संस्कृत व्याकरण में सन्धि (Sandhi in Sanskrit Grammar): प्रकार, नियम, सूत्र और उदाहरण सहित संपूर्ण व्याख्या

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत व्याकरण में सन्धि (Sandhi) का अर्थ है — दो वर्णों के समीप आने पर उनमें होने वाला ध्वनि-परिवर्तन। यह संस्कृत भाषा की ध्वन्यात्मक सुंदरता और शुद्ध उच्चारण की नींव है। सन्धि के तीन मुख्य प्रकार होते हैं — अच् सन्धि (स्वर सन्धि), हल् सन्धि (व्यञ्जन सन्धि) और विसर्ग सन्धि। प्रत्येक सन्धि के अंतर्गत विशिष्ट नियम (सूत्र) होते हैं, जैसे – अकः सवर्णे दीर्घः, इको यणचि, विसर्जनीयस्य सः आदि। इनके द्वारा शब्दों के संयोजन से न केवल उच्चारण सरल होता है बल्कि अर्थ की एकरूपता भी बनी रहती है। इस लेख में सन्धि के प्रकार, नियम, सूत्र और उदाहरणों सहित सरल और व्यवस्थित व्याख्या प्रस्तुत की गई है। यह विद्यार्थियों, शिक्षकों और संस्कृत-प्रेमियों के लिए समान रूप से उपयोगी अध्ययन सामग्री है।

संस्कृत व्याकरण में सन्धि (Sandhi in Sanskrit Grammar): प्रकार, नियम, सूत्र और उदाहरण सहित संपूर्ण व्याख्या

संस्कृत व्याकरण में सन्धि (Sandhi in Sanskrit Grammar): प्रकार, नियम, सूत्र और उदाहरण सहित संपूर्ण व्याख्या
संस्कृत व्याकरण में सन्धि (Sandhi in Sanskrit Grammar): प्रकार, नियम, सूत्र और उदाहरण सहित संपूर्ण व्याख्या

🌺 संस्कृत व्याकरण : सन्धि परिचय (Sandhi – An Introduction)

🔹 परिभाषा (Definition):

संस्कृत व्याकरण में सन्धि का तात्पर्य है —

दो वर्णों के अत्यंत निकट आने पर उनमें होने वाला परिवर्तन (विकार)

यह ‘परः सन्निकर्षः संहिता’ सूत्र से संबंधित है, जिसका अर्थ है —

“वर्णों का अत्यधिक सामीप्य (निकटता) ही संहिता अर्थात् सन्धि कहलाता है।”


🌿 सन्धि के मुख्य भेद (Main Types of Sandhi):

संस्कृत में सन्धि के तीन प्रमुख भेद हैं —

क्रम सन्धि का नाम वर्णन उदाहरण
1 अच् सन्धि (स्वर सन्धि) जब स्वर का मेल स्वर से होता है। (अच् = स्वर) राम + इन्द्रः → रामेन्द्रः
2 हल् सन्धि (व्यञ्जन सन्धि) जब व्यञ्जन का मेल स्वर या व्यञ्जन से होता है। (हल् = व्यञ्जन) सत् + चित् → सच्चित्
3 विसर्ग सन्धि जब विसर्ग (ः) का मेल स्वर या व्यञ्जन से होता है। रामः + आगतः → रामोऽगतः

१. अच् सन्धि (स्वर सन्धि)

भेद (Type) नियम (Rule) सूत्र (Sūtra) उदाहरण (Example)
दीर्घ सन्धि यदि ह्रस्व या दीर्घ अक् (अ, इ, उ, ऋ, लृ) के बाद सजातीय (सवर्ण) स्वर आए, तो दोनों के स्थान पर दीर्घ एकादेश होता है। अकः सवर्णे दीर्घः विद्या + आलयः → विद्यालयः (आ + आ = आ)
गुण सन्धि यदि अ/आ के बाद इ/ई, उ/ऊ, ऋ/ॠ, लृ आए, तो क्रमशः ए, ओ, अर्, अल् हो जाता है। आद् गुणः महा + उत्सवः → महोत्सवः (आ + उ = ओ)
वृद्धि सन्धि यदि अ/आ के बाद ए/ऐ या ओ/औ आए, तो क्रमशः ऐ या औ वृद्धि एकादेश होता है। वृद्धिरेचि सदा + एव → सदैव (आ + ए = ऐ)
यण् सन्धि यदि इक् (इ, उ, ऋ, लृ) के बाद कोई असमान स्वर आए, तो इक् के स्थान पर क्रमशः य, व, र, ल हो जाता है। इको यणचि सु + आगतम् → स्वागतम् (उ + आ = वा)
अयादि सन्धि यदि एच् (ए, ओ, ऐ, औ) के बाद कोई भी स्वर आए, तो उनके स्थान पर क्रमशः अय, अव्, आय्, आव् हो जाता है। एचोऽयवायावः नै + अकः → नायकः (ऐ + अ = आय्)

🔶 २. हल् सन्धि (व्यञ्जन सन्धि)

भेद (Type) नियम (Rule) सूत्र (Sūtra) उदाहरण (Example)
श्चुत्व सन्धि यदि स् या तवर्ग (त, थ, द, ध, न) का योग श् या चवर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) से हो, तो स् → श्, तवर्ग → चवर्ग हो जाता है। स्तोः श्चुना श्चुः सत् + चित् → सच्चित् (त् + च् = च्च्)
ष्टुत्व सन्धि यदि स् या तवर्ग का योग ष् या टवर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण) से हो, तो स् → ष्, तवर्ग → टवर्ग हो जाता है। ष्टुना ष्टुः रामस् + षष्ठः → रामष्षष्ठः (स् + ष् = ष्ष्)
जश्त्व सन्धि यदि पदांत झल् के बाद स्वर या झश् आए, तो झल् के स्थान पर उसी वर्ग का तृतीय वर्ण (जश्) हो जाता है। झलां जशोऽन्ते वाक् + ईशः → वागीशः (क् + ई = ग्)

🔸 ३. विसर्ग सन्धि (Visarga Sandhi)

भेद (Type) नियम (Rule) सूत्र (Sūtra) उदाहरण (Example)
सत्व (विसर्ग का ‘स्’, ‘श्’, ‘ष्’ होना) यदि विसर्ग के बाद खर् (वर्गों के प्रथम-द्वितीय वर्ण या श, ष, स) आए, तो विसर्ग ‘स्’ हो जाता है; तत्पश्चात् वह ‘श्’ या ‘ष्’ में बदल जाता है। विसर्जनीयस्य सः रामः + चलति → रामश्चलति (ः → स् → श्)
उत्व (विसर्ग का ‘ओ’ होना) यदि विसर्ग से पहले हो तथा बाद में भी या वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण अथवा ह, य, व, र, ल हो, तो विसर्ग + अ → ओ हो जाता है। अतो रोरप्लुतादप्लुते शिवः + अर्च्यः → शिवोऽर्च्यः (ः + अ = ओ)

🌼 सारांश (Summary):

सन्धि प्रकार आधार उदाहरण
अच् सन्धि स्वर से स्वर स्वर परिवर्तन सदा + एव = सदैव
हल् सन्धि व्यञ्जन से व्यञ्जन/स्वर व्यञ्जन परिवर्तन सत् + चित् = सच्चित्
विसर्ग सन्धि विसर्ग से स्वर/व्यञ्जन विसर्ग परिवर्तन रामः + आगतः = रामोऽगतः

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