Yaksha Yudhishthira Samvad Story in Mahabharat | यक्ष–युधिष्ठिर संवाद कथा (Prologue)

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

Yaksha Yudhishthira Samvad Story in Mahabharat | यक्ष–युधिष्ठिर संवाद कथा (Prologue)

महाभारत वनपर्व की प्रसिद्ध कथा—यक्ष और युधिष्ठिर संवाद। पाण्डवों की प्यास, तालाब, यक्ष के प्रश्न और युधिष्ठिर के उत्तर का विस्तृत वर्णन।

यक्ष–युधिष्ठिर संवाद की कथा केवल एक प्रसंग मात्र नहीं है, बल्कि इसमें छिपा गूढ़ ज्ञान, तर्क, नीति और जीवन-दर्शन महाभारत की अमूल्य धरोहर है।


🌿 यक्ष–युधिष्ठिर संवाद : प्रस्तावना कथा

1. महाभारत में स्थान

‘महाभारत’ ग्रंथ के वनपर्व (अरण्यक पर्व) में यह प्रसंग आता है। पाण्डव अपने वनवास के दिनों में अनेक कठिन परिस्थितियों से गुज़र रहे थे। वनवास का यह काल उनके जीवन का सबसे कठिन लेकिन सबसे शिक्षाप्रद समय सिद्ध हुआ। इन्हीं दिनों में घटित यह प्रसंग आगे चलकर "यक्ष–युधिष्ठिर संवाद" के नाम से प्रसिद्ध हुआ।


2. कथा का आरंभ : प्यास और जल की खोज

वन में भटकते हुए पाण्डवों को तीव्र प्यास लगी। जल की खोज में नकुल ने एक ऊँचे वृक्ष पर चढ़कर देखा कि कुछ पक्षी एक स्थान पर मँडरा रहे हैं। प्राचीन अनुभव के अनुसार जहाँ इस प्रकार पक्षियों की चहल-पहल हो, वहाँ जलस्रोत अवश्य होता है। उन्होंने अनुमान लगाया कि निकट ही कोई तालाब होगा।

Yaksha Yudhishthira Samvad Story in Mahabharat | यक्ष–युधिष्ठिर संवाद कथा (Prologue)
Yaksha Yudhishthira Samvad Story in Mahabharat | यक्ष–युधिष्ठिर संवाद कथा (Prologue)



3. सहदेव का प्रयास

युधिष्ठिर ने सबसे पहले सहदेव को जल लाने भेजा।

  • सहदेव तालाब तक पहुँचे।
  • जल पीने ही वाले थे कि तभी एक अदृश्य ध्वनि सुनाई दी—
    “रुको! यह जल तभी पी सकते हो, जब पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो। अन्यथा मृत्यु का सामना करना पड़ेगा।”
  • किंतु प्यास से व्याकुल सहदेव ने उस चेतावनी की अनदेखी की और जल पीने लगे।
  • परिणामस्वरूप वे तत्काल मृत होकर वहीं गिर पड़े।

4. क्रमशः अन्य भाइयों का प्रस्थान

सहदेव के लौटने में विलम्ब हुआ तो युधिष्ठिर ने नकुल को भेजा।

  • नकुल को भी वही चेतावनी मिली।
  • उसने भी जल पीने की चेष्टा की और सहदेव की भाँति प्राण त्याग दिए।

फिर अर्जुन और भीमसेन भी क्रमशः भेजे गए।

  • अर्जुन ने अपनी वीरता के बल पर चेतावनी की उपेक्षा की।
  • भीमसेन ने भी अपनी शक्ति पर घमण्ड कर जल पी लिया।
  • दोनों का भी वही परिणाम हुआ—वे मृत होकर तालाब के किनारे गिर पड़े।

5. युधिष्ठिर का आगमन

जब चारों भाई नहीं लौटे तो युधिष्ठिर स्वयं वहाँ पहुँचे।

  • उन्होंने देखा कि उनके चारों भाई मृत अवस्था में पड़े हैं।
  • यह दृश्य देखकर वे आश्चर्यचकित और दुःखी हुए।
  • तभी उन्हें वही अदृश्य स्वर सुनाई दिया—
    “यह जल पीने का अधिकार किसी को तभी है, जब वह मेरे प्रश्नों का उत्तर दे।”

6. संवाद का सूत्रपात

युधिष्ठिर ने शांत और गंभीर स्वर में उत्तर दिया—
“हे देव! आप कौन हैं? मेरे भाइयों की यह दशा क्यों हुई है?”

