कार्तिक मास भगवान श्रीहरि विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस माह में किया गया दीपदान समस्त व्रतों, यज्ञों और तीर्थस्नानों के समान फलदायक होता है। स्कन्दपुराण, पद्मपुराण, लिंगपुराण और अग्निपुराण में दीपदान के चमत्कारिक फलों का उल्लेख है — जैसे आयु, धन, नेत्रज्योति, सौभाग्य, विष्णुभक्ति और स्वर्गलोक की प्राप्ति। कार्तिक मास की प्रत्येक संध्या में तुलसी, देवालय, शिवलिंग और श्रीहरि के समक्ष दीपदान करने से अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट होता है और आत्मा में दिव्यता का प्रकाश होता है। यहाँ पढ़ें दीपदान का महत्व, स्थान, विधि, मंत्र और पुराणों के प्रमाण सहित संपूर्ण विवरण।
🪔Kartik Maas Deep Daan Mahatmya | कार्तिक मास में दीपदान का महत्व
🌕 कार्तिक मास का महत्व (Importance of Kartik Month)
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🪔 Kartik Maas Deep Daan Mahatmya | कार्तिक मास में दीपदान का महत्व |
🪔 दीपदान कहाँ करें (Where to Offer Lamps)
अग्निपुराण (अध्याय 200) कहता है —
🌸 देवद्विजातिकगृहे दीपदोऽब्दं स सर्वभाक्।जो देवालय या ब्राह्मण के गृह में दीपदान करता है, वह सब कुछ प्राप्त कर लेता है।
🔹 श्रेष्ठ दीपदान स्थल:
- 🛕 देवालय (Temple)
- 🌿 तुलसी के समीप
- 🌊 नदी या सरोवर के तट पर
- 🐄 गौशाला में
- 🌳 वृक्ष के नीचे
- 🛣️ सड़क या चौराहे पर
- 🏠 ब्राह्मण या अपने घर में
👉🏻 इन स्थानों पर दीपदान करने से सर्वतोमुखी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
🌷 पुराणों में दीपदान के प्रमाण (Scriptural References)
🪷 1. पद्मपुराण
तेनेष्टं क्रतुभिः सर्वैः कृतं तीर्थावगाहनम्।दीपदानं कृतं येन कार्तिके केशवाग्रतः॥
➡️ जो कार्तिक मास में श्रीहरि के समक्ष दीपदान करता है, उसने सारे यज्ञों और तीर्थस्नानों का फल पा लिया।
🪷 2. ब्रह्मवैवर्त पुराण
जो कार्तिक में श्रीहरि को घृत का दीप देता है,वह दीप जलने के प्रत्येक क्षण के बराबर हरिधाम में आनंद भोगता है।
➡️ वह विष्णुभक्त, दीप्तिमान, नेत्रज्योति युक्त और धनवान बनता है।
🪷 3. स्कन्दपुराण (माहेश्वरखण्ड)
ये दीपमालां कुर्वंति कार्तिक्यां श्रद्धयान्विताः॥यावत्कालं प्रज्वलंति दीपास्ते लिंगमग्रतः॥तावद्युगसहस्राणि दाता स्वर्गे महीयते॥
➡️ जो श्रद्धापूर्वक शिवलिंग के समीप दीपमाला चढ़ाता है, उसके दीप जितने समय जलते हैं, उतने हजार युगों तक वह स्वर्ग में प्रतिष्ठित रहता है।
🪷 4. लिंगपुराण
कार्तिके मासि यो दद्याद्धृतदीपं शिवाग्रतः।।संपूज्यमानं वा पश्येद्विधिना परमेश्वरम्।।
➡️ जो कार्तिक में शिव के समक्ष घृत दीप समर्पित करता है, वह ब्रह्मलोक जाता है।
यो दद्याद्धृतदीपं च सकृल्लिंगस्य चाग्रतः।।स तां गतिमवाप्नोति स्वाश्रमैर्दुर्लभां रिथराम्।।
➡️ एक बार भी दीप अर्पित करने से मनुष्य दुर्लभ मुक्ति को प्राप्त करता है।
आयसं ताम्रजं वापि रौप्यं सौवर्णिकं तथा।।शिवाय दीपं यो दद्याद्विधिना वापि भक्तितः।।सूर्यायुतसमैः श्लक्ष्णैर्यानैः शिवपुरं व्रजेत्।।
➡️ जो लोहे, ताँबे, चाँदी या सोने का दीप भक्तिपूर्वक अर्पित करता है, वह शिवलोक को जाता है।
🔆 दीपदान के लाभ (Benefits of Deep Daan)
लाभ | विवरण | प्रमाण |
---|---|---|
✨ स्वर्गलोक प्राप्ति | दीपदान करने वाला देवताओं द्वारा पूजित होकर स्वर्गलोक जाता है | अग्निपुराण |
🪷 नेत्रज्योति और आयु | दीपदान से नेत्रज्योति बढ़ती है और दीर्घायु होती है | अग्निपुराण |
🌕 धन और सौभाग्य | दीपदान करने से लक्ष्मी कृपा और धन की वृद्धि होती है | पद्मपुराण |
🕉️ विष्णुभक्ति और मोक्ष | दीपदान करने से विष्णुभक्ति और मुक्तिदायक गति मिलती है | ब्रह्मवैवर्त पुराण |
🕯️ अंधकार नाश | दीपदान अज्ञान और पाप का नाश करता है | सर्वपुराणसंग्रह |
🪔 दीपदान की विधि (Step-by-Step Method)
🟣 1. दीप का चयन करें
- मिट्टी, ताँबा, चाँदी, पीतल या सोने का दीप उत्तम है।
- मिट्टी का दीप 3–4 घंटे पानी में भिगोकर सुखा लें।
🟣 2. आवश्यक सामग्री
- घी या तिल का तेल
- रुई की बत्ती या कलावा
- चावल या गेहूँ का आसन
- पुष्प, अक्षत, गंध, तुलसीदल
🟣 3. दीप को भूमि पर न रखें
कालिका पुराण के अनुसार —“दातव्यो न तु भूमौ कदाचन।सर्वसहा वसुमती सहते न त्विदं द्वयम्।।”
👉🏻 दीपक को चावल, गेहूँ या सप्तधान्य पर ही रखें।
🟣 4. दीपदान का समय
- प्रदोषकाल या सूर्यास्त के पश्चात।
- शांत मन से स्नान-पूजन कर दीप प्रज्वलित करें।
🟣 5. दीपदान मंत्र
दीपं देवानां प्रियं तस्मात् प्रदीपं प्रज्वालयेत्।अज्ञानं तिमिरं नश्येद्दिव्यं ज्ञानं प्रदीयते॥
या
ॐ दीप देवाय नमः। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
🌺 विशेष विधान
- प्रतिदिन दो दीप अवश्य जलाएँ —1️⃣ एक श्रीहरि नारायण के समक्ष।2️⃣ दूसरा शिवलिंग के समक्ष।
- तुलसी, देवालय, नदीतट या गौशाला में दीपदान करें।
- दीपदान के साथ दारिद्रदहन शिवस्तोत्र और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करें।
🌕 आध्यात्मिक अर्थ (Spiritual Meaning of Deep Daan)
✨ दीपदानं कृतं येन कार्तिके केशवाग्रतः।तेनेष्टं क्रतुभिः सर्वैः कृतं तीर्थावगाहनम्॥
➡️ जो कार्तिक में श्रीहरि के समक्ष दीप जलाता है, वह सारे तीर्थों और यज्ञों का पुण्य एक साथ प्राप्त करता है।
🪔 निष्कर्ष (Conclusion)
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