धनतेरस 2025 (18 अक्टूबर, शनिवार) के दिन यम दीपदान करने का विशेष महत्व बताया गया है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होती है, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि इस दिन प्रदोषकाल में घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर यमराज के निमित्त दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है।
स्कन्दपुराण और पद्मपुराण दोनों में “कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे, यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति” श्लोक द्वारा इस विधान की पुष्टि की गई है।
दीपक आटे का, तेल तिल का और उसमें काले तिल डालना चाहिए। ‘ॐ यमदेवाय नमः’ कहते हुए दीप दक्षिण दिशा की ओर रखकर प्रज्वलित करें।
यह दीपदान केवल मृत्यु-निवारण का उपाय नहीं, बल्कि धर्म, आयुष्य और आत्मजागरण का प्रतीक है।
जानें — यम दीपदान का सही समय, विधि, मंत्र, और इसका आध्यात्मिक रहस्य।
Dhanteras 2025 Yama Deep Daan – धनतेरस पर यम दीपदान का महत्व, विधि और मंत्र | Dhanteras Yama Deepdan Puja Vidhi
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Dhanteras 2025 Yama Deep Daan – धनतेरस पर यम दीपदान का महत्व, विधि और मंत्र | Dhanteras Yama Deepdan Puja Vidhi |
🌕 धनतेरस के दिन यम दीपदानम् : अकाल मृत्यु से रक्षा का दिव्य विधान
🪔 धनतेरस 2025 की तिथि
➡ 18 अक्टूबर 2025, शनिवार — कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि अर्थात् धनत्रयोदशी के दिन यमराज के निमित्त दीपदान करने का अत्यंत शुभ विधान बताया गया है।
🌸 धनतेरस का आध्यात्मिक महत्व
📜 शास्त्रीय प्रमाण
✳️ स्कन्दपुराण का उल्लेख
🌷 कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति ॥
➡ अर्थ: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की सायंकाल में यमदेव के उद्देश्य से घर के बाहर दीपदान करने से अकाल मृत्यु का नाश होता है।
✳️ पद्मपुराण का उल्लेख
🌷 कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके ।यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति ॥
➡ अर्थ: जो व्यक्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यमराज के लिए घर के बाहर दीपदान करता है, उसकी दुर्गम मृत्यु अर्थात् असमय मृत्यु का नाश हो जाता है।
🔥 यम दीपदान की शास्त्रीय विधि
🕯️ समय – प्रदोषकाल
- दीपदान प्रदोषकाल (सूर्यास्त के लगभग 48 मिनट बाद) किया जाता है।
- इस समय की दिव्य ऊर्जा यमदेव के आधिपत्य में होती है।
🪔 दीप की सामग्री एवं स्वरूप
- दीपक – गेहूं के आटे से बना बड़ा दीपक लें।
- कारण: आटे का दीप तमोगुणी तरंगों को शांत करने की शक्ति रखता है।
- बत्तियाँ – दो लम्बी बत्तियाँ बनाकर उन्हें आड़ी रख दें ताकि दीपक के चार मुख बन जाएँ।
- तेल – तिल का तेल उपयोग करें।
- काले तिल – कुछ काले तिल तेल में डालें, ये यम के प्रतीक हैं।
- पूजन सामग्री – रोली, अक्षत, पुष्प।
🌾 स्थापन विधि
- घर के मुख्य द्वार के बाहर गेहूं की एक छोटी ढेरी बनाएं।
- उस पर प्रज्वलित दीपक रखें।
- दीपक की दिशा दक्षिण रखें, क्योंकि
- दक्षिण दिशा यम दिशा कही गई है।
- इस दिशा से यमतरंगें आकर्षित होती हैं और दीपक की ज्योति उन्हें शांत करती है।
- दीपक रखते समय बोले —“ॐ यमदेवाय नमः”और दक्षिण दिशा की ओर नमस्कार करें।
🔱 यम दीपदान का मन्त्र
🌼 मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह।त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम॥
भावार्थ :
🌺 गूढ़ अर्थ एवं भावार्थ
- धर्म,
- अर्थ,
- काम,
- मोक्ष — इन चार पुरुषार्थों का संतुलन ही सत्य जीवन है।
🌼 अतिरिक्त विधान
- कुछ क्षेत्रों में अगले दिन नरक चतुर्दशी को भी यम दीपदान किया जाता है।
- इस दिन यमराज के साथ-साथ धन्वंतरि भगवान, कुबेर, और माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
- घर की सीमा या आंगन के चारों कोनों पर भी दीपक जलाना शुभ माना गया है।
🌞 संक्षिप्त सार
तत्व | विवरण |
---|---|
पर्व | धनतेरस / धनत्रयोदशी |
तिथि | कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी |
वर्ष 2025 में | 18 अक्टूबर (शनिवार) |
प्रमुख देवता | यमराज (सूर्यपुत्र) |
उद्देश्य | अकाल मृत्यु निवारण, आयु वृद्धि |
विधि | आटे का दीप, तिल का तेल, काले तिल, प्रदोषकाल में दक्षिण दिशा में दीपदान |
मन्त्र | मृत्युना पाशदण्डाभ्यां… सूर्यजः प्रीयतां मम |
🌷 समापन विचार
🪔 “यम दीपक” वास्तव में मृत्यु के नहीं, बल्कि जीवन के प्रकाश का दीप है।