गण्डमूल नक्षत्र (Gandmool Nakshatra) : चरणवार प्रभाव, शांति उपाय और सम्पूर्ण जानकारी

Sooraj Krishna Shastri
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प्रस्तुत पोस्ट में मूल/गण्डमूल नक्षत्र विषय पर बहुत ही गहन एवं विस्तृत सामग्री एकत्रित की है। यहां इसे  व्यवस्थित, श्रेणीबद्ध तथा सुविस्तृत रूप में मैं आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ, ताकि आपको सहज रूप से सम्पूर्ण जानकारी मिल सके।


गण्डमूल नक्षत्र (Gandmool Nakshatra) : चरणवार प्रभाव, शांति उपाय और सम्पूर्ण जानकारी


1️⃣ मूल नक्षत्र या गण्डमूल नक्षत्र क्या है?

  • वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्र माने गए हैं।
  • इनमें से 6 नक्षत्र (अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, रेवती) विशेष स्थिति के कारण गण्डमूल नक्षत्र कहलाते हैं।
  • ये नक्षत्र ऐसे होते हैं जहाँ राशि का प्रारम्भ या अन्त एवं नक्षत्र का प्रारम्भ या अन्त एक साथ होता है।
  • इन्हें मूल नक्षत्र भी कहते हैं।

👉 इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातक सामान्यतः परिवार और स्वयं के लिए विशेष प्रभावकारी माने जाते हैं।


2️⃣ गण्डमूल नक्षत्रों के स्वामी ग्रह

  • अश्विनी, मघा, मूल → स्वामी केतु
  • अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती → स्वामी बुध

3️⃣ गण्डमूल नक्षत्र की निर्माण प्रक्रिया

  • कर्क राशि एवं आश्लेषा नक्षत्र का अन्त एक साथ → आश्लेषा गण्ड नक्षत्र
  • सिंह राशि एवं मघा नक्षत्र का आरम्भ एक साथ → मघा मूल नक्षत्र
  • वृश्चिक राशि एवं ज्येष्ठा नक्षत्र का अन्त एक साथ → ज्येष्ठा गण्ड नक्षत्र
  • धनु राशि एवं मूल नक्षत्र का आरम्भ एक साथ → मूल मूल नक्षत्र
  • मीन राशि एवं रेवती नक्षत्र का अन्त एक साथ → रेवती गण्ड नक्षत्र
  • मेष राशि एवं अश्विनी नक्षत्र का आरम्भ एक साथ → अश्विनी मूल नक्षत्र
गण्डमूल नक्षत्र (Gandmool Nakshatra) : चरणवार प्रभाव, शांति उपाय और सम्पूर्ण जानकारी
गण्डमूल नक्षत्र (Gandmool Nakshatra) : चरणवार प्रभाव, शांति उपाय और सम्पूर्ण जानकारी



4️⃣ गण्डवास का महत्व

मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार गण्डवास का प्रभाव लोकों के आधार पर भिन्न होता है –

  • आषाढ़, भाद्रपद, आश्विन, माघ → गण्डवास स्वर्गलोक
  • कार्तिक, चैत्र, पौष → गण्डवास पृथ्वी/मृत्युलोक
  • वैशाख, मार्गशीर्ष, फाल्गुन → गण्डवास पाताललोक

👉 जिस लोक में गण्डवास हो, वही लोक अनिष्टकारी माना जाता है।


5️⃣ गण्डमूल नक्षत्रों का चरणवार प्रभाव

🔹 अश्विनी नक्षत्र (मेष राशि 0°00’–13°20’)

  • प्रथम चरण → पिता को कष्ट व धनहानि
  • द्वितीय चरण → परिवार में सुख-शांति
  • तृतीय चरण → सरकार से लाभ, पद-प्रतिष्ठा
  • चतुर्थ चरण → राजमान-सम्मान व ख्याति

🔹 मघा नक्षत्र (सिंह राशि 0°00’–13°20’)

  • प्रथम चरण → माता को कष्ट
  • द्वितीय चरण → पिता को कष्ट
  • तृतीय चरण → जातक सुखी
  • चतुर्थ चरण → विद्या, धन, स्थायित्व

🔹 मूल नक्षत्र (धनु राशि 0°00’–13°20’)

  • प्रथम चरण → पिता को हानि/जीवन संकट
  • द्वितीय चरण → माता को अशुभ, पिता को कष्ट
  • तृतीय चरण → धनहानि
  • चतुर्थ चरण → सुख-समृद्धि

🔹 आश्लेषा नक्षत्र (कर्क राशि 16°40’–30°00’)

  • प्रथम चरण → शांति और सुख
  • द्वितीय चरण → धनहानि, भाई-बहन को कष्ट
  • तृतीय चरण → माता को कष्ट
  • चतुर्थ चरण → पिता को कष्ट, आर्थिक संकट

🔹 ज्येष्ठा नक्षत्र (वृश्चिक राशि 16°40’–30°00’)

  • प्रथम चरण → बड़े भाई-बहन को कष्ट
  • द्वितीय चरण → छोटे भाई-बहन को कष्ट
  • तृतीय चरण → माता को कष्ट
  • चतुर्थ चरण → स्वयं का नाश

