संस्कृत श्लोक "नारिकेलसमाकारा दृश्यन्ते हि सुहृज्जनाः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "नारिकेलसमाकारा दृश्यन्ते हि सुहृज्जनाः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

🌸 जय श्रीराम – सुप्रभातम् 🌸

आज का श्लोक हमें मनुष्य के आंतरिक और बाहरी स्वभाव के बीच का अंतर बताता है।


📜 संस्कृत मूल

नारिकेलसमाकारा दृश्यन्ते हि सुहृज्जनाः ।
अन्ये बदरिकाकारा बहिरेव मनोहराः ॥


🔤 IAST Transliteration

nārikela-samākārā dṛśyante hi suhṛj-janāḥ ।
anye badarikākārā bahir-eva manoharāḥ ॥


🇮🇳 हिन्दी भावार्थ

  • सज्जन लोग (सच्चे मित्र) नारियल के समान होते हैं – बाहर से कठोर परन्तु अंदर से अत्यन्त कोमल और मधुर।
  • अन्य लोग (कपट करने वाले) बेर (बदरी फल) की तरह होते हैं – बाहर से आकर्षक और मुलायम पर अंदर से कठोर बीज की तरह रूखे।

📚 व्याकरणिक विश्लेषण

  • नारिकेल-समाकारा: नारियल के सदृश स्वरूप वाले (समास)
  • सुहृज्जनाः: सच्चे मित्र, सज्जन लोग
  • बदरिकाकारा: बेर के समान आकार वाले
  • बहिरेव मनोहराः: केवल बाहर से मनोहर

🌼 नीति संदेश

👉 सच्चे मित्र/सज्जन – कभी-कभी बाहर से सख्त दिखाई देते हैं (डांटते हैं, कठोर सत्य बोलते हैं), पर उनके हृदय में करुणा, प्रेम और मधुरता होती है।
👉 कपट करने वाले लोग – बाहर से मुस्कान और मधुर वचन से आकर्षित करते हैं, पर अंदर से हृदय कठोर, स्वार्थी और निर्दयी होता है।

संस्कृत श्लोक "नारिकेलसमाकारा दृश्यन्ते हि सुहृज्जनाः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "नारिकेलसमाकारा दृश्यन्ते हि सुहृज्जनाः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 



🪔 जीवन से जुड़ा उदाहरण

  • नारियल जैसे मित्र: शिक्षक जो हमें अनुशासन सिखाते हैं, भले ही डाँटें, पर अंदर से केवल भलाई चाहते हैं।
  • बेर जैसे लोग: दिखावे के दोस्त, जो मिठास का नकाब पहनते हैं पर अंदर से केवल स्वार्थ रखते हैं।

✅ शिक्षा

👉 मनुष्य को उसके बाहरी रूप से नहीं, बल्कि आंतरिक स्वभाव और आचरण से पहचानना चाहिए।

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