संस्कृत श्लोक "व्यसनेष्वेव सर्वेषु यस्य बुद्धिर्न हीयते" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "व्यसनेष्वेव सर्वेषु यस्य बुद्धिर्न हीयते" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

🌸 जय श्रीराम! सुप्रभातम् 🌸

 प्रस्तुत श्लोक धैर्य और स्थिरबुद्धि के महत्व को दर्शाता है। कठिनाइयों में मनुष्य की सबसे बड़ी परीक्षा होती है, और जो अपनी बुद्धि को स्थिर रखता है, वही सफल होता है।


१. संस्कृत मूल

व्यसनेष्वेव सर्वेषु यस्य बुद्धिर्न हीयते ।
स तेषां पारमभ्येति तत्प्रभावादसंशयम् ॥


२. IAST Transliteration

vyasaneṣveva sarveṣu yasya buddhir na hīyate ।
sa teṣāṃ pāram abhyeti tat-prabhāvād asaṃśayam ॥


३. पद-पद अर्थ

पद अर्थ
व्यसनेषु विपत्तियों में, कठिनाइयों में
एव ही, वास्तव में
सर्वेषु सभी प्रकार की
यस्य जिसका
बुद्धिः बुद्धि, विवेक
न हीयते कम नहीं होती, विचलित नहीं होती
सः वही व्यक्ति
तेषाम् पारम् उन (कठिनाइयों) का पार, अंत
अभ्येति प्राप्त कर लेता है, पार कर जाता है
तत्प्रभावात् उसी गुण के प्रभाव से
असंशयम् निस्संदेह, बिना शक

४. हिन्दी भावार्थ

जिस व्यक्ति की बुद्धि सभी प्रकार के विपत्तियों में भी विचलित नहीं होती, वह निश्चित रूप से अपने उसी गुण के प्रभाव से उन सभी विपत्तियों को पार कर लेता है।

संस्कृत श्लोक "व्यसनेष्वेव सर्वेषु यस्य बुद्धिर्न हीयते" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "व्यसनेष्वेव सर्वेषु यस्य बुद्धिर्न हीयते" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण



५. English Translation

The one whose intellect does not waver even in adversities, surely overcomes all difficulties because of that quality, without any doubt.


६. व्याकरणिक विश्लेषण

  • व्यसनेष्वेव सर्वेषु → सप्तमी बहुवचन, “in all adversities.”
  • न हीयते → धातु √हā (to decrease), लट्, आत्मनेपदी → “does not diminish/waver.”
  • पारम् अभ्येति → “crosses over / surpasses.”

७. दार्शनिक / नीतिपरक शिक्षा

  • धैर्य (fortitude) कठिन समय में सबसे बड़ा बल है।
  • स्थिरबुद्धि से मनुष्य निर्णयों में गलतियाँ नहीं करता।
  • विपत्ति मनुष्य को तोड़ती नहीं, बल्कि मजबूत बनाती है।

८. उदाहरण

  • जैसे समुद्र यात्रा में तूफ़ान आने पर जो नाविक घबराता नहीं, वही जहाज को किनारे तक ले जाता है।
  • महाभारत में भीष्म, विदुर और कृष्ण कठिन समय में कभी विचलित नहीं हुए — इसलिए उनका मार्गदर्शन ही शेषों के लिए जीवनरक्षक बना।

९. सार-सूत्र (Takeaway)

👉 कठिनाइयाँ जीवन का स्वाभाविक अंग हैं।
👉 संकट में घबराना विनाश का कारण है।
👉 जो धैर्य और स्थिर बुद्धि रखता है, वही विजय प्राप्त करता है।

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