Kutumb Prabodhan : Vyakti, Parivar aur Samaj ke Daily Karyakram | कुटुंब प्रबोधन दैनिक करणीय कार्य

Sooraj Krishna Shastri
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Kutumb Prabodhan : Vyakti, Parivar aur Samaj ke Daily Karyakram | कुटुंब प्रबोधन दैनिक करणीय कार्य

 प्रस्तुत बिंदुओं में व्यक्तिगत जीवन, पारिवारिक जीवन और सामाजिक जीवन – तीनों स्तरों पर अनुशासन, संस्कृति, समन्वय और कर्तव्यबोध का समावेश है। 


🌿 कुटुंब प्रबोधन गतिविधि : दैनिक करणीय कार्य


१. व्यक्तिगत स्तर पर (स्वयं के लिए)

व्यक्ति यदि स्वयं अनुशासित और संस्कारित रहेगा तभी परिवार व समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। इसलिए दैनिक जीवन में निम्न कार्यों को आदत के रूप में अपनाना चाहिए—

Kutumb Prabodhan : Vyakti, Parivar aur Samaj ke Daily Karyakram | कुटुंब प्रबोधन दैनिक करणीय कार्य
Kutumb Prabodhan : Vyakti, Parivar aur Samaj ke Daily Karyakram | कुटुंब प्रबोधन दैनिक करणीय कार्य


  1. प्रातः जागरण और आभार प्रकट

    • उठते ही धरती माता को प्रणाम करना – "समुद्रवसने देवी, पर्वतस्तनमण्डले। विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे॥"
    • बिस्तर पर बैठे-बैठे ईश्वर को नमस्कार कर दिन की शुभ शुरुआत करना।
  2. स्वास्थ्य और दिनचर्या

    • बिना कुल्ले किए कम से कम दो गिलास ताम्रपात्र का जल पीना।
    • योग, प्राणायाम, व्यायाम एवं प्रातः भ्रमण करना।
    • भोजन उपरान्त कम से कम १००० कदम अवश्य चलना।
    • जल एवं ऊर्जा का संयमित उपयोग करना।
  3. स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता

    • अपने बिस्तर को स्वयं समेटना।
    • व्यक्तिगत कार्य जैसे कपड़े धोना, प्रेस करना, जूतों की पालिश करना, वाहन साफ करना आदि स्वयं करना।
  4. संस्कार और शिष्टाचार

    • घर के बड़े-बुजुर्गों से संवाद, उनकी सेवा व आज्ञा का पालन करना।
    • बाहर जाते व लौटते समय माता-पिता एवं बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श करना।
    • धीमी, मधुर और विनम्र वाणी का प्रयोग करना।
    • ‘हाय-हैलो’ के स्थान पर हरिओम्, जय श्रीराम जैसे मंगलकारी शब्द कहना।
    • मातृभाषा में वार्तालाप की आदत डालना।
  5. अभ्यास और अध्ययन

    • मोबाइल व टीवी के लिए निश्चित समय तय करना और उसी का पालन करना।
    • नित्य सत्साहित्य पठन के लिए एक निश्चित समय रखना।
  6. पर्यावरण एवं राष्ट्रप्रेम

    • बाजार से खरीददारी करते समय कपड़े का थैला ले जाना, प्लास्टिक का प्रयोग न करना।
    • स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देना।
    • आंगन या खुली जगह में वृक्षारोपण व बागवानी करना।
    • बिजली, पानी व संसाधनों का व्यर्थ दुरुपयोग न करना।
  7. अन्य अनुशासन

    • समय का कठोर पालन करना।
    • जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत डालना।
    • परम्परागत, सुसंस्कृत वेशभूषा धारण करना।

२. पारिवारिक स्तर पर (परिवार के लिए)

परिवार व्यक्ति के संस्कारों का केंद्र है। यदि परिवार संस्कारित होगा तो समाज स्वतः संस्कारित होगा। परिवार के लिए ये कार्य अपनाने चाहिए—

  1. सामूहिकता और एकता

    • परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करें।
    • एकसाथ संध्या, आरती, भजन-कीर्तन करें।
    • परिवार के मंगल संवाद में सकारात्मक बातें करें, समस्याओं का हल मिलकर निकालें।
  2. सहयोग और आत्मीयता

    • सभी सदस्य एक-दूसरे के कार्यों में हाथ बटाएं।
    • सप्ताह में या पखवाड़े में एक दिन परिवारजन मिलकर घर की सफाई करें।
    • महीने में एक बार घर के पुरुष सदस्य रसोई में भोजन बनाएं और सभी साथ बैठकर उसका आनंद लें।
  3. धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन

    • महीने में एक बार परिवार सहित किसी मंदिर या देवालय में समय बिताना।
    • सप्ताह में एक दिन परिवारजन मिलकर पारंपरिक खेल खेलना।
    • वर्ष में एक बार किसी तीर्थ स्थल की यात्रा करना।
    • माह में एक बार हवन, यज्ञ या सामूहिक पूजन करना।
    • जन्मदिन, विवाह वर्षगाँठ आदि केवल हिन्दू रीति-नीति से मनाना।
  4. परस्पर समझ और सम्मान

