प्रस्तुत कथा देवकी के मृतवत्सा (संतान जन्मते ही मर जाने वाली माता) होने का कारण बताती है। इसमें कई पौराणिक प्रसंग जुड़े हैं – कश्यप ऋषि का वरुण से संबंध, अदिति-दिति प्रसंग, इन्द्र-मारुतों की कथा, और शाप का प्रभाव। मैं इसे विस्तार से प्रस्तुत करता हूँ—
देवकी क्यों बनी मृतवत्सा? | Devaki Mritvatsa Story in Hindu Puranas Explained
(पौराणिक प्रसंगों सहित विस्तारपूर्वक विवेचन)
१. कश्यप और वरुण प्रसंग
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देवकी क्यों बनी मृतवत्सा? | Devaki Mritvatsa Story in Hindu Puranas Explained |
इससे दुःखी होकर वरुणदेव ने शाप दिया—
“हे कश्यप! जिस प्रकार मेरी प्रिय धेनु के बछड़े माता से वियुक्त होकर अत्यन्त दुःखित होकर रो रहे हैं, उसी प्रकार तुम भी मनुष्य लोक में गोपालक बनोगे, और तुम्हारी पत्नियाँ भी मनुष्य योनि में उत्पन्न होकर अत्यन्त दुःख भोगेंगी। उनमें से एक मृतवत्सा होगी और कारागार में रहकर संतानों के वियोग से दुःख भोगेगी।”
२. अदिति और दिति प्रसंग
दक्ष प्रजापति की दो कन्याएँ – अदिति और दिति – महर्षि कश्यप की पत्नियाँ थीं।
- अदिति से देवताओं के राजा इन्द्र उत्पन्न हुए।
- दिति ने भी महर्षि से प्रार्थना की कि उसे भी इन्द्र के समान तेजस्वी पुत्र प्राप्त हो।
कश्यप मुनि ने उसे पयोव्रत का पालन करने को कहा – जिसमें भूमि पर शयन, व्रत-नियम, अल्पाहार आदि का पालन अनिवार्य था।
दिति का व्रत और इन्द्र का छल
३. दिति का अदिति को शाप
यह घटना देखकर दिति अत्यन्त दुःखी हुई और क्रोधित होकर अपनी सहभगिनी अदिति को शाप दे डाला—
“हे अदिति! जिस प्रकार छलपूर्वक तुम्हारे पुत्र इन्द्र ने मेरा गर्भ नष्ट किया है, उसी प्रकार तुम्हारे पुत्र भी उत्पन्न होते ही नष्ट हो जाएँ। और इन्द्र का राज्य भी शीघ्र ही विनष्ट हो।”
४. शाप का फल : वसुदेव और देवकी
अट्ठाईसवें द्वापर युग में इन्हीं शापों का परिणाम सामने आया—
- महर्षि कश्यप ने वसुदेव के रूप में जन्म लिया।
- उनकी पत्नी अदिति ने देवकी के रूप में जन्म लिया।
- दिति ने रोहिणी के रूप में जन्म लिया।
देवकी का मृतवत्सा होना
शापानुसार—
- वरुण के शाप से देवकी को कारागार का कष्ट सहना पड़ा।
- दिति के शाप से देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले पुत्र एक-एक करके नष्ट होते गए।
इस प्रकार देवकी मृतवत्सा (संतान होते ही उन्हें खो देने वाली माता) के रूप में विख्यात हुईं।
५. निष्कर्ष
देवकी के मृतवत्सा होने का कारण केवल एक घटना नहीं थी, बल्कि—
- कश्यप के वरुणधेनु न लौटाने का अपराध → जिसके कारण मनुष्य योनि और कारागार का कष्ट मिला।
- अदिति-दिति प्रसंग → जिसके कारण अदिति (देवकी) के पुत्र क्रमशः नष्ट होने लगे।
इस प्रकार भाग्य, शाप और पूर्वकर्म के संयोग से देवकी का जीवन कारागार में दुःखमय और मृतवत्सा रूप में व्यतीत हुआ।