संस्कृत व्याकरण में ‘कृत् प्रत्यय’ वे प्रत्यय हैं जो धातु के साथ जुड़कर संज्ञा, विशेषण या अव्यय शब्द बनाते हैं। इनसे बने शब्दों को ‘कृदन्त’ कहा जाता है। पाणिनि के अष्टाध्यायी व्याकरण में कृत् प्रत्ययों का प्रयोग धातु के अर्थ, क्रिया-काल और प्रयोजन के अनुसार होता है। प्रमुख कृत् प्रत्ययों में — क्त्वा, ल्यप् (पूर्वकालिक), शतृ, शानच् (वर्तमानकालिक), तव्यत्, अनीयर (कर्तव्यार्थक), क्त, क्तवतु, ण्वुल्, ल्युट्, तुमुन् आदि सम्मिलित हैं। इनके माध्यम से कृदन्त शब्द जैसे — पठित्वा, गच्छत्, सेवमान, कर्तव्यम्, कृतम्, पठितवान्, कारक, पठनम्, खादितुम् आदि बनते हैं। ये प्रत्यय क्रिया के भिन्न-भिन्न अर्थों — कर्ता, कर्म, भाव, करण, योग्यता या पूर्वकालिकता — को व्यक्त करते हैं। इस प्रकार कृत् प्रत्यय संस्कृत शब्द-निर्माण की सबसे महत्वपूर्ण व्याकरणिक प्रक्रिया हैं।
संस्कृत व्याकरण में कृत् प्रत्यय (Kṛt Pratyaya in Sanskrit Grammar) – परिभाषा, प्रकार, सूत्र, और उदाहरण सहित पूर्ण व्याख्या
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| संस्कृत व्याकरण में कृत् प्रत्यय (Kṛt Pratyaya in Sanskrit Grammar) – परिभाषा, प्रकार, सूत्र, और उदाहरण सहित पूर्ण व्याख्या |
📘 संस्कृत व्याकरण में कृत् प्रत्यय (Kṛt Pratyaya in Sanskrit Grammar)
🔹 परिचय (Introduction)
👉 ये क्रिया के अर्थ में परिवर्तन लाते हैं तथा कर्ता, कर्म, करण, भाव, या संभावना (ought/should) जैसे अर्थों को व्यक्त करते हैं।
पाणिनि ने इन्हें अनेक सूत्रों में व्यवस्थित किया है, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि कौन-सा प्रत्यय किस धातु से, किस अर्थ में और किन परिस्थितियों में जुड़ता है।
🔸 कृत् प्रत्ययों के प्रमुख प्रकार (Main Categories of Kṛt Pratyayas)
कृत् प्रत्ययों को अर्थ और प्रयोग के आधार पर चार प्रमुख वर्गों में बाँटा जा सकता है —
- पूर्वकालिक क्रिया के प्रत्यय (Past Adverbial Participles)
- वर्तमानकालिक क्रिया के प्रत्यय (Present Participles)
- कर्तव्य/योग्यता दर्शाने वाले प्रत्यय (Kṛtya Pratyayas / Potential Participles)
- अन्य प्रमुख कृत् प्रत्यय (Other Important Kṛt Affixes)
🕉️ १. पूर्वकालिक क्रिया के प्रत्यय (Past Adverbial Participles)
ये दर्शाते हैं कि एक क्रिया पहले घट चुकी है, और उसके बाद दूसरी क्रिया घटती है।
| प्रत्यय | शेष अंश | अर्थ/कार्य | प्रमुख सूत्र (Paninian Rule) | उदाहरण |
|---|---|---|---|---|
| क्त्वा (ktvā) | त्वा | ‘करके’, समान कर्ता द्वारा पहले की क्रिया को दर्शाने हेतु | समानकर्तृकयोः पूर्वकाले (पा. ३.४.२१) | पठ् + क्त्वा → पठित्वा (पढ़कर) |
