संस्कृत श्लोक "नयस्य विनयो मूलं विनयः शास्त्रनिश्चयः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
🌞 🙏 जय श्रीराम 🌷 सुप्रभातम् 🙏
आज का प्रेरणादायक नीति-वाक्य:
✨ श्लोक ✨
नयस्य विनयो मूलं विनयः शास्त्रनिश्चयः ।विनयो हीन्द्रियजयः तद्युक्तः शास्त्रमृच्छति ॥
nayasya vinayo mūlaṁ vinayaḥ śāstraniścayaḥ ।vinayo hīndriyajayaḥ tadyuktaḥ śāstramṛcchati ॥
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संस्कृत श्लोक "नयस्य विनयो मूलं विनयः शास्त्रनिश्चयः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण |
📚 शब्दार्थ एवं व्याकरणीय विश्लेषण:
पद | अर्थ | व्याकरण |
---|---|---|
नयस्य | नीति (सदाचरण) का | षष्ठी विभक्ति, एकवचन |
विनयः | नम्रता | प्रथमा विभक्ति |
मूलं | मूल कारण | द्वितीया विभक्ति |
शास्त्रनिश्चयः | शास्त्रों का निर्णय | प्रथमा |
इन्द्रियजयः | इन्द्रियों पर विजय | प्रथमा |
तद्युक्तः | उससे युक्त (व्यक्ति) | प्रथमा |
शास्त्रम् ऋच्छति | शास्त्र को प्राप्त करता है | क्रिया रूप |
🌿 भावार्थ:
विनय (नम्रता) ही—
- नीति का मूल कारण है,
- शास्त्रों का मूल निर्णय है,
- इन्द्रियों पर विजय का साधन है।जो व्यक्ति इस विनय से युक्त होता है, वही शास्त्र को प्राप्त कर सकता है, अर्थात सच्चे ज्ञान का अधिकारी वही होता है।
🔍 तात्त्विक अर्थ:
🔹 नम्रता कोई कमजोरी नहीं,
बल्कि आत्मिक बल का लक्षण है।
🔹 जो व्यक्ति इन्द्रियों को वश में रखता है,
वह ही सत्य ज्ञान का अधिकारी बनता है।
🔹 विनय के बिना,
ना नीति आती है, ना शास्त्र समझ में आता है।
🪔 प्रेरणास्पद शिक्षाएँ:
-
🌸 अहंकार ज्ञान को ढँक देता है,विनय ज्ञान को आकर्षित करता है।
-
🌱 जिसके पास नम्रता नहीं,वह कभी सच्चा शिष्य नहीं बन सकता।
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🔥 जो अपने senses (इन्द्रियों) को नहीं जीतता,वह स्वयं को ही हार चुका होता है।
📖 शास्त्रीय प्रमाण:
"न विनयं विनयान्वितो जनो,न तु शास्त्रं शास्त्रविद् विना!"
(अर्थातः– केवल शास्त्र जानने से कुछ नहीं,
विनय के बिना शास्त्र का फल नहीं मिलता।)
🎯 नवचेतना वाक्य:
"विनय वह दीपक है जो ज्ञान के कक्ष को प्रकाशित करता है,
और अहंकार वह धुआँ है जो उसे अंधकार में डाल देता है।"
🌷 आपका आज का दिन विनय, विवेक और विजय से युक्त हो।
📿 जय श्रीराम! सुप्रभातम्! 🌄