संस्कृत श्लोक "यथा चित्तं तथा वाचः यथा वाचस्तथा क्रियाः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "यथा चित्तं तथा वाचः यथा वाचस्तथा क्रियाः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

🌅 जय श्रीराम! सुप्रभातम् 🌹
यहां एक सुंदर श्लोक का क्रमबद्ध, विस्तृत प्रस्तुतीकरण नीचे है—

संस्कृत श्लोक

यथा चित्तं तथा वाचः, यथा वाचस्तथा क्रियाः ।
चित्ते वाचि क्रियायां च साधूनामेकरूपता ॥

English transliteration

yathā cittaṃ tathā vācaḥ, yathā vācas tathā kriyāḥ |
citte vāci kriyāyāṃ ca sādhūnām ekarūpatā ||
(Sandhi note: vācas tathā is often written joined as vācastathā.)

हिन्दी अनुवाद

जैसा मन होता है वैसी ही वाणी होती है, और जैसी वाणी होती है वैसा ही आचरण होता है।
सज्जनों (साधुओं) के मन, वचन और कर्म—तीनों में समानता/एकरूपता होती है।


शब्दार्थ (Word-by-word)

  • यथा — जैसा/जैसे (correlative particle)
  • चित्तं — मन (नपुं.; प्रथ. एक.)
  • तथा — वैसा/वैसे
  • वाचः — वाणी/वचन (स्त्री.; प्रथ. बहु.)
  • क्रियाः — क्रियाएँ/कर्म (स्त्री.; प्रथ. बहु.)
  • चित्ते — मन में (नपुं.; सप्त. एक.)
  • वाचि — वाणी में (वाक्; सप्त. एक.)
  • क्रियायाम्/क्रियायां — क्रिया/कर्म में (स्त्री.; सप्त. एक.)
  • — और
  • साधूनाम् — सज्जनों/संतों का/के (पु.; षष्ठी बहु.)
  • एकरूपता — एक समानता/संगति (स्त्री.; प्रथ. एक.)
  • (अस्ति) — है (लोपित क्रिया)
संस्कृत श्लोक "यथा चित्तं तथा वाचः यथा वाचस्तथा क्रियाः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "यथा चित्तं तथा वाचः यथा वाचस्तथा क्रियाः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण



व्याकरणात्मक विश्लेषण

  • यथा…तथा — सहसम्बद्ध अव्यय-युक्त समुच्चय: तुलना व निष्कर्ष दिखाने वाला युग्म।
  • प्रथमा विभक्ति (कर्ता): चित्तं (नपुं. एक.), वाचः (स्त्री. बहु.), क्रियाः (स्त्री. बहु.), एकरूपता (स्त्री. एक.)।
  • सप्तमी (अधिकरण): चित्ते, वाचि, क्रियायाम् — “कहाँ (किस क्षेत्र में) एकरूपता?” का उत्तर।
  • षष्ठी (सम्बन्ध): साधूनाम् — “किसकी एकरूपता?” → षष्ठी-तत्पुरुष: साधूनाम् + एकरूपता = “सज्जनों की एकरूपता”।
  • सन्धि: वाचः + तथा → वाचस्तथा (विसर्ग ‘ः’ तकार से पहले ‘स्’ में परिवर्तित)।
  • लुप्त धातु/क्रिया: दूसरे पाद में तथा समापन में अस्ति/सन्ति (है/हैं) अपेक्षित; लोकोक्ति-शैली में प्रायः लोप रहता है।
  • ार्थ-प्रवाह: पहली पंक्ति में कारण-परिणाम (मन → वाणी → कर्म); दूसरी पंक्ति में साधु-स्वभाव का सिद्धान्त (त्रि-अधिकरण में एकरूपता)।

दार्शनिक अर्थ एवं आधुनिक सन्दर्भ

  • आत्म-संगति (Integrity): भीतर जैसा सोचें, वही कहें; जो कहें, वही करें—यही विश्वसनीयता की आधारशिला है।
  • नेतृत्व व कार्य-संस्कृति: टीम वही अपनाती है जो नेता जीते हैं—“यथा नायक, तथा संस्कृति”। वादों-कथनों से पहले नीतियाँ और वास्तविक व्यवहार बोलते हैं।
  • डिजिटल युग / सोशल मीडिया: ऑनलाइन छवि और ऑफलाइन आचरण में फाँक बढ़े तो अविश्वास जन्मता है। पोस्ट/भाषण नहीं, निर्णय और दिनचर्या प्रमाण हैं।
  • व्यक्तिगत विकास: मन को साधे बिना वाणी और कर्म संयत नहीं होते—mindfulness, स्व-समीक्षा, और छोटे-छोटे वचनों का पालन यही साधना है।
  • नैतिक निर्णय-निर्माण: “क्या सोच रहा हूँ?” → “क्या कह रहा हूँ?” → “क्या कर रहा हूँ?”—इस त्रि-छन्नी से निर्णय शुद्ध होते हैं।

संवादात्मक नीति-कथा (छोटी बातचीत में सीख)

स्थल: दफ़्तर का कॉरिडोर। प्रमोद (टीम-लीड) और राधिका (नयी सदस्य) की मुलाक़ात।

राधिका: सर, आप हर मीटिंग में ‘समय पर डिलीवरी’ कहते हैं, पर दबाव में लोग ओवरटाइम करते दिखते हैं।
प्रमोद: सही पकड़ा। आज से नियम बदले—जो वादा होगा, वही प्लान में आएगा; ओवरटाइम सिर्फ़ अपवाद।
राधिका: पर क्लाइंट?
प्रमोद: क्लाइंट से भी वही कहेंगे जो हम निभा सकते हैं। यथा वाक् तथा क्रिया—वरना भरोसा टूटेगा।
(दो हफ्ते बाद)
राधिका: हैरत है, क्लाइंट ने कमिटेड स्कोप पर सहमति दे दी और टीम समय पर घर जा रही है।
प्रमोद: क्योंकि हमने पहले मन साफ़ किया, फिर वही बोला, और वैसा ही किया—साधूनामेकरूपता का छोटा-सा प्रयोग।


अभ्यास हेतु सूक्ष्म-साधना (Practical takeaways)

  • रोज़ की शुरुआत में 1 वाक्य लिखें: “आज मैं … कहूँगा और वही करूँगा।” शाम को टिक-मार्क करें।
  • निर्णय से पहले 3-प्रश्न: क्या मैं सच में यही सोचता हूँ? क्या मैं इसे सार्वजनिक रूप से कह सकता हूँ? क्या मैं इसे कर पाऊँगा?
  • छोटी प्रतिज्ञाएँ लें (micro-pledges): “प्रतिदिन 10 मिनट अध्ययन”, “समय पर उत्तर”, “अनर्गल आलोचना नहीं”—और इन्हें दिखने लायक बनाएँ।

निष्कर्ष

यह सूक्ति हमें याद दिलाती है कि चरित्र = मन, वचन और कर्म की अखण्ड संगति। जब भीतर की धारणा, बाहर की भाषा और वास्तविक कार्रवाई एक रेखा पर आ खड़ी होती हैं, तभी व्यक्ति विश्वसनीय, प्रभावी और शांत होता है—यही साधूनाम् की एकरूपता है।

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