| ल्यप् (lyap) | य | ‘करके’, जब धातु से पहले कोई उपसर्ग जुड़ा हो | विभाषाऽग्रे प्रथमपूर्वेषु (पा. ३.४.२३) | वि + हस् + ल्यप् → विहस्य (हँसकर) |
🕉️ २. वर्तमानकालिक क्रिया के प्रत्यय (Present Participles)
ये वर्तमान में घट रही क्रिया का बोध कराते हैं और सामान्यतः विशेषण या संज्ञा के रूप में प्रयोग होते हैं।
| प्रत्यय | शेष अंश | प्रयोग का क्षेत्र | अर्थ/कार्य | प्रमुख सूत्र | उदाहरण |
|---|---|---|---|---|---|
| शतृ (śatṛ) | अत् | परस्मैपद धातु | ‘रहा है’, ‘जो कर रहा है’ | लटः शतृशानचावप्रथमासमानाधिकरणे (पा. ३.२.१२४) | गम् + शतृ → गच्छन् (गच्छत्) (जाता हुआ) |
| शानच् (śānac) | आन/मान | आत्मनेपद धातु | ‘रहा है’, ‘सेवा करता हुआ’ | वही सूत्र (पा. ३.२.१२४) | सेव् + शानच् → सेवमानः (सेवा करता हुआ) |
🕉️ ३. कृत्य प्रत्यय (Potential / Kṛtya Pratyayas)
ये ‘चाहिए, योग्य है, करना उचित है’ जैसे भाव प्रकट करते हैं।प्रायः कर्मवाच्य (Passive) या भाववाच्य (Impersonal) रूपों में प्रयुक्त होते हैं।
| प्रत्यय | शेष अंश | अर्थ/कार्य | प्रमुख सूत्र | उदाहरण |
|---|---|---|---|---|
| तव्यत् (tavyat) | तव्य | ‘करना चाहिए’, ‘योग्य है’ | तव्यत्तव्यानीयरः (पा. ३.१.९६) | कृ + तव्यत् → कर्तव्यम् (करना चाहिए) |
| अनीयर (anīyara) | अनीय | ‘योग्य है’, ‘पढ़ना चाहिए’ | वही सूत्र (पा. ३.१.९६) | पठ् + अनीयर → पठनीयम् (पढ़ने योग्य) |
| यत् (yat) | य | समान अर्थ, किंचित् भिन्न प्रयोग में | ल्यप्यतसालोपश्च (पा. ३.१.९७) | ज्ञा + यत् → ज्ञेयम् (जानने योग्य) |
🕉️ ४. अन्य प्रमुख कृत् प्रत्यय (Other Important Kṛt Affixes)
ये विविध अर्थों में संज्ञा, विशेषण या अव्यय रूप निर्मित करते हैं।
| प्रत्यय | शेष अंश | अर्थ/कार्य | प्रमुख सूत्र | उदाहरण |
|---|---|---|---|---|
| तुमुन् (tumun) | तुम् | ‘के लिए’, अव्यय रूप में प्रयुक्त | तुमर्थे न्वुल्तृचौ (पा. ३.४.९) | खाद् + तुमुन् → खादितुम् (खाने के लिए) |
| क्त (kta) | त | ‘किया गया’, निष्क्रिय भूतकाल सूचक | क्तक्तवतू निष्ठा (पा. १.१.२६) | कृ + क्त → कृतम् (किया गया) |
| क्तवतु (ktavatu) | तवत् | ‘जिसने किया है’, भूतकालिक कर्ता | वही सूत्र | पठ् + क्तवतु → पठितवान् (पढ़ चुका) |
| ण्वुल् (ṇvul) | अक | ‘कर्ता’, ‘करने वाला’ | ण्वुल्तृचौ (पा. ३.१.१३३) | कृ + ण्वुल् → कारकः (करने वाला) |
| ल्युट् (lyuṭ) | अन | ‘भाव’ या ‘क्रिया’ सूचक संज्ञा | ल्युट् च (पा. ३.३.११५) | पठ् + ल्युट् → पठनम् (पढ़ना) |
