करण कारक (Karaṇa Kārakah) – तृतीया विभक्ति में प्रयोग, सूत्र, उदाहरण सहित | Sanskrit Grammar Notes

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत व्याकरण में करण कारक उस साधन या माध्यम को कहते हैं जो क्रिया की सिद्धि में सहायक होता है। जानिए — करण कारक की परिभाषा, पाणिनि सूत्र, तृतीया विभक्ति नियम, उदाहरण, और अपादान से अंतर।

करण कारक (Karaṇa Kārakah) – तृतीया विभक्ति में प्रयोग, सूत्र, उदाहरण सहित | Sanskrit Grammar Notes


🌿 करण कारक (Karaṇa Kārakah) – तृतीया विभक्ति (Instrumental Case)

🔹 परिभाषा (Definition)

संस्कृत व्याकरण में करण कारक उस साधन या माध्यम को कहते हैं जो क्रिया की सिद्धि (पूरा होने) में सबसे अधिक सहायक होता है।
इसमें सदैव तृतीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।


🔹 १. कारक संज्ञा विधायक सूत्र (The Rule for Kāraka Designation)

सूत्र (Sūtram) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
साधकतमं करणम् (पाणिनि, अष्टाध्यायी १.४.४२) क्रिया की सिद्धि में कर्ता का जो सबसे उत्कृष्ट सहायक (साधकतम) होता है, वही करण कहलाता है। सः कलमेन लिखति। (वह कलम से लिखता है। — लिखने में कलम सबसे बड़ा साधन है।)

विवेचन:
साधकतमम्’ शब्द यह दर्शाता है कि क्रिया के कई साधन हो सकते हैं, परंतु जिसके बिना क्रिया संभव नहीं, वही मुख्य करण कहलाता है।

करण कारक (Karaṇa Kārakah) – तृतीया विभक्ति में प्रयोग, सूत्र, उदाहरण सहित | Sanskrit Grammar Notes
करण कारक (Karaṇa Kārakah) – तृतीया विभक्ति में प्रयोग, सूत्र, उदाहरण सहित | Sanskrit Grammar Notes


🔹 २. तृतीया विभक्ति विधायक सूत्र (Rule for Tṛtīyā Vibhakti)

सूत्र (Sūtram) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
कर्तृकरणयोस्तृतीया (२.३.१८) अनुक्त (अप्रधान) कर्ता और करण में तृतीया विभक्ति होती है। रामेण (कर्ता) बाणेन (करण) वाली हतः। (राम के द्वारा बाण से वाली मारा गया।)

नोट:

  • अनुक्त कर्ता – कर्मवाच्य वाक्य में कर्ता प्रायः अनुक्त होता है, अतः उसमें भी तृतीया विभक्ति आती है।
    🔸 उदाहरण: मया लेखः पठ्यते। (मेरे द्वारा लेख पढ़ा जाता है।)
  • करण सदैव अनुक्त साधन होता है, अतः इसमें हमेशा तृतीया विभक्ति आती है।

🔹 ३. करण कारक के विशेष प्रयोग (Special Usages of Karaṇa Kārakah)

(क) सहार्थक शब्दों के साथ

सूत्र अर्थ उदाहरण
सहयुक्तेऽप्रधाने (२.३.१९) ‘सह’, ‘साकम्’, ‘समम्’, ‘सार्धम्’ जैसे सहार्थक शब्दों के साथ जो अप्रधान हो, उसमें तृतीया विभक्ति होती है। पिता पुत्रेण सह गच्छति। (पिता पुत्र के साथ जाता है।)

(ख) अंगविकार (Defect in a Limb)

सूत्र अर्थ उदाहरण
येनाङ्गविकारः (२.३.२०) जिस अंग में विकार (दोष) हो, उस अंगवाचक शब्द में तृतीया विभक्ति होती है। सः नेत्रेण काणः। (वह आँख से काना है।)
पादेन खञ्जः। (वह पैर से लंगड़ा है।)

(ग) हेतु (Reason or Cause)

सूत्र अर्थ उदाहरण
हेतौ (२.३.२३) किसी कार्य के कारण या हेतु को व्यक्त करने वाले शब्द में तृतीया विभक्ति होती है। सः पुण्येन हरिं पश्यति। (वह पुण्य के कारण हरि को देखता है।)
अध्ययनेन वसति। (अध्ययन के लिए रहता है।)

(घ) प्रकृति, जाति, नाम, गोत्र आदि के साथ

नियम अर्थ उदाहरण
‘प्रकृति’, ‘जाति’, ‘नाम’, ‘गोत्र’ आदि वाचक शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। सः प्रकृत्या साधुः अस्ति। (वह स्वभाव से सीधा है।)
जात्या ब्राह्मणः। (जाति से ब्राह्मण है।)

🔹 ४. करण और अपादान कारक में अंतर

(Comparison between Karaṇa & Apādāna Kāraḳas)

कारक अर्थ विभक्ति उदाहरण
करण कारक साधन या सहायता का भाव तृतीया सः हस्तेन खादति। (वह हाथ से खाता है।)
अपादान कारक अलग होने या पृथकता का भाव पञ्चमी सः ग्रामात् आगच्छति। (वह गाँव से आता है।)

🌿 सारांश (Summary)

  • करण कारक क्रिया के साधन को व्यक्त करता है।
  • इसका प्रमुख सूत्र: साधकतमं करणम् (१.४.४२)
  • इसमें सदैव तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
  • विशेष प्रयोग — सहार्थक शब्दों में, अंगविकार, हेतु तथा प्रकृति-जाति के संबंध में।


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