अधिकरण कारक (Adhikaraṇa Kārakah) – सप्तमी विभक्ति Explained in Hindi | Sanskrit Grammar with Examples

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

अधिकरण कारक (Adhikaraṇa Kārakah) संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कारक है, जो क्रिया के होने के आधार, स्थान, या आश्रय को व्यक्त करता है। यह बताता है कि कोई क्रिया कहाँ, कब या किस विषय में घटित होती है। पाणिनि के सूत्र “आधारोऽधिकरणम्” (अष्टाध्यायी १.४.४५) के अनुसार अधिकरण वह होता है जिसमें क्रिया टिकती है या घटित होती है, और “सप्तम्यधिकरणे च” (२.३.३६) के अनुसार इस कारक में सदैव सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है। अधिकरण के तीन प्रमुख प्रकार हैं — औपश्लेषिक (स्पर्श द्वारा संबंधित), वैषयिक (विषयगत), और अभिव्यापक (व्याप्ति के रूप में)। उदाहरणस्वरूप — “वृक्षे वानरः तिष्ठति” (वानर वृक्ष पर ठहरता है) तथा “सूर्ये उदिते कमलानि विकसन्ति” (सूर्य के उगने पर कमल खिलते हैं)। यह कारक वाक्य को स्थानिक (locative) और कालिक (temporal) दोनों दृष्टियों से पूर्ण करता है और “कहाँ”, “कब” जैसे प्रश्नों के उत्तर देता है। संस्कृत भाषा में अधिकरण कारक के अध्ययन से वाक्य रचना की स्पष्टता, अभिव्यक्ति की गहराई और व्याकरण की सूक्ष्मता को समझने में सहायता मिलती है।

जानिए अधिकरण कारक (Adhikaraṇa Kārakah) क्या है, इसके प्रकार, सूत्र, और उदाहरण। सप्तमी विभक्ति में प्रयोग सहित सरल व्याख्या।

अधिकरण कारक (Adhikaraṇa Kārakah) – सप्तमी विभक्ति Explained in Hindi | Sanskrit Grammar with Examples


🌿 अधिकरण कारक (Adhikaraṇa Kārakah) – सप्तमी विभक्ति

🔹 परिभाषा (Definition)

संस्कृत व्याकरण में अधिकरण कारक वह होता है जो क्रिया के होने के आधार या आश्रय (Location / Context) को बताता है।
यह बताता है कि क्रिया कहाँ, कब या किस विषय पर हो रही है।
👉 इसमें सदैव सप्तमी विभक्ति (Locative Case) का प्रयोग होता है।

अधिकरण कारक (Adhikaraṇa Kārakah) – सप्तमी विभक्ति Explained in Hindi | Sanskrit Grammar with Examples
अधिकरण कारक (Adhikaraṇa Kārakah) – सप्तमी विभक्ति Explained in Hindi | Sanskrit Grammar with Examples


१. कारक संज्ञा विधायक सूत्र (Rule for Kāraka Designation)

सूत्र (Sūtram) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
आधारोऽधिकरणम् (पाणिनि, अष्टाध्यायी १.४.४५) जो स्थान या आश्रय किसी क्रिया का आधार हो, वही अधिकरण कहलाता है। कटे आस्ते। (वह चटाई पर बैठता है।)

✳️ विवेचन (Explanation)

आधार तीन प्रकार का होता है –

प्रकार विवरण उदाहरण
(१) औपश्लेषिक (Physical Contact) जब आधार और आधेय (Subject) में भौतिक स्पर्श होता है। स्थाल्यां पचति। (थाली में पकाता है।)
(२) वैषयिक (Contextual / Subjective) जब आधार बौद्धिक या विषयगत हो, न कि भौतिक। मोक्षे इच्छा अस्ति। (मोक्ष में इच्छा है।)
(३) अभिव्यापक (Pervasive) जब आधार पूरे आधेय में व्याप्त हो। तिलेषु तैलम्। (तिलों में तेल है।)

२. सप्तमी विभक्ति विधायक सूत्र (Rule for Saptamī Vibhakti)

सूत्र (Sūtram) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
सप्तम्यधिकरणे च (२.३.३६) अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है। वृक्षे वानरः तिष्ठति। (वानर वृक्ष पर ठहरता है।)

३. अधिकरण कारक के विशेष नियम (Special Conditions of Adhikaraṇa Kāraka)

(क) भाव-सप्तमी (Absolute Locative)

सूत्र: यस्य च भावेन भावलक्षणम् (२.३.३७)
अर्थ: जब एक क्रिया के समय पर दूसरी क्रिया होती है, तो पहली क्रिया और उसके कर्ता में सप्तमी होती है।

उदाहरण अर्थ
सूर्ये उदिते कमलानि विकसन्ति। सूर्य के उगने पर कमल खिलते हैं।
गोषु दुह्यमानासु गतः। गायों के दुहे जाने पर वह गया।

(ख) निर्धारण (In Determination)

सूत्र: यतश्च निर्धारणम् (२.३.४१)
अर्थ: जब किसी समूह में से किसी एक को श्रेष्ठ या विशिष्ट बताया जाता है, तो सप्तमी (या षष्ठी) विभक्ति होती है।

उदाहरण अर्थ
नरेषु रामः श्रेष्ठः। मनुष्यों में राम श्रेष्ठ हैं।
कवीषु कालिदासः श्रेष्ठः। कवियों में कालिदास श्रेष्ठ हैं।

(ग) स्नेह या विश्वास के प्रसंग में (In Context of Affection or Faith)

नियम: ‘स्नेह्’ (स्नेह करना), ‘विश्’ (विश्वास करना) आदि धातुओं के साथ जिस पर स्नेह या विश्वास किया जाता है, वह सप्तमी विभक्ति में आता है।

उदाहरण अर्थ
पिता पुत्रे स्निह्यति। पिता पुत्र पर स्नेह करता है।
देवे विश्वसिति। देवता में विश्वास करता है।

🌸 अधिकरण कारक का महत्त्व (Importance of Adhikaraṇa Kāraka)

अधिकरण कारक क्रिया को समय (काल) और स्थान (देश) से जोड़ता है।
यह वाक्य को पूर्ण अर्थ प्रदान करता है और ‘कहाँ’ (Where?) तथा ‘कब’ (When?) जैसे प्रश्नों का उत्तर देता है।

प्रश्न उत्तर का प्रकार उदाहरण
कहाँ? स्थान बताने वाला अधिकरण गृहे पठति। (घर में पढ़ता है।)
कब? काल बताने वाला अधिकरण रात्रौ विश्रामः। (रात में विश्राम है।)

🌼 संक्षेप (Summary)

पक्ष विवरण
कारक का नाम अधिकरण कारक
विभक्ति सप्तमी
मुख्य सूत्र आधारोऽधिकरणम् (१.४.४५), सप्तम्यधिकरणे च (२.३.३६)
मुख्य प्रश्न कहाँ? कब? किसमें?
प्रयोग के प्रकार औपश्लेषिक, वैषयिक, अभिव्यापक
उदाहरण स्थाल्यां पचति, सूर्ये उदिते कमलानि विकसन्ति, देवे विश्वसिति


Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!