| तृच् (tṛc) | तृ | ‘कर्ता’, विशेष रूप में प्रयुक्त | ण्वुल्तृचौ (पा. ३.१.१३३) | दा + तृच् → दाता (देने वाला) |
🔹 कृत् प्रत्ययों से बनने वाले शब्दों के अर्थानुसार वर्गीकरण
| अर्थ का प्रकार | उदाहरण | विश्लेषण |
|---|---|---|
| कर्ता (Doer) | दाता, कर्ता, पाता | धातु + तृच्/ण्वुल् |
| कर्म (Object) | कृतम्, लिखितम् | धातु + क्त |
| भाव (Action/Noun of action) | पठनम्, लेखनम् | धातु + ल्युट् |
| करण (Instrumentality) | कारकम् (Instrumental sense) | धातु + ण्वुल् |
| योग्यता या कर्तव्य (Potential) | पठनीयम्, कर्तव्यम् | धातु + तव्यत्/अनीयर |
| पूर्वकालिक क्रिया (After doing) | पठित्वा, विहस्य | धातु + क्त्वा/ल्यप् |
🌼 सारांश (Summary)
📘 संस्कृत व्याकरण : कृत् प्रत्ययों के ५० उदाहरण (एक सारणी में)
| क्र. | वर्ग | प्रत्यय | धातु | योग (संयोग) | रूप | अर्थ (Meaning) |
|---|---|---|---|---|---|---|
| 1 | कर्ता अर्थ | ण्वुल् (अक) | कृ | कृ + ण्वुल् | कारकः | करने वाला |
| 2 | कर्ता अर्थ | ण्वुल् (अक) | पठ् | पठ् + ण्वुल् | पाठकः | पढ़ने वाला |
| 3 | कर्ता अर्थ | ण्वुल् (अक) | गै | गै + ण्वुल् | गायकः | गाने वाला |
| 4 | कर्ता अर्थ | ण्वुल् (अक) | पा | पा + ण्वुल् | पायकः | पीने वाला |
| 5 | कर्ता अर्थ | ण्वुल् (अक) | नृत् | नृत् + ण्वुल् | नर्तकः | नाचने वाला |
| 6 | कर्ता अर्थ | ण्वुल् (अक) | लिख् | लिख् + ण्वुल् | लेखकः | लिखने वाला |
| 7 | कर्ता अर्थ | तृच् (तृ) | कृ | कृ + तृच् | कर्ता | करने वाला |
| 8 | कर्ता अर्थ | तृच् (तृ) | दा | दा + तृच् | दाता | देने वाला |
| 9 | कर्ता अर्थ | तृच् (तृ) | श्रु | श्रु + तृच् | श्रोता | सुनने वाला |
| 10 | कर्ता अर्थ | तृच् (तृ) | हन् | हन् + तृच् | हन्ता | मारने वाला |
| 11 | कर्ता अर्थ | तृच् (तृ) | ने | ने + तृच् | नेता | ले जाने वाला |
| 12 | कर्ता अर्थ | तृच् (तृ) | भर् | भर् + तृच् | भर्त्ता | पालन करने वाला |
| 13 | भाव अर्थ | ल्युट् (अन) | कृ | कृ + ल्युट् | करणम् | करना/क्रिया |
| 14 | भाव अर्थ | ल्युट् (अन) | पठ् | पठ् + ल्युट् | पठनम् | पढ़ना |
| 15 | भाव अर्थ | ल्युट् (अन) | गम् | गम् + ल्युट् | गमनम् | जाना |
| 16 | भाव अर्थ | ल्युट् (अन) | लिख् | लिख् + ल्युट् | लेखनम् | लिखना |
| 17 | भाव अर्थ | ल्युट् (अन) | दृश् | दृश् + ल्युट् | दर्शनम् | देखना |
| 18 | भाव अर्थ | ल्युट् (अन) | भू | भू + ल्युट् | भवनम् | होना |
| 19 | भाव अर्थ | क्तिन् (ति) | गम् | गम् + क्तिन् | गतिः | जाना/चाल |
| 20 | भाव अर्थ | क्तिन् (ति) | मन् | मन् + क्तिन् | मतिः | विचार |
