“Jadhav Payeng – The Forest Man of India” | अकेले खड़ा किया हज़ारों एकड़ का जंगल | Eco Warrior Story in Hindi
यह प्रेरणादायी जीवनगाथा “जंगल के साधक” जाधव पेयेंग की है, जिन्होंने अपनी तपस्या, करुणा और अदम्य इच्छाशक्ति से यह सिद्ध कर दिखाया कि एक अकेला व्यक्ति भी प्रकृति के संरक्षण की दिशा में पूरी दुनिया को राह दिखा सकता है। आइए इस वृतांत को और भी व्यवस्थित, विस्तार से और प्रेरणादायक ढंग से प्रस्तुत करते हैं —
🌳 अरण्यनी से लेकर जाधव पेयेंग तक : वृक्षों के प्रति समर्पण की अखंड परंपरा 🌳
🪔 वैदिक काल में अरण्यनी की वंदना
ऋग्वेद के दशम मण्डल के 146वें सूक्त को "अरण्यनी सूक्त" की प्रतिष्ठा प्राप्त है, जिसमें अरण्यनी देवी — अर्थात् वनों की देवी — की स्तुति की गई है। यह सूक्त वैदिक ऋषियों की प्रकृति के प्रति श्रद्धा, संवेदना और संरक्षण भावना का उद्घोष करता है। यह प्रमाण है कि भारतीय परंपरा में वृक्ष, केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि पूज्य जीवंत सत्ता रहे हैं।
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“Jadhav Payeng – The Forest Man of India” | अकेले खड़ा किया हज़ारों एकड़ का जंगल | Eco Warrior Story in Hindi |
🌱 पर्यावरण का संकट: आधुनिकता की अंधी दौड़
दुखद है कि जिस संस्कृति ने वृक्षों को देवी का रूप माना, वही संस्कृति विकास के नाम पर आज वृक्षों का अंधाधुंध दोहन कर रही है। नदियाँ सिकुड़ रही हैं, जीव-जंतु विलुप्त हो रहे हैं और मानव स्वयं अपने विनाश की राह पर चल पड़ा है।
🚴♂️ एक किशोर का संकल्प: जाधव की कथा का प्रारम्भ
वर्ष 1979, स्थान असम, ब्रह्मपुत्र नदी का तट।
16 वर्षीय जाधव पेयेंग, दसवीं कक्षा की परीक्षा देने के बाद गाँव के पास ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर घूम रहा था। वहाँ उसने देखा कि बाढ़ के पानी के उतरने के बाद सैकड़ों मरे हुए सांप और पशु-पक्षियों के शव तट पर पड़े हैं। दृश्य इतना भयावह था कि कई रातों तक वह सो नहीं सका।
एक बुजुर्ग ने उसे समझाया —
"जब पेड़ ही नहीं होंगे, तो बाढ़ में जानवर कहाँ जाएँगे? उन्हें न छाँव मिलेगी, न भोजन।"
यह वाक्य किशोर जाधव के हृदय में प्रेरणा की चिंगारी बनकर जल उठा।
🌿 वृक्षारोपण का आरम्भ: एकाकी यात्रा की शुरुआत
जाधव ने 50 बीज और 25 बांस के पौधे जुटाए और अकेले ही ब्रह्मपुत्र नदी के रेतीले, निर्जन तट पर पहुँच गया।
वहीं से शुरू हुई एकल और निःस्वार्थ सेवा यात्रा, जो अब तक 35 वर्षों से निरंतर चल रही है।
हर दिन वह 5 किलोमीटर साइकिल चलाकर नदी पार करता, पौधारोपण करता, और शाम को वापसी करता।
🌳 मोउलाई जंगल: एक पुरुषार्थ का हरा चमत्कार
35 वर्षों की अथक साधना से जाधव ने 1360 एकड़ भूमि पर सघन वन खड़ा कर दिया — जिसे अब "मोउलाई फॉरेस्ट" कहा जाता है।
🐘 इस वन में पाए जाने वाले जीव:
- 5 बंगाल टाइगर
- 100+ हिरण
- 150 हाथियों का झुंड
- गेंडे, सुअर, जंगली भालू
- विभिन्न प्रजातियों के पक्षी और सांप
यह जंगल एक संपूर्ण प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र बन चुका है।
🍀 यहाँ उगाए गए प्रमुख वृक्ष:
कटहल, गुलमोहर, अन्नानास, बांस, साल, सागौन, सीताफल, आम, बरगद, शहतूत, जामुन, आड़ू और कई औषधीय पौधे।
🎞️ प्रेरणा की दस्तावेज़ीकरण: दुनिया की नज़रों में जाधव
वर्षों तक अनजान रहने वाले इस कर्मयोगी को देश-विदेश तब जान सका जब तीन महत्वपूर्ण डॉक्युमेंट्री फिल्में बनीं:
- 🎥 The Molai Forest – जीतू कलिता द्वारा
- 🎥 Foresting Life – आरती श्रीवास्तव द्वारा
- 🎥 Forest Man – जिसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सराहा गया।
🏅 सम्मान और सादगी का अद्भुत समन्वय
🌟 2015 में भारत सरकार ने जाधव पेयेंग को “पद्मश्री” से सम्मानित किया।
किन्तु इस सम्मान के बाद भी वे आज भी बांस के बने झोपड़े में रहते हैं, गायें पालते हैं, और अपने लगाए जंगल की संरक्षक आत्मा बने रहते हैं।
🐅 जब शेरों ने उनके पालतू पशुओं को मार डाला
जाधव ने कहा —
“शेरों ने मेरा नुकसान किया, लेकिन वे खेती करना नहीं जानते। भूख के लिए उन्होंने ऐसा किया।”
🌿 उनका दृढ़ विश्वास:
“अगर तुम जंगल को नष्ट करोगे, तो जंगल तुम्हें नष्ट करेगा।”
🙏 समर्पण की मिसाल: जाधव पेयेंग
🌟 संदेश:
🌿 “कभी-कभी एक अकेला चना सचमुच भाड़ फोड़ देता है – और चकनाचूर नहीं, जीवन को हराभरा कर देता है।” 🌿
🌼 शतशः प्रणाम उस महापुरुष को
जिन्होंने "एक पेड़ एक जीवन" के मन्त्र को अपने कर्म से सिद्ध कर दिखाया।