कर्ता कारक और प्रथमा विभक्ति (Kartā Kāraka and Prathamā Vibhakti) – Sanskrit Grammar Explained in Hindi

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत व्याकरण में कर्ता कारक और प्रथमा विभक्ति का विस्तृत विवेचन, सूत्रों, उदाहरणों व अर्थ सहित। Learn Kartā Kāraka & Prathamā Vibhakti in Hindi.

कर्ता कारक और प्रथमा विभक्ति (Kartā Kāraka and Prathamā Vibhakti) – Sanskrit Grammar Explained in Hindi


कर्ता कारक (Kartā Kārakah) एवं प्रथमा विभक्ति (Prathamā Vibhakti)

(संस्कृत व्याकरण के आधार पर विस्तृत विवेचन)


१. कारक संज्ञा विधायक सूत्र (Rule for Kāraka Designation)

सूत्र (Sūtram) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
स्वतन्त्रः कर्ता (१.४.५४) जो क्रिया को करने में स्वतंत्र (प्रधान) होता है, वही कर्ता कहलाता है। रामः गृहं गच्छति। (राम घर जाता है। ‘गच्छति’ क्रिया में राम स्वयं क्रिया का कर्ता है।)

🔹 विवेचन:
‘स्वतंत्र’ का अभिप्राय यह है कि कर्ता क्रिया के संपादन में किसी अन्य कारक पर निर्भर नहीं रहता। वह स्वयं अन्य कारकों — जैसे कर्म, करण, संप्रदान आदि — को क्रिया से जोड़ने में समर्थ होता है।
कर्ता क्रिया की सिद्धि में मुख्य नियामक तत्व होता है।

कर्ता कारक और प्रथमा विभक्ति (Kartā Kāraka and Prathamā Vibhakti) – Sanskrit Grammar Explained in Hindi
कर्ता कारक और प्रथमा विभक्ति (Kartā Kāraka and Prathamā Vibhakti) – Sanskrit Grammar Explained in Hindi


२. प्रथमा विभक्ति विधायक सूत्र (Rule for Prathamā Vibhakti)

सूत्र (Sūtram) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
प्रातिपदिकार्थलिङ्गपरिमाणवचनमात्रे प्रथमा (२.३.४६) किसी शब्द के मूल अर्थ, लिङ्ग, परिमाण और वचन को प्रकट करने के लिए प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है। उच्चैः, कृष्णः (प्रातिपदिकार्थ); द्रोणो व्रीहिः (परिमाण); एकः, द्वौ, बहवः (वचन)
उक्ते कर्तरि प्रथमा जब कर्ता स्पष्ट रूप से कहा गया हो, तो उसमें प्रथमा विभक्ति होती है। सः जलं पिबति। (वह जल पीता है।)

🔹 विवेचन:

  • ‘उक्त’ का अर्थ है — जो क्रिया में प्रकट या अभिहित है।
    कर्तृवाच्य (Active voice) में क्रिया का पुरुष और वचन कर्ता के अनुसार होता है, इसलिए वह ‘उक्त कर्ता’ कहलाता है, और उसमें प्रथमा विभक्ति लगती है।
  • ‘अनुक्त’ स्थिति में, जैसे कर्मवाच्य या भाववाच्य (Passive/Impersonal voice), कर्ता अप्रधान होता है और उसमें तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
    👉 उदाहरण: मया लेखः लिख्यते। (लेख मेरे द्वारा लिखा जाता है।)

३. कर्ता के भेद (Types of Kartā)

भेद (Type) संस्कृत नाम विवरण उदाहरण
मुख्य / प्रधान कर्ता स्वतन्त्र कर्ता जो क्रिया को स्वयं अपनी इच्छा से करता है। देवदत्तः पचति। (देवदत्त पकाता है।)
प्रेरक कर्ता हेतु कर्ता जो किसी अन्य (मुख्य कर्ता) को क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है; यह प्रयोग णिजन्त (causative) क्रियाओं में होता है। गुरुः शिष्यं पाठयति। (गुरु शिष्य को पढ़ाता है।)

४. कर्ता कारक के विशेष प्रयोग (Special Usages of Kartā KāraKa)

सूत्र / नियम अर्थ उदाहरण
सम्बोधने च (२.३.४९) सम्बोधन (addressing) में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है, पर यह केवल विभक्ति है, कारक नहीं। हे राम! आगच्छ।
कर्माण्यणः उपपद-समास में ‘अण्’ प्रत्यय के कर्ता के लिए प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है। कुम्भं करोति इति कुम्भकारः। (जो घड़ा बनाता है — घड़ा बनाने वाला कुम्भकार।)

५. सारांश (Summary)

  • कर्ता कारक संस्कृत वाक्य का मुख्य स्तंभ है।
  • यह क्रिया का नियामक और अन्य कारकों को क्रिया से जोड़ने वाला स्वतंत्र तत्व है।
  • इसका वाचक रूप प्रायः प्रथमा विभक्ति द्वारा व्यक्त होता है।
  • कर्ता के अनुसार ही क्रिया का पुरुष और वचन निश्चित होता है।

🌺 निष्कर्ष (Conclusion)

संस्कृत वाक्यरचना का आरंभ कर्ता से होता है।
कर्ता ही क्रिया का मूलाधार है और प्रथमा विभक्ति उसकी पहचान।
कर्ता के बिना वाक्य अधूरा है, और प्रथमा विभक्ति के बिना उसका रूप असंपूर्ण।


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