| 21 | भाव अर्थ | क्तिन् (ति) | बुध् | बुध् + क्तिन् | बुद्धिः | ज्ञान |
| 22 | भाव अर्थ | क्तिन् (ति) | शम् | शम् + क्तिन् | शान्तिः | शांति |
| 23 | भाव अर्थ | क्तिन् (ति) | श्रु | श्रु + क्तिन् | श्रुतिः | वेद |
| 24 | भाव अर्थ | घञ् (अ) | पठ् | पठ् + घञ् | पाठः | पढ़ने का भाव |
| 25 | भाव अर्थ | घञ् (अ) | पच् | पच् + घञ् | पाकः | पकाना |
| 26 | भाव अर्थ | घञ् (अ) | क्रुध् | क्रुध् + घञ् | क्रोधः | क्रोध |
| 27 | भाव अर्थ | घञ् (अ) | विद् | विद् + घञ् | वेदः | ज्ञान |
| 28 | भाव अर्थ | घञ् (अ) | तप् | तप् + घञ् | तापः | तप/गर्मी |
| 29 | भाव अर्थ | घञ् (अ) | वच् | वच् + घञ् | वाचः | वाणी |
| 30 | भाव अर्थ | क्तिन् (ति) | भू | भू + क्तिन् | भूतिः | ऐश्वर्य |
| 31 | कृत्य अर्थ | तव्यत् (तव्य) | कृ | कृ + तव्यत् | कर्तव्यम् | करना चाहिए |
| 32 | कृत्य अर्थ | तव्यत् (तव्य) | गम् | गम् + तव्यत् | गन्तव्यम् | जाना चाहिए |
| 33 | कृत्य अर्थ | तव्यत् (तव्य) | वच् | वच् + तव्यत् | वक्तव्यम् | बोलना चाहिए |
| 34 | कृत्य अर्थ | तव्यत् (तव्य) | दा | दा + तव्यत् | दातव्यम् | देना चाहिए |
| 35 | कृत्य अर्थ | तव्यत् (तव्य) | हस् | हस् + तव्यत् | हसितव्यम् | हँसना चाहिए |
| 36 | कृत्य अर्थ | अनीयर (अनीय) | कृ | कृ + अनीयर | करणीयम् | करने योग्य |
| 37 | कृत्य अर्थ | अनीयर (अनीय) | पूज् | पूज् + अनीयर | पूजनीयम् | पूजने योग्य |
| 38 | कृत्य अर्थ | अनीयर (अनीय) | श्रु | श्रु + अनीयर | श्रवणीयम् | सुनने योग्य |
| 39 | कृत्य अर्थ | अनीयर (अनीय) | दृश् | दृश् + अनीयर | दर्शनीयम् | देखने योग्य |
| 40 | कृत्य अर्थ | अनीयर (अनीय) | रम् | रम् + अनीयर | रमणीयम् | सुंदर/आकर्षक |
| 41 | कृत्य अर्थ | अनीयर (अनीय) | चिन्त् | चिन्त् + अनीयर | चिन्तनीयम् | सोचने योग्य |
| 42 | भूतकालिक | क्त (त) | पठ् | पठ् + क्त | पठितम् | पढ़ा गया |
| 43 | भूतकालिक | क्त (त) | लिख् | लिख् + क्त | लिखितम् | लिखा गया |
| 44 | भूतकालिक | क्त (त) | दा | दा + क्त | दत्तम् | दिया गया |
| 45 | भूतकालिक | क्तवतु (तवत्) | कृ | कृ + क्तवतु | कृतवान् | कर चुका |
| 46 | भूतकालिक | क्तवतु (तवत्) | गम् | गम् + क्तवतु | गतवान् | जा चुका |
| 47 | भूतकालिक | क्त्वा (त्वा) | पठ् | पठ् + क्त्वा | पठित्वा | पढ़कर |
| 48 | भूतकालिक | क्त्वा (त्वा) | नम् | नम् + क्त्वा | नत्वा | झुककर |
| 49 | भूतकालिक | ल्यप् (य) | आङ् + दा | आङ् + दा + ल्यप् | आदाय | लेकर |
| 50 | वर्तमानकालिक | शतृ (अन्) | पठ् | पठ् + शतृ | पठन् | पढ़ता हुआ |
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