल्पतरः | अपेक्षाकृत कम | "अल्प" का तरप्-प्रत्यय |
व्ययः | खर्च | पुल्लिंग, एकवचन |
🪷 भावार्थ:
“सच्ची विद्वत्ता, चतुराई और उत्तम बुद्धिमत्ता यही है — कि मनुष्य का व्यय (खर्च) उसकी आय से कम हो।”
यह श्लोक संतुलन की नीति, संयम की समझ, और गृहस्थ जीवन की नींव के रूप में अद्भुत सूत्र प्रस्तुत करता है।
🌿 व्यावहारिक दृष्टांत: “व्यय नियंत्रक ही धनवान” 🌿
राजा विक्रमादित्य ने कभी कहा था —
“धन कमाने से बड़ा है, धन को रोक पाना।क्योंकि जो कमाता है, वह एक दिन थक सकता है —पर जो संयमित है, वह सदा संतुष्ट रहेगा।”
एक आम व्यक्ति लाखों कमा कर भी दरिद्र हो सकता है,
यदि वह आय से अधिक व्यय करता है।
वहीं, एक सादा जीवन जीने वाला संतोषी गृहस्थ भी धनवान होता है,
क्योंकि वह जानता है: "मेरा खर्च मेरी सीमा में है।"
🌟 शिक्षा / प्रेरणा:
- विद्वान वही नहीं जो ग्रंथ जानता है — बल्कि वह है जो व्यय की सीमा जानता है।
- संयम और विवेक ही सच्ची संपत्ति हैं।
- यदि आप प्रतिदिन ₹100 कमाते हैं, और ₹90 खर्च करते हैं — आप समृद्ध हैं।
- पर यदि आप ₹200 कमाते हैं और ₹250 खर्च करते हैं — आप कर्ज़ में हैं।
- अल्प व्यय, दीर्घ सुख।
🕯️ मनन योग्य पंक्ति:
"जो खर्च पर नियंत्रण नहीं रख सकता, वह अपनी किस्मत पर भी नियंत्रण नहीं रख सकता।"