घातक रोगों से मुक्ति के वैदिक उपाय और कार्तिक मास का महत्व | Surya Upasana & Kartik Maas Significance

Sooraj Krishna Shastri
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जानिए कैसे रविवार सप्तमी और कार्तिक मास में सूर्य उपासना, तिल के दीपक, दान, स्नान और तुलसी पूजन से घातक रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।

शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी और बुधवारी अष्टमी जैसी तिथियाँ सूर्यग्रहण के समान पुण्यदायी मानी गई हैं।

महाभारत, स्कंदपुराण और शिवपुराण में कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इस मास में एक समय भोजन, अन्नदान, गुड़दान और तुलसी पूजन से पापों का क्षय होता है और आरोग्य, यश, तेज तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सूर्य भगवान के मंत्र “जपा-कुसुम-संकाशं काश्यपेयं महा-द्युतिम्...” के जप से शरीर, मन और आत्मा में दिव्यता का संचार होता है।

यह लेख आपको बताएगा — घातक रोगों से मुक्ति के वैदिक उपाय, कार्तिक मास के नियम, और दान-जप के शास्त्रीय रहस्य।

घातक रोगों से मुक्ति के वैदिक उपाय और कार्तिक मास का महत्व | Surya Upasana & Kartik Maas Significance

घातक रोगों से मुक्ति के वैदिक उपाय और कार्तिक मास का महत्व | Surya Upasana & Kartik Maas Significance
घातक रोगों से मुक्ति के वैदिक उपाय और कार्तिक मास का महत्व | Surya Upasana & Kartik Maas Significance

🌞 घातक रोगों से मुक्ति का उपाय एवं कार्तिक मास का दिव्य महत्व 🌞

(शास्त्रों पर आधारित आध्यात्मिक एवं वैदिक विवेचन)


🪷 १. घातक रोगों से मुक्ति का शास्त्रीय उपाय

🙏🏻 रविवार सप्तमी का दिन सूर्योपासना के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। आयु, आरोग्य और तेज प्राप्ति हेतु इस दिन विशेष विधि से सूर्य भगवान की पूजा करने का विधान है।

🔹 विधि :

  1. रविवार को सप्तमी तिथि होने पर बिना नमक का भोजन करें।

  2. बड़ (वट) वृक्ष के चारों ओर १०८ फेरे लगाएँ।

  3. सूर्य भगवान की प्रतिमा या साक्षात सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।

  4. तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित कर सूर्य भगवान को दिखाएँ।

  5. निम्न मंत्र का श्रद्धा से जप करें –

    🌞 "जपा-कुसुम-संकाशं काश्यपेयं महा-द्युतिम् ।
    तमोऽरिं सर्व-पापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥"

🔹 फलश्रुति :

यदि किसी परिवार में कोई व्यक्ति दीर्घ या घातक रोग से पीड़ित है, तो परिवार का सदस्य यह विधि श्रद्धापूर्वक करे —
👉🏻 रोग-निवारण, आरोग्य और तेज में वृद्धि होती है।


🌿 २. शुभ तिथियाँ : जप, ध्यान, दान के लिए विशेष फलदायिनी

शास्त्रों में कुछ तिथियाँ ऐसी कही गई हैं जो सूर्यग्रहण के समान पुण्यफलदायिनी होती हैं।

🌷 शुभ तिथियाँ :

  1. सोमवती अमावस्या
  2. रविवारी सप्तमी
  3. मंगलवारी चतुर्थी
  4. बुधवारी अष्टमी

इन तिथियों पर किया गया –
🪷 जप, ध्यान, स्नान, दान, और श्राद्धअक्षय फल प्रदान करते हैं।
(संदर्भ – शिव पुराण, विद्येश्वर संहिता, अध्याय 10)


🌕 ३. कार्तिक मास का प्रारंभ और महत्व

🔹 प्रारंभ तिथि :

  • उत्तर भारत में — 07 अक्टूबर, मंगलवार से
  • गुजरात एवं महाराष्ट्र में — 22 अक्टूबर, बुधवार से

🔹 महाभारत अनुशासन पर्व (अध्याय 106) अनुसार :

“कार्तिकं तु नरो मासं यः कुर्यादेकभोजनम्।
शूरश्च बहुभार्यश्च कीर्तिमांश्चैव जायते॥”

👉🏻 जो व्यक्ति कार्तिक मास में एक समय भोजन करता है, वह पराक्रमी, यशस्वी और सौभाग्यशाली होता है।


🚫 ४. कार्तिक मास में निषेध आहार एवं विशेष दान

🔸 वर्जित आहार :

कार्तिक मास में बैंगन और करेला का सेवन निषिद्ध बताया गया है।

🔸 दान के विधान :

  • महाभारत अनुशासन पर्व, अध्याय 66 :
    जो कार्तिक शुक्ल पक्ष में अन्नदान करता है, वह सभी संकटों से पार पाकर स्वर्गीय सुख का भागी बनता है।
  • शिवपुराण अनुसार :
    कार्तिक में गुड़ का दान करने से जीवन में मधुरता और स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति होती है।

🌼 ५. कार्तिक मास का सर्वोच्च स्थान (स्कंदपुराण प्रमाण)

🔹 स्कंदपुराण वैष्णवखंड में कहा गया है :

“मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः।
तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ॥”

👉🏻 मासों में कार्तिक श्रेष्ठ है, देवों में श्रीमधुसूदन (विष्णु) श्रेष्ठ हैं, और तीर्थों में बद्रिकाश्रम का नारायणतीर्थ श्रेष्ठ है। यह त्रय कलियुग में दुर्लभ हैं।

🔹 दूसरे श्लोक में वर्णन है :

“न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगम्।
न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थं गङ्गया समम्॥”

👉🏻 कार्तिक के समान कोई महीना नहीं, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।


🌸 ६. भगवान श्रीकृष्ण की दृष्टि में कार्तिक मास का गौरव

“कृष्णप्रियो हि कार्तिकः, कार्तिकः कृष्णवल्लभः।”

🙏🏻 भगवान श्रीकृष्ण को –

  • वनस्पतियों में तुलसी,
  • तीर्थों में द्वारिका पुरी,
  • तिथियों में एकादशी,
  • और मासों में कार्तिक
    सबसे प्रिय हैं।

👉🏻 इसलिए कार्तिक मास को “कृष्णप्रिय मास”, “धर्म-माहात्म्य मास”, और “मोक्षद मास” कहा गया है।


🔅 ७. निष्कर्ष :

🌺 जो व्यक्ति श्रद्धा, संयम और सात्विक भाव से कार्तिक मास में सूर्य उपासना, दान, व्रत, स्नान और जप का पालन करता है,
👉🏻 वह आरोग्य, आयु, तेज, और पुण्य से परिपूर्ण होकर समस्त पापों से मुक्त होता है।


संक्षेप में –

क्रम क्रिया फल
1 रविवार सप्तमी पर बिना नमक भोजन रोगमुक्ति
2 सूर्य पूजा व अर्घ्य आरोग्य एवं तेज
3 कार्तिक मास में व्रत-स्नान अक्षय पुण्य
4 तिल के दीपक का दान पाप-नाश
5 तुलसी पूजन श्रीकृष्ण की कृपा
6 गुड़ दान मधुर जीवन
7 अन्नदान संकटमोचन

🌷 "सूर्यः सर्वस्य चक्षुः स्यात् कार्तिकः पुण्यकृत्तमः।
यः श्रद्धया समाचरेत् तस्य पापं क्षयं व्रजेत्॥" 🌷



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