Surya Dev Stotra, Mantra, Prarthana in Hindi – सूर्य स्तुति, अर्घ्य मंत्र और सूर्योपासना का महत्व

Sooraj Krishna Shastri
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🌸🙏Surya Dev Stotra, Mantra, Prarthana in Hindi – सूर्य स्तुति, अर्घ्य मंत्र और सूर्योपासना का महत्व 🙏🌸


🌞 सूर्य देव की आराधना का महत्व

प्राचीन शास्त्रों में सूर्यदेव को जगत् की आत्मा कहा गया है। वे केवल आकाश में स्थित एक तेजोमय ग्रह नहीं, बल्कि जीवनदाता और ऋतु-नियंता हैं। वे ही दिन-रात्रि, ऋतु-परिवर्तन, वर्षा और अन्न की उत्पत्ति के मूल कारण हैं।

सूर्योपासना के लाभ

  • रोगों का नाश एवं आरोग्य की प्राप्ति
  • सौभाग्य, धन और यश में वृद्धि
  • संकटों से मुक्ति और शत्रु भय का नाश
  • मानसिक शांति एवं आत्मबल की वृद्धि
  • आयुष्य, तेज और पराक्रम की प्राप्ति

विशेषकर सूर्य संक्रांति, रविवार, तथा प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्य उदय के समय सूर्य स्तुति, स्तोत्र एवं मंत्र का पाठ अत्यंत शुभ और फलदायी होता है।

Surya Dev Stotra, Mantra, Prarthana in Hindi – सूर्य स्तुति, अर्घ्य मंत्र और सूर्योपासना का महत्व
Surya Dev Stotra, Mantra, Prarthana in Hindi – सूर्य स्तुति, अर्घ्य मंत्र और सूर्योपासना का महत्व



☀️ सूर्य स्तोत्र

श्लोक

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोकप्रकाशकः श्रीमांल्लोकचक्षुर्मुहेश्वरः।।
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः।।
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः।।

भावार्थ
सूर्यदेव के अनेक नाम हैं – विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि। वे लोकों के प्रकाशक, श्री से संपन्न, लोकचक्षु और महेश्वर हैं। वे त्रिलोकी के स्वामी, साक्षी, रात्रि के अंधकार को नष्ट करने वाले, सात अश्वों से युक्त रथ पर आरूढ़ शुद्धरूप सूर्य हैं। उनके कर-किरणें ब्रह्मा का स्वरूप हैं और वे सभी देवताओं द्वारा पूजित हैं। जो प्राणी इस स्तोत्र का नित्य जप करता है, उसे सूर्यदेव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।


🌊 सूर्य को अर्घ्य देने का मन्त्र

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या, गृहाणार्घ्य दिवाकर।।

भावार्थ
हे सहस्र किरणों वाले, जगत् के स्वामी, दिवाकर! आप तेज का भंडार हैं। कृपापूर्वक मेरी भक्ति स्वीकार करें और मेरे द्वारा दिए गए अर्घ्य को स्वीकार करें।

विशेष
प्रातःकाल पूर्व दिशा की ओर मुख करके तांबे के पात्र में जल, लाल पुष्प, अक्षत, लाल चंदन मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना गया है।


🔆 सूर्य मंत्र

  • ॐ सूर्याय नमः।
  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
  • ॐ घृणि सूर्याय नमः।
  • ॐ घृ‍णिं सूर्य्यः आदित्यः।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

फल – इन मंत्रों के जप से आयु, स्वास्थ्य, पराक्रम, तेज और मान-प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है।


🙏 भगवान सूर्य देव की प्रार्थना (प्रातः स्मरणीय श्लोक)

१.

प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्‌।।

२.

प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाङ्मनोभि-
र्ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं च।
वृष्टिप्रमोचनविनिग्रहहेतुभूतं
त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च।।

३.

प्रातर्भजामि सवितारमन्तशक्तिं
तं सर्वलोककलनात्मककालमूर्तिं
गोकण्ठबंधनविमचोनमादिदेवम्।।

फलश्रुति

श्लोकत्रयमिदं भानोः प्रातः प्रातः पठेत्‌ तु यः।
स सर्वव्याधिनिर्मुक्तः परं सुखमवाप्नुयात्‌।।

🌺 प्रार्थना का भावार्थ

1️⃣ मैं प्रातःकाल उस सूर्य देव का स्मरण करता हूँ, जिनका मण्डल ऋग्वेद है, तनु यजुर्वेद है, और किरणें सामवेद हैं। वे सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और संहार के कारण हैं तथा अलक्ष्य और अचिन्त्यस्वरूप हैं।

2️⃣ मैं प्रातःकाल शरीर, वाणी और मन से उन सूर्यदेव को नमस्कार करता हूँ, जिनकी स्तुति ब्रह्मा और इन्द्रादि देवता भी करते हैं, जो वर्षा और अवर्षा के हेतु हैं, त्रैलोक्य की रक्षा करते हैं और त्रिगुणात्मक हैं।

3️⃣ मैं प्रातःकाल उस सविता देव की उपासना करता हूँ, जो कालस्वरूप हैं, जिनकी शक्ति असीम है, जो गोमाता के रक्षणकर्ता हैं और आदिदेव हैं।

👉 फल – जो साधक इन तीनों श्लोकों का नित्य प्रातःकाल पाठ करता है, वह रोगमुक्त होकर परमानंद और सुख को प्राप्त करता है।


🌻 निष्कर्ष

सूर्योपासना केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि आरोग्य, सौभाग्य और आत्मबल का साधन है। नित्य सूर्य स्तोत्र, मंत्र और प्रार्थना से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं। यह साधना भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों ही स्तरों पर साधक को समृद्ध करती है।


🌞✨ "सूर्यदेव को प्रणाम करने वाला कभी अंधकार में नहीं रहता।" ✨🌞


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