भारत : Ek Sanatan Yatra – Spiritual Journey of Bharat
प्रस्तुत आलेख गहरी आध्यात्मिक भावभूमि लिए हुए है। इसमें भारत की सनातन यात्रा को केवल एक भूभाग या राजनीतिक सत्ता नहीं, बल्कि मानव चेतना की अनंत खोज और साधना के रूप में प्रस्तुत किया गया है। मैं इसे व्यवस्थित, विस्तारपूर्ण और प्रवाहमय रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ —
भारत : एक सनातन यात्रा
पृथ्वी के इस प्राचीन भूभाग पर, जब मनुष्य ने अपनी चेतना की पहली किरणों के साथ सपने देखना शुरू किया, तभी से एक दिव्य खोज का आरंभ हुआ। यह सपना केवल किसी राष्ट्र, भूगोल या सत्ता का नहीं था; यह सपना था – मनुष्य की अंतरात्मा के जागरण का, सत्य की खोज का, और अनंत की प्यास का।
इस सपने को साकार करने के लिए असंख्य महापुरुषों ने अपने प्राण न्योछावर किए।
- कभी वह स्वरूप गौतम बुद्ध बने,
- कभी महावीर,
- कभी कबीर,
- कभी गुरु नानक।
इन सबका जीवन केवल एक ध्येय पर केंद्रित था – मानवता के भीतर सोई हुई चेतना को जगाना और उसे उसकी अमृतमयी जड़ों से जोड़ना।
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भारत : Ek Sanatan Yatra – Spiritual Journey of Bharat |
भारत : केवल भूखंड नहीं
भारत कोई भूखंड नहीं है।
यह न तो केवल एक राजनीतिक इकाई है और न ही इतिहास की धूल भरी घटनाओं का संग्रह।
भारत कोई धन, पद, प्रतिष्ठा की पागल दौड़ नहीं है।
भारत है — एक अभीप्सा, एक प्यास, एक उत्कंठा — सत्य को पा लेने की।
वह सत्य, जो हमारी धड़कन-धड़कन में बसता है;
वह सत्य, जो हमारी चेतना की तहों में सोया हुआ है;
वह सत्य, जिसे हम भूल तो गए हैं, पर जो हमारा ही है।
उस सत्य का पुनः स्मरण, उसकी पुनः उद्घोषणा ही भारत है।
अमृतस्य पुत्राः
ऋषियों ने मनुष्य को पुकारा —
“हे अमृत के पुत्रों।”
जिन्होंने इस उद्घोषणा को सुना, वही भारत के नागरिक हैं।
केवल भारत की धरती पर जन्म लेने से कोई भारतवासी नहीं हो सकता।
जो कहीं भी जन्म ले, किसी भी युग में, यदि उसकी खोज अंतर की खोज है, यदि उसकी प्यास अमृत की है, तो वह भारत का सच्चा निवासी है।
इसीलिए —
भारत और अध्यात्म पर्यायवाची हैं।
भारत के पुत्र सीमाओं में नहीं बंधे, वे संपूर्ण मानवता के कोने-कोने में हैं।
भारत और इतिहास
भारत का कोई पारंपरिक इतिहास नहीं है।
क्योंकि इतिहास तो धूल का बवंडर है —
आज उठता है, कल मिट जाता है।
राजाओं के युद्ध, सत्ता की होड़, राजनीति की चालबाजियाँ — ये सब अस्थायी घटनाएँ हैं।
भारत ने इतिहास नहीं लिखा।
भारत ने केवल अनंत की साधना की है।
भारत ने तो वही किया है,
जैसे चकोर बिना पलक झपकाए चाँद को देखता रहता है।
भारत : अनंत यात्रा
भारत एक सनातन यात्रा है,
एक अमृत पथ है,
जो अनंत से अनंत तक फैला हुआ है।
मैं भी उस अनंत यात्रा का एक छोटा-सा यात्री हूँ।
मेरी अभिलाषा है कि —
- जो भूल गए हैं उन्हें याद दिलाऊँ,
- जो सो गए हैं उन्हें जगा दूँ,
- और भारत को उसकी आंतरिक गरिमा, उसकी हिमाच्छादित ऊँचाइयों और उसके गौरव को पुनः लौटा दूँ।
क्योंकि भारत का भाग्य केवल भारत का भाग्य नहीं है।
भारत का भाग्य, पूरी मानवता का भाग्य है।
भारत का योगदान
यदि भारत अंधकार में खो जाता है, तो मनुष्य का कोई भविष्य नहीं।
लेकिन यदि भारत को उसके पंख वापस मिल जाते हैं,
यदि उसे पुनः आकाश मिल जाता है,
यदि उसकी आँखों में फिर से सितारों को छूने की प्यास जग जाती है,
तो हम केवल भारत को ही नहीं बचाते,
बल्कि समस्त मानवता को बचा लेते हैं।
दस हज़ार वर्षों की साधना
भारत का इतिहास साधारण घटनाओं का नहीं,
बल्कि दस हज़ार वर्षों की सतत साधना, सतत योग और सतत ध्यान का इतिहास है।
हमने इस साधना के लिए सब कुछ खो दिया,
सब कुछ कुर्बान कर दिया।
लेकिन अंधेरी से अंधेरी रातों में भी
भारत ने मनुष्य की चेतना का दिया जलाए रखा।
लौ भले ही कभी मद्धिम हुई हो,
पर दिया अब भी जल रहा है।
निष्कर्ष
भारत केवल एक राष्ट्र नहीं,
भारत एक चेतना है,
एक मार्ग है,
एक अमृत यात्रा है।
भारत का भाग्य ही मनुष्य की नियति है।
यदि भारत पुनः जागेगा, तो समस्त मानवता का भविष्य सुरक्षित होगा।