Shri Vishnu Sukta (Rigveda 1.22) | श्रीविष्णुसूक्तम् संस्कृत, IAST और हिन्दी अर्थ सहित

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

श्रीविष्णुसूक्तम् (Rigveda 1.22) वैदिक युग का एक अत्यंत पवित्र सूक्त है जिसमें भगवान विष्णु के दिव्य चरित्र, विश्वव्यापकता, एवं तीन पगों से त्रिलोकी व्यापने की महिमा का वर्णन किया गया है। इस सूक्त में ऋषि — मेदातिथि काण्व, देवता — विष्णु, और छन्द — त्रिष्टुप् हैं। इसमें विष्णु के तीन विराट पगों का उल्लेख है, जो उनके त्रिविक्रम रूप को प्रकट करता है। यहाँ प्रस्तुत पाठ में संस्कृत मूल श्लोक, IAST Transliteration, एवं भावपूर्ण हिन्दी अनुवाद सहित सम्पूर्ण विवरण दिया गया है। वैदिक अध्ययन, पाठ, या ध्यान के लिए यह अत्यंत उपयोगी है।

यह सूक्त हर उस साधक के लिए आवश्यक है जो ऋग्वेदिक विष्णु-तत्व को गहराई से समझना चाहता है।

Shri Vishnu Sukta (Rigveda 1.22) | श्रीविष्णुसूक्तम् संस्कृत, IAST और हिन्दी अर्थ सहित

🌺 श्रीविष्णुसूक्तम् (ऋग्वेद १.२२)

ऋषिः — मेधातिथिः काण्वः । देवता — विष्णुः । छन्दः — गायत्री आदि । स्वरः — षड्जः ।

संस्कृत, IAST एवं हिन्दी अनुवाद सहित

✍️ संकलन — भागवत दर्शन

Shri Vishnu Sukta (Rigveda 1.22) | श्रीविष्णुसूक्तम् संस्कृत, IAST और हिन्दी अर्थ सहित
Shri Vishnu Sukta (Rigveda 1.22) | श्रीविष्णुसूक्तम् संस्कृत, IAST और हिन्दी अर्थ सहित

अतो᳚ दे॒वा अ॑वन्तु नो॒ यतो॒ विष्णु॑र्विचक्र॒मे ।

पृ॒थि॒व्याः स॒प्त धाम॑भिः ॥ (ऋ. १.२२.१६)

ato devā avantu no yato viṣṇur vicakrame |

 pṛthivyāḥ sapta dhāmabhiḥ || (ṚV 1.22.16)

🕉 हिन्दी अनुवाद:

जहाँ-जहाँ भगवान विष्णु ने अपने सात चरणों से पृथ्वी को नापा है, वहाँ से वे हमें संरक्षण दें।

💠 संक्षिप्त व्याख्या:

यह मन्त्र भगवान विष्णु के सार्वभौम विस्तार और उनके रक्षणकारी स्वरूप का सूचक है।


इदं विष्णु॒र्वि च॑क्रमे त्रे॒धा नि द॑धे प॒दम् ।

समू᳚ळ्हमस्य पांसु॒रे ॥ (ऋ. १.२२.१७)

idaṃ viṣṇur vicakrame tredhā ni dadhe padam |

 samūḷham asya pāṃsure || (ṚV 1.22.17)

🕉 हिन्दी अनुवाद:

यह विष्णु सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में तीन पगों से विचरित हुआ और उसका एक चरण (स्थान) पृथ्वी पर प्रतिष्ठित है।

💠 संक्षिप्त व्याख्या:

यह मन्त्र त्रिविक्रम रूप विष्णु के तीन पगों की लीला को दर्शाता है, जो तीनों लोकों पर उनकी अधिपत्यता का प्रतीक है।


त्रीणि॑ प॒दा वि च॑क्रमे॒ विष्णु॑र्गो॒पा अदा᳚भ्यः ।

अतो॒ धर्मा᳚णि धा॒रय॑न् ॥ (ऋ. १.२२.१८)

trīṇi padā vi cakrame viṣṇur gopā adābhyaḥ |

 ato dharmāṇi dhārayan || (ṚV 1.22.18)

🕉 हिन्दी अनुवाद:

अदम्य विष्णु ने तीन पगों से पृथ्वी को नापा। उसी से धर्म की व्यवस्था और स्थिरता बनी रहती है।

💠 संक्षिप्त व्याख्या:

भगवान विष्णु का यह कृत्य धर्म की नींव का प्रतीक है; वे समस्त धर्मों के धारक हैं।


विष्णोः॒ कर्मा᳚णि पश्यत॒ यतो᳚ व्र॒तानि॑ पस्प॒शे ।

इन्द्र॑स्य॒ युज्यः॒ सखा᳚ ॥ (ऋ. १.२२.१९)

viṣṇoḥ karmāṇi paśyata yato vratāni paspaśe |

 indrasya yujyaḥ sakhā || (ṚV 1.22.19)

🕉 हिन्दी अनुवाद:

देखो! विष्णु के अद्भुत कर्मों को — जिनसे वह इन्द्र का सहचर बनकर सब व्रतों को आलोकित करता है।

💠 संक्षिप्त व्याख्या:

यह मन्त्र विष्णु के तेज, पुरुषार्थ और देवकार्य में उनकी सहभागिता की ओर संकेत करता है।


तद्विष्णोः᳚ पर॒मं प॒दं सदा᳚ पश्यन्ति सू॒रयः॑ ।

दि॒वी᳚व॒ चक्षु॒रात॑तम् ॥ (ऋ. १.२२.२०)

tad viṣṇoḥ paramam padam sadā paśyanti sūrayaḥ |

 divīva cakṣur ātatam || (ṚV 1.22.20)

🕉 हिन्दी अनुवाद:

ज्ञानी पुरुष उस विष्णु के परम पद को निरंतर देखते हैं, जो आकाश में सूर्य के समान सर्वत्र व्याप्त है।

💠 संक्षिप्त व्याख्या:

‘विष्णोः परमं पदम्’ मोक्ष और परम धाम का प्रतीक है, जिसे ज्ञानीजन सदा अनुभव करते हैं।


तद्विप्रा᳚सो विप॒न्यवो᳚ जागृ॒वांसः॒ समि᳚न्धते ।

विष्णो॒र्यत्प॑र॒मं प॒दम् ॥ (ऋ. १.२२.२१)

tad viprāso vipanyavo jāgṛvāṃsaḥ samindhate |

 viṣṇor yat paramam padam || (ṚV 1.22.21)

🕉 हिन्दी अनुवाद:

वे जाग्रत, विद्वान् एवं कर्मनिष्ठ ब्राह्मण उस विष्णु के परम पद की आराधना करते हुए उसे प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

💠 संक्षिप्त व्याख्या:

यह मन्त्र साधक के तप, जागृति और विष्णुपरायणता की अभिव्यक्ति है।

श्रीविष्णुसूक्तम् Rigveda 1.22 | Vishnu Sukta Meaning in Hindi & Sanskrit with IAST

VishnuSukta #Rigveda #ShriVishnu #VishnuMantra #VedicHymns #HinduVedas #RigvedaSukta #IASTTransliteration #BhagwatDarshan #VishnuMahima #VedicWisdom #Trivikrama

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!