🔹 रेवती नक्षत्र (मीन राशि 16°40’–30°00’)

  • प्रथम चरण → जीवन सुखमय
  • द्वितीय चरण → नौकरी/पद में उन्नति
  • तृतीय चरण → धन-संपत्ति लाभ, किंतु हानि भी
  • चतुर्थ चरण → स्वयं को कष्ट

6️⃣ गण्डमूल नक्षत्र में जन्मे जातकों का स्वभाव

  • बुद्धिमान, उदार, सहनशील
  • कभी-कभी स्वार्थी व गलत दिशा में बुद्धि का उपयोग करने वाले
  • विवाह में विलम्ब (अधिकतर 27 वर्ष बाद)
  • संतान-सुख देर से प्राप्त
  • वैवाहिक जीवन में तालमेल की कमी
  • स्वास्थ्य व ऋण संबंधी परेशानियाँ संभव

👉 अश्विनी व रेवती जातक तुलनात्मक रूप से शुभ होते हैं।
👉 आश्लेषा जातक अधिक निर्भरशील और कभी-कभी परिवार को हानि पहुँचाने वाले हो सकते हैं।


7️⃣ गण्डमूल शांति का महत्व

शास्त्रों में स्पष्ट निर्देश है कि –

  • जन्म के 27वें दिन, जब वही नक्षत्र पुनः आता है, गण्डमूल शांति पूजा करनी चाहिए।
  • इस दिन विशेष मन्त्र, हवन, तर्पण, दान, ब्राह्मण भोजन आदि द्वारा शांति की जाती है।

8️⃣ गण्डमूल शांति के उपाय

  • जन्म नक्षत्र से सम्बन्धित देवता एवं ग्रह की पूजा
  • अश्विनी, मघा, मूल → गणेश जी की उपासना
  • आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती → बुध ग्रह की आराधना (बुधवार को हरी वस्तु दान)
  • 27 मूली पत्तों की शांति क्रिया
  • 27 कुएँ का जल, 27 पेड़ के पत्ते, 27 अनाज, 7 खेतों की मिट्टी, समुद्र फेन आदि से शांति प्रक्रिया
  • 27 माला जप व 27 लोगों को भोजन


📑 गण्डमूल नक्षत्र : चरणवार प्रभाव तालिका

नक्षत्र चरण प्रभाव
अश्विनी (मेष) 1️⃣ प्रथम पिता को शारीरिक कष्ट व धनहानि
2️⃣ द्वितीय परिवार में सुख-शांति
3️⃣ तृतीय सरकार/मंत्री से लाभ, पद-प्रतिष्ठा
4️⃣ चतुर्थ राज-सम्मान, ख्याति, परिवार को लाभ
मघा (सिंह) 1️⃣ प्रथम माता को कष्ट
2️⃣ द्वितीय पिता को कष्ट/हानि
3️⃣ तृतीय जातक सुखी
4️⃣ चतुर्थ धन, विद्या व कार्य में स्थिरता
मूल (धनु) 1️⃣ प्रथम पिता के जीवन के लिए घातक
2️⃣ द्वितीय माता के लिए अशुभ, पिता को कष्ट
3️⃣ तृतीय धनहानि
4️⃣ चतुर्थ सुखी व समृद्ध जीवन
आश्लेषा (कर्क) 1️⃣ प्रथम शांति और सुख
2️⃣ द्वितीय धनहानि, भाई-बहनों को कष्ट
3️⃣ तृतीय माता को कष्ट
4️⃣ चतुर्थ पिता को कष्ट, आर्थिक संकट
ज्येष्ठा (वृश्चिक) 1️⃣ प्रथम बड़े भाई-बहनों को कष्ट
2️⃣ द्वितीय छोटे भाई-बहनों को कष्ट
3️⃣ तृतीय माता को कष्ट
4️⃣ चतुर्थ स्वयं का नाश
रेवती (मीन) 1️⃣ प्रथम सुखमय जीवन
2️⃣ द्वितीय नौकरी/सेवा में उन्नति
3️⃣ तृतीय धन-संपत्ति का लाभ पर हानि भी
4️⃣ चतुर्थ स्वयं के लिए कष्टकारी

🌿 इस तालिका से आप तुरंत समझ सकते हैं कि किस नक्षत्र व किस चरण में जन्म होने पर किस पर प्रभाव पड़ता है

9️⃣ निष्कर्ष

  • गण्डमूल नक्षत्र में जन्म लेना कभी भी भय का कारण नहीं होना चाहिए
  • जातक का जीवन केवल नक्षत्रों से नहीं बल्कि सम्पूर्ण जन्मकुंडली, दशा-अन्तर्दशा और कर्म से तय होता है।
  • गण्डमूल शांति विधि से नक्षत्रों के नकारात्मक प्रभाव को संतुलित किया जा सकता है।
  • ऐसे जातक यदि उचित दिशा में शिक्षा, संस्कार और मार्गदर्शन प्राप्त करें तो समाज में विशेष योगदान देते हैं।

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