धन त्रयोदशी (Dhanteras) या धन्वंतरि जयंती दीपावली का प्रथम दिवस है। इस दिन भगवान विष्णु के अमृतस्वरूप अवतार भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृतकलश लेकर प्रकट हुए थे। यह तिथि आरोग्य, समृद्धि और दीर्घायु की कामना का पर्व है। इस लेख में जानिए धन त्रयोदशी का महात्म्य, पूजा विधि, यम दीपदान का महत्व, और इस दिन करने योग्य (कर्णीय) तथा न करने योग्य (अकर्णीय) कार्य।
जानें कि इस दिन कौन से कार्य शुभ फल देते हैं — जैसे धन्वंतरि पूजा, दीपदान, बर्तन या स्वर्ण की खरीद — और कौन से कर्म अशुभ माने जाते हैं जैसे क्रोध, अशुद्धता, तेल देना या अपव्यय।
धनतेरस का यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्चा धन आरोग्य, आयु और सत्कर्म है। भगवान धन्वंतरि की कृपा से इस दिन आरोग्य, दीर्घायु और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
Dhan Trayodashi Mahatmya: धनतेरस का महत्व, करने और न करने योग्य कार्य | Dhanteras Puja Vidhi & Yam Deep Daan
धनतेरस या धन त्रयोदशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिवाली पर्व का प्रथम दिन होता है, और इस दिन का धार्मिक, आयुर्वैदिक, तथा ज्योतिषीय — तीनों स्तरों पर अत्यंत गूढ़ महत्व है।
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Dhan Trayodashi Mahatmya: धनतेरस का महत्व, करने और न करने योग्य कार्य | Dhanteras Puja Vidhi & Yam Deep Daan |
🪔 १. पौराणिक महत्त्व
🌿 (क) धन्वंतरि अवतार
शास्त्रों में उल्लेख है —
"धन्वंतरिर्महोद्योगी वैद्यराजोऽमृतालयः।त्रयोदश्यां समुत्पन्नो लोकानां हितकाम्यया॥"
अर्थात् – कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अमृतकलश लेकर लोककल्याण के लिए प्रकट हुए।
🌿 (ख) यम दीपदान कथा
"यमदीप" जलाने से अकाल मृत्यु नहीं होती।
💰 २. “धन” का आध्यात्मिक अर्थ
🌺 ३. पूजा-विधान
- सायंकाल धन्वंतरि देवता का पूजन करें।
- तुलसी पत्र, चंदन, दीप, नैवेद्य से आराधना करें।
- दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर “यम दीपदान” करें।
- औषधि, पीतल, बर्तन या सोना खरीदना शुभ माना जाता है।
धन्वंतरि मंत्र :
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलश हस्तायसर्वामय विनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय श्री महाविष्णवे नमः॥
🌼 ४. आयुर्वेदिक महत्त्व
🌞 ५. ज्योतिषीय दृष्टि से
- सूर्य तुला राशि में होते हैं — संतुलन का प्रतीक।
- इस दिन किये गये क्रय-विक्रय, विशेषतः धातु का, शुभ फलदायक होता है।
- दीपदान पाप निवारण और मंगलकारी फल प्रदान करता है।
🌼 ६. लोक परंपरा
🕉️ ७. सारांश (धन त्रयोदशी का संदेश)
धन त्रयोदशी हमें यह स्मरण कराती है कि —
“सच्चा धन वह है जो शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ बनाता है।”
🪔 धन त्रयोदशी : कर्णीय एवं अकर्णीय कार्यों की सारणी
क्रमांक | 🕉️ कर्णीय कार्य (करने योग्य) | 🚫 अकर्णीय कार्य (न करने योग्य) |
---|---|---|
1 | भगवान धन्वंतरि की विधिपूर्वक पूजा करें, तुलसी पत्र, दीप, चंदन अर्पित करें। | किसी भी प्रकार की पूजा की उपेक्षा या देवताओं का अपमान न करें। |
2 | सायंकाल यम दीपदान करें — दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं। | दीपक न जलाना या दीपक बुझाना अशुभ माना गया है। |
3 | धन, धातु, बर्तन या औषधि खरीदें — विशेषकर पीतल या चाँदी। | किसी को धन उधार देना या अनावश्यक खर्च करना निषिद्ध है। |
4 | घर और शरीर की स्वच्छता एवं सुगंध बनाए रखें। | घर में कचरा, गंदगी या अस्त-व्यस्तता न रखें। |
5 | सात्त्विक भोजन करें, गौ एवं ब्राह्मण को दान दें। | मांस, मद्य, लहसुन, प्याज का सेवन वर्जित है। |
6 | स्वास्थ्य-संकल्प लें और औषधि या आरोग्य-सामग्री का आदर करें। | रोग, मृत्यु या नकारात्मक विषयों पर चर्चा न करें। |
7 | अपने धन का उपयोग धर्म, सेवा, और कल्याण में करने का संकल्प लें। | धन का अपव्यय, लोभ या अहंकार न करें। |
8 | दीपक, कंकण, स्वर्ण, रत्न का पूजन शुभ है। | तेल मलना या तेल देना (संध्या के बाद) अशुभ माना गया है। |
9 | परिवार में प्रसन्नता, सौहार्द और शांति बनाए रखें। | झगड़ा, कटु वचन, या क्रोध से वातावरण दूषित न करें। |
10 | शाम को लक्ष्मी-कुबेर का ध्यान करें और दीपावली की तैयारी प्रारंभ करें। | लक्ष्मीजी के नाम पर व्यर्थ दिखावा या छल-कपट न करें। |
🌿 शास्त्रीय संदेश :
“धनं हि धर्मस्य साधनं न तु दम्भाय।”— धन धर्म का साधन है, दंभ (अहंकार) का कारण नहीं।
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