Veda Moolam Jnanam – वेदमूलं ज्ञानम् : Knowledge, Family, Food & Wealth का मूल आधार | Sanskrit Shloka Meaning

Sooraj Krishna Shastri
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"वेदमूलं ज्ञानम्" श्लोक का अर्थ, शब्दार्थ, व्याख्या और जीवन-उपयोग। जानिए—ज्ञान का मूल वेद, गृह का आधार पत्नी, अन्न का मूल कृषि और जगत का मूल धन क्यों है।

Veda Moolam Jnanam – वेदमूलं ज्ञानम् : Knowledge, Family, Food & Wealth का मूल आधार | Sanskrit Shloka Meaning


📜 श्लोक

वेदमूलमिदं ज्ञानम् भार्यामूलमिदं गृहम् ।
कृषिमूलमिदं धान्यं धनमूलमिदं जगत् ।।


🔤 English Transliteration

Vedamūlam idaṃ jñānam, bhāryāmūlam idaṃ gṛham ।
Kṛṣimūlam idaṃ dhānyaṃ, dhanamūlam idaṃ jagat ।।


🇮🇳 हिन्दी अनुवाद (भावार्थ सहित)

ज्ञान का मूल वेद है।
घर-परिवार का मूल पत्नी (गृहलक्ष्मी) है।
अन्न का मूल कृषि है।
और यह संसार धन के आधार पर चलता है।

अर्थात्—हर चीज़ का अपना एक मूल कारण है, और जब उसका मूल सुरक्षित है, तभी जीवन-संरचना संतुलित रहती है।

Veda Moolam Jnanam – वेदमूलं ज्ञानम् : Knowledge, Family, Food & Wealth का मूल आधार | Sanskrit Shloka Meaning
Veda Moolam Jnanam – वेदमूलं ज्ञानम् : Knowledge, Family, Food & Wealth का मूल आधार | Sanskrit Shloka Meaning

🪷 शब्दार्थ

  • वेद-मूलम् — वेद ही मूल/आधार
  • इदं ज्ञानम् — यह समस्त ज्ञान
  • भार्या-मूलम् — पत्नी/गृहिणी ही मूल
  • गृहम् — घर, परिवार
  • कृषि-मूलम् — कृषि ही आधार
  • धान्यम् — अन्न
  • धन-मूलम् — धन ही कारण, आधार
  • जगत् — संसार, लोक-व्यवस्था

📚 व्याकरणात्मक विश्लेषण

1️⃣ समस्त पद-विश्लेषण

  • वेद + मूलम् → वेदमूलम् (तत्पुरुष समास: — "वेद ही मूल")
  • ज्ञानम् — नपुंसकलिंग, एकवचन
  • भार्या + मूलम् → भार्यामूलम् (तत्पुरुष समास)
  • गृहम् — नपुंसकलिंग, एकवचन
  • कृषि + मूलम् → कृषिमूलम्
  • धान्यम् — नपुंसकलिंग, एकवचन
  • धन + मूलम् → धनमूलम्
  • जगत् — नपुंसकलिंग, एकवचन

2️⃣ वाक्यरचना

चार बार "इदं" का प्रयोग—प्रत्येक तत्व को "यह" कहकर दृढ़ता देना।
इससे लक्षित विषय (ज्ञान, गृह, धान्य, जगत) पर जोर पड़ता है।


🕰️ आधुनिक सन्दर्भ में विवेचना

✔️ 1. ज्ञान का मूल वेद

आज भी भारतीय दर्शन, स्वास्थ्य, शिक्षा, योग, आयुर्वेद, गणित, ज्योतिष—सभी की जड़ें वेदों में मिलती हैं।
"वेद" केवल धार्मिक ग्रन्थ नहीं—वे संपूर्ण ज्ञान-परंपरा हैं।

✔️ 2. परिवार का मूल स्त्री

गृहिणी = घर की लक्ष्मी।
वह

  • प्रेम का केंद्र
  • नैतिकता का आधार
  • सामाजिक स्थिरता
  • अगली पीढ़ी का संस्कार
    सब प्रदान करती है।

✔️ 3. धान्य का मूल कृषि

आज की अर्थव्यवस्था चाहे कितनी बढ़ जाए, भोजन का विकल्प कभी नहीं।
"कृषि" — परिश्रम, धैर्य, और श्रम का प्रतीक है।
भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में यह और भी सत्य है।

✔️ 4. संसार का आधार धन

संसार धर्म, कला, शिक्षा—सब चलता है,
पर व्यवहार में धन की महत्ता अत्यंत है।
Δ ध्यान रहे — धन साधन है, साध्य नहीं


🗣️ संवादात्मक नीति कथा

(छात्र–गुरु संवाद के रूप में)

छात्र: गुरुदेव! संसार में हर वस्तु का मूल क्या है?
गुरु: पुत्र! देखो—
ज्ञान का मूल वेद,
घर का मूल पत्नी,
अन्न का मूल कृषि,
और संसार का मूल धन है।

छात्र: क्यों गुरुदेव?
गुरु:

  • जब जड़ ही न रहे तो शाखाएँ कैसे बढ़ें?
  • वेद के बिना ज्ञान दिशाहीन है।
  • गृहलक्ष्मी के बिना घर निष्प्राण है।
  • कृषि के बिना अन्न नहीं, और अन्न के बिना जीव नहीं।
  • धन के बिना समाज नहीं चलता।

छात्र: तो क्या धन ही सबसे बड़ा है?
गुरु: नहीं पुत्र!
“धन जरूरी है,
पर धन का सही उपयोग उससे भी जरूरी है।”


🪔 जीवन-उपयोगी नीति (Life Lesson)

  • जीवन की हर संरचना की जड़ पर ध्यान रखना चाहिए।
  • जड़ स्वस्थ तो वृक्ष स्वतः मजबूत!
  • ज्ञान का आधार सही हो, परिवार का केंद्र मजबूत हो, भोजन का स्रोत शुद्ध हो और धन का उपयोग धर्म से हो—तो जीवन पूर्ण होता है।

🏁 निष्कर्ष

यह श्लोक जीवन की चार मूलभूत नींव बताता है—
ज्ञान, गृह, अन्न, और धन।
इन चारों का मूल सुदृढ़ हो तो व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र सभी उन्नति करते हैं।


Veda Moolam Jnanam shloka meaning

वेदमूलं ज्ञानम् श्लोक अर्थ

Sanskrit shloka on knowledge and life

वेदमूलम् श्लोक व्याख्या

पत्नी गृहम् श्लोक अर्थ

कृषिमूलम् धान्यम् अर्थ

धनमूलम् जगत् श्लोक

Sanskrit quotes about knowledge

Best Sanskrit shloka for life lessons

वेद ज्ञान का मूल श्लोक

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