उस आवाज़ ने उत्तर दिया—
“मैं यक्ष हूँ। इस तालाब का अधिपति मैं ही हूँ। तुम्हारे भाइयों ने मेरी उपेक्षा की, मेरे प्रश्नों के उत्तर दिए बिना जल पिया। इसलिए उनकी यह स्थिति हुई है।”

युधिष्ठिर ने धैर्यपूर्वक कहा—
“हे यक्ष! यदि यही नियम है, तो आप मुझसे प्रश्न कीजिए। मैं अपने ज्ञान और सामर्थ्य के अनुसार उत्तर देने का प्रयास करूँगा।”


7. संवाद का महत्व

इसके पश्चात् यक्ष और युधिष्ठिर के मध्य अनेक गहन, दार्शनिक, व्यावहारिक और नीति-प्रधान प्रश्नोत्तर हुए।

  • यक्ष ने धर्म, कर्तव्य, जीवन, मृत्यु, सत्य, मित्रता, ज्ञान, कृतज्ञता आदि विषयों पर प्रश्न किए।
  • युधिष्ठिर ने अत्यंत संक्षिप्त, परंतु सत्य और गूढ़ उत्तर दिए।
  • उनकी विनम्रता, धैर्य, बुद्धिमत्ता और धर्मनिष्ठा ने यक्ष को संतुष्ट कर दिया।

8. प्रसंग का सार

  • यह कथा केवल एक दैवीय संवाद नहीं है, बल्कि मनुष्य के जीवन में संयम, धैर्य और विवेक की आवश्यकता को दर्शाती है।
  • पाण्डवों में केवल युधिष्ठिर ही ऐसे थे, जिन्होंने प्यास और शोक के बीच भी धैर्य बनाए रखा और प्रश्नों का उत्तर देकर न केवल स्वयं की रक्षा की बल्कि अपने सभी भाइयों को भी पुनः जीवित कराया।

👉 यही कथा आगे चलकर हमें यक्ष–युधिष्ठिर संवाद के रूप में मिलता है, जो भारतीय साहित्य और दर्शन की अमूल्य निधि है।


❓ FAQs on Yaksha Yudhishthira Samvad | यक्ष–युधिष्ठिर संवाद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. यक्ष–युधिष्ठिर संवाद महाभारत के किस पर्व में वर्णित है?

👉 यह संवाद महाभारत के वनपर्व (अरण्यक पर्व) में आता है, जब पाण्डव वनवास में थे।

2. यक्ष ने पाण्डवों के भाइयों को क्यों मारा?

👉 यक्ष ने चेतावनी दी थी कि बिना प्रश्नों के उत्तर दिए कोई भी तालाब का जल नहीं पी सकता। सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीमसेन ने चेतावनी की अनदेखी की, इसलिए वे मूर्छित होकर मृतवत हो गए।

3. केवल युधिष्ठिर ही क्यों सफल हुए?

👉 युधिष्ठिर ने धैर्य, विवेक और धर्मनिष्ठा का परिचय देते हुए यक्ष के सभी प्रश्नों का उत्तर शांति और गम्भीरता से दिया। इसलिए यक्ष प्रसन्न होकर उनके भाइयों को पुनर्जीवित कर दिया।

4. यक्ष–युधिष्ठिर संवाद से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

👉 यह संवाद सिखाता है कि संकट की घड़ी में धैर्य और संयम बनाए रखना चाहिए। ज्ञान, सत्य और धर्मनिष्ठा से ही वास्तविक सफलता मिलती है, न कि केवल बल या पराक्रम से।

5. यक्ष ने युधिष्ठिर से किस प्रकार के प्रश्न पूछे?

👉 यक्ष ने धर्म, सत्य, कर्तव्य, मित्रता, मृत्यु, जीवन का सार, ज्ञान और मानव-धर्म से जुड़े गहन प्रश्न पूछे थे।

6. यक्ष वास्तव में कौन था?

👉 महाभारत के अनुसार वह यक्ष वास्तव में धर्मराज (यमराज) थे, जो युधिष्ठिर के पिता थे। उन्होंने अपने पुत्र की परीक्षा लेने के लिए यक्ष का रूप धारण किया था।



Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!