    • प्रत्येक सदस्य एक-दूसरे के स्वभाव को समझे और उसी अनुसार व्यवहार करे।
    • परिवार को आनन्दमय, भक्तिमय और शक्तिमय बनाने का प्रयास करें।

३. सामाजिक स्तर पर (समाज/मोहल्ला के लिए)

परिवार समाज का अंग है और समाज राष्ट्र की आत्मा। अतः समाज में व्यक्ति और परिवार का आचरण इस प्रकार होना चाहिए—

  1. स्वच्छता और सहयोग

    • अपने घर, गली और सड़क को स्वच्छ रखने में सक्रिय योगदान दें।
    • मोहल्ले के लोगों से प्रेम, सम्मान और आत्मीयता से व्यवहार करें।
    • आवश्यकता पड़ने पर पड़ोसी की सहायता करें।
  2. समरसता और सद्भावना

    • सप्ताह में परिवार सहित आपसी मेल-जोल बढ़ाएं।
    • जाति, वर्ण, रंग या भाषा के आधार पर भेदभाव न करें।
    • समाज में समरसता और बंधुत्व की भावना रखें।
  3. राष्ट्रभक्ति और जिम्मेदारी

    • बातचीत में ऐसी बातें न करें जिससे राष्ट्र कमजोर होता हो, केवल राष्ट्रहित और देशभक्ति की बातें करें।
    • कथनी और करनी में सामंजस्य रखें।
    • जिम्मेदार नागरिक बनें और सहयोगी की भूमिका निभाएं।
    • समाज के लिए सही दिशा दर्शाने वाला नेतृत्व प्रस्तुत करें।
  4. सौहार्द और व्यवहार

    • समाज में घुल-मिलकर रहना, अहंकार और अलगाव से दूर रहना।
    • मिलनसार प्रवृत्ति विकसित करना ताकि लोग आपको अपनापन और आदर्श का प्रतीक मानें।


🌿 कुटुंब प्रबोधन गतिविधि : दैनिक करणीय कार्य (चार्ट रूप में)

स्तर प्रमुख करणीय कार्य विवरण / उदाहरण
व्यक्ति (स्वयं) 1. प्रातः ईश्वर वन्दना व जलपान
2. स्वास्थ्य साधन (योग, प्राणायाम, भ्रमण)
3. स्वावलंबन (अपने काम स्वयं करना)
4. सत्साहित्य पठन
5. संयमित तकनीकी उपयोग
6. शिष्टाचार व बुजुर्गों का सम्मान
7. समय पालन व अनुशासन
8. परम्परागत वेशभूषा व मातृभाषा का प्रयोग
9. पर्यावरण संरक्षण (जल/बिजली बचाना, प्लास्टिक त्याग)
- धरती माता व ईश्वर को प्रणाम।
- २ गिलास जल, १००० कदम चलना।
- टीवी/मोबाइल का समय तय।
- कपड़े धोना, जूते पालिश आदि स्वयं करना।
- हरिओम् / जय श्रीराम कहना।
- पौधारोपण व बागवानी।
परिवार 1. सामूहिक भोजन
2. संध्या, भजन व आरती एक साथ
3. मंगल संवाद व सकारात्मक चर्चा
4. घर की सफाई सामूहिक रूप से
5. पुरुष सदस्य रसोई सेवा (महीने में एक बार)
6. धार्मिक क्रियाएँ (यज्ञ, हवन, मंदिर भ्रमण)
7. पारिवारिक खेल व तीर्थयात्रा
8. पर्व-उत्सव हिन्दू रीति से मनाना
9. परस्पर समझ व सहयोग
- साथ बैठकर भोजन करना।
- पखवाड़े में एक दिन सफाई।
- तीर्थ यात्रा – वर्ष में एक बार।
- जन्मदिन/विवाह वर्षगाँठ पर हवन।
- आनंदमय, भक्तिमय व शक्तिमय परिवार।
समाज / मोहल्ला 1. स्वच्छता व सहयोग
2. पड़ोसियों से आत्मीय व्यवहार
3. संकट में सहायता
4. मेल-जोल व परस्पर आना-जाना
5. जाति/वर्ण भेदभाव से दूर रहना
6. समाज में समरसता व बंधुत्व
7. राष्ट्रभक्ति पर आधारित वार्तालाप
8. कथनी-करनी में सामंजस्य
9. जिम्मेदार नागरिक बनना
10. मिलनसार प्रवृत्ति रखना
- मोहल्ला स्वच्छ रखना।
- जातिगत/वर्ण भेद न करना।
- जरूरतमंदों की सहायता।
- राष्ट्रभक्ति की बातें करना।
- समाज में नेतृत्वकारी भूमिका निभाना।
राष्ट्र (उपर्युक्त तीनों स्तरों का समन्वय ही राष्ट्र निर्माण है) - संस्कारित व्यक्ति → सशक्त परिवार → समरस समाज → वैभवशाली राष्ट्र।

✨ निष्कर्ष

👉 यदि व्यक्ति स्वयं अनुशासित और संस्कारित होगा तो उसका परिवार आनंदमय, भक्तिमय और शक्तिमय बनेगा।
👉 यदि परिवार संस्कारित और संगठित होगा तो समाज समरस, सहयोगी और राष्ट्रभक्त बनेगा।
👉 और जब समाज संस्कारित होगा तभी राष्ट्र सशक्त और वैभवशाली होगा।

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