“Bhagwan Ka Ghar” एक हृदयस्पर्शी प्रेरक कहानी है जो बताती है कि यदि हम अपने घर को भगवान का घर मानें, तो जीवन में शांति, प्रेम और सकारात्मकता स्वतः आ जाती है।
Bhagwan Ka Ghar – जीते जी भगवान के घर में रहना क्या होता है?
🌺 भगवान का घर — एक प्रेरक प्रसंग 🌺
1. एक साधारण दोपहर की असाधारण भेंट
“बाबूजी, क्या आपको किसी सहायता की आवश्यकता है?”
वृद्ध ने नम्र स्वर में कहा —
“बेटा, बीमारी के कारण मेरे हाथ काँपते हैं। मुझे पैसे निकालने की स्लिप भरनी है, इसलिए देख रहा था कि कोई मदद कर दे तो अच्छा होगा।”
मैंने आदरपूर्वक कहा —
“यदि आप अनुमति दें तो मैं आपकी स्लिप भर दूँ?”
वे मुस्कुराए, बोले —
“बिलकुल बेटा, भगवान तुम्हें सुख दे।”
“जरा गिन दोगे? हाथों में कंपकंपी है।”
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Bhagwan Ka Ghar – जीते जी भगवान के घर में रहना क्या होता है? |
2. मार्ग में एक नई सीख
बैंक से बाहर निकलते समय वे बोले —
“माफ करना बेटा, एक और कष्ट देना पड़ेगा। ज़रा कोई रिक्शा करवा दो। इस दोपहर में रिक्शा मिलना कठिन होता है।”
मैंने मुस्कुराकर कहा —
“बाबूजी, मैं भी उसी दिशा में जा रहा हूँ। यदि आप अनुमति दें तो मैं आपको अपनी कार से घर छोड़ दूँ।”
वे पहले तो झिझके, फिर बोले —
“क्यों नहीं बेटा, चलो।”
रास्ते भर हम हल्की बातचीत करते रहे। उनके शब्दों में अनुभव की गहराई और आत्मीयता थी।
कुछ ही देर में हम उनके घर पहुँचे।
3. भगवान का घर
वृद्ध सज्जन ने मुस्कुराते हुए कहा —
“अरे चिंता मत करना, यह सज्जन मुझे बैंक से छोड़ने आए हैं।”
थोड़ी देर बाद हम सभी बैठ गए। चाय आई, और बातचीत का क्रम आरंभ हुआ।
उन्होंने कहा —
“बेटा, हम दोनों पति-पत्नी ही यहाँ रहते हैं। हमारे बच्चे विदेश में हैं।”
फिर उन्होंने सहज भाव से कहा —
“यह भगवान का घर है।”
मैंने जिज्ञासापूर्वक पूछा —
“भगवान का घर? क्या कोई विशेष अर्थ है इसका?”
वे बोले —
“हाँ बेटा, हमारे परिवार में यह परंपरा रही है कि हम अपने घर को ‘भगवान का घर’ कहते हैं।लोग कहते हैं — ‘यह हमारा घर है और इसमें भगवान रहते हैं।’पर हम कहते हैं — ‘यह भगवान का घर है, और हम उसमें रहते हैं।’”
मैं उनकी बात सुनकर गहरे विचार में पड़ गया।
4. दर्शन की गहराई
उन्होंने आगे कहा —
“देखो बेटा, जब हम यह मान लेते हैं कि यह घर भगवान का है, तो फिर इसमें कोई गलत कार्य, झूठ, छल, या अशुद्ध विचार प्रवेश ही नहीं कर पाता।यह भावना हमें सतत सजग रखती है। हर क्रिया, हर व्यवहार में एक पवित्रता का भाव आ जाता है।”
फिर वे मुस्कुराए और बोले —
“लोग मृत्यु के बाद भगवान के घर जाते हैं,और हम तो जीते-जी ही भगवान के घर में रह रहे हैं!”
5. अंतःप्रेरणा
वहाँ से लौटते हुए मैं सोचता रहा —
“घर भगवान का, और हम उसमें रहने वाले।”
सचमुच,
“जहाँ भगवान का घर हो —वहाँ हर विचार पूजा बन जाता है,हर कर्म आराधना,और हर दिन प्रसाद।”