संस्कृत श्लोक "मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

🌞 🙏 जय श्रीराम 🌷 सुप्रभातम् 🙏

 आज का श्लोक अत्यंत जीवनोपयोगी, यथार्थपरक और हृदयस्पर्शी नीति-सूत्र है, जिसमें दुर्लभ गुणों के समन्वय की बात की गई है — मित्रता में बुद्धि और बुद्धि में करुणा का अद्भुत संतुलन।

संस्कृत श्लोक "मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 



श्लोक

मनीषिणः सन्ति न ते हितैषिणः।
हितैषिणः सन्ति न ते मनीषिणः।
सुहृच्च विद्वानपि दुर्लभो नृणां
यथौषधं स्वादु हितं च दुर्लभम्॥

manīṣiṇaḥ santi na te hitaiṣiṇaḥ।
hitaiṣiṇaḥ santi na te manīṣiṇaḥ।
suhṛc ca vidvān api durlabho nṛṇāṁ
yathauṣadhaṁ svādu hitaṁ ca durlabham॥


🔍 शब्दार्थ एवं व्याकरणीय विश्लेषण:

पद अर्थ व्याकरणिक टिप्पणी
मनीषिणः ज्ञानी जन बहुवचन, पुल्लिंग
सन्ति हैं लट् लकार
हितैषिणः हितचिंतक, भला चाहने वाले बहुवचन
सुहृत् सच्चा मित्र, स्नेही पुल्लिंग
विद्वान् विद्वान, ज्ञानी विशेषण
दुर्लभः दुर्लभ, कठिन से मिलने वाला विशेषण
नृणां मनुष्यों के लिए षष्ठी बहुवचन
यथा जैसे उपमा सूचक
औषधम् औषधि नपुंसक लिंग
स्वादु स्वादिष्ट विशेषण
हितम् हितकारी, लाभकारी विशेषण

🪷 भावार्थ:

“इस संसार में ज्ञानी तो हैं, लेकिन वे सभी हितैषी नहीं होते।
हितचिंतक भी हैं, पर सभी ज्ञानी नहीं होते।
जो सच्चा मित्र भी हो और विद्वान भी — ऐसा व्यक्ति अत्यंत दुर्लभ है।
जैसे कोई ऐसी औषधि जो स्वाद में भी अच्छी हो और गुणकारी भी — दुर्लभ होती है।”


🌿 जीवनोपयोगी दृष्टांत: "औषधि और मित्र दोनों कठिन" 🌿

हमारे जीवन में बहुत से लोग मिलते हैं—

  • कुछ बहुत ज्ञानी होते हैं, पर हृदय में करुणा नहीं होती।
  • कुछ बहुत स्नेही होते हैं, पर जीवनदर्शन की सूझबूझ नहीं होती।

एक सच्चा मित्र वही होता है — जो आपके हित के लिए कटु सत्य भी कहे,
और साथ ही मार्ग भी दिखाए।

जैसे कोई चिकित्सक —
जिसकी दवा स्वादिष्ट भी हो और रोगहर भी हो — वह दुर्लभ है,
वैसे ही स्नेही और विद्वान दोनों गुणों वाला व्यक्ति बहुत दुर्लभ है।


🌟 शिक्षा / प्रेरणा:

  • सिर्फ ज्ञानी होना पर्याप्त नहींयदि वह हमारे हित के विपरीत है।
  • सिर्फ हितैषी होना भी पर्याप्त नहींयदि उसमें विवेक का अभाव है।
  • जीवन में ऐसे व्यक्तित्व को पहचानिए जो:
    • आपका भला सोचता है
    • और सोच-समझ कर दिशा देता है
    • जैसे गीता का श्रीकृष्ण — स्नेही भी, तत्त्वज्ञ भी।

🕯️ मनन योग्य वाक्य:

“जो मित्र बुद्धिमान हो और बुद्धिमान मित्रवत् हो —
वही जीवन का सबसे मूल्यवान रत्न है।”

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