Here are the complete NCERT Solutions for Manika Bhag 2 (Communicative Sanskrit) Class 10 Chapter 8 titled Tirukkural - Sukti Saurabham.
NCERT Manika Bhag 2 Class 10 Sanskrit Chapter 8 'Tirukkural Sukti Saurabham' (तिरुक्कुरल् - सूक्ति - सौरभम्) Question Answers. सम्पूर्ण अभ्यास कार्य Class 10 Sanskrit (Manika) Chapter 8 Solutions. तिरुक्कुरल् - सूक्ति - सौरभम् पाठ का हिंदी अनुवाद और प्रश्न-उत्तर (Exercise Work).
Class 10 Sanskrit Manika Chapter 8 Solutions | Tirukkural Sukti Saurabham (तिरुक्कुरल् - सूक्ति - सौरभम्)
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| Class 10 Sanskrit Manika Chapter 8 Solutions | Tirukkural Sukti Saurabham (तिरुक्कुरल् - सूक्ति - सौरभम्) |
कक्षा 10 संस्कृत - अष्टमः पाठः तिरुक्कुलरल् - सूक्ति - सौरभम्
अभ्यास-कार्यम् (Solutions)
१. एकपदेन उत्तरत (एक शब्द में उत्तर दें)
| प्रश्न (क-ज) | प्रश्न | उत्तरम् |
| (क) | पिता पुत्राय बाल्ये किं यच्छति? | विद्याधनम् |
| (ख) | मूढमतिः कीदृशीं वाचं परित्यजति? | धर्मप्रदाम् |
| (ग) | अस्मिन् लोके के एव चक्षुष्मन्तः प्रकीर्तिताः? | विद्वांसः |
| (घ) | नरः केन गुणेन कस्यापि कथनस्य तत्त्वार्थनिर्णयं कर्तुं शक्नोति? | विवेकेन |
| (ङ) | प्राणेभ्योऽपि किं रक्षणीयम्? | सदाचारः |
| (च) | आत्मनः श्रेयः इच्छन् नरः कीदृशं कर्म न कुर्यात्? | अहितं कर्म |
| (छ) | वाचि किं भवेत्? | अवक्रता |
| (ज) | पाठे ‘वाचि पटुः’ इति स्थाने किं पदं प्रयुक्तम्? | वाक्पटुः |
२. पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूर्ण वाक्य में उत्तर दें)
(स्पष्टता के लिए इसे प्रश्न-उत्तर प्रारूप में रखा गया है)
(क) पुत्रः पितरं प्रति किम् अनुभवेत्?
उत्तरम्: पुत्रः पितरम् प्रति कृतज्ञताम् अनुभवेत्।
(ख) आत्मनः हितम् इच्छन् नरः किं कुर्यात्?
उत्तरम्: आत्मनः हितम् इच्छन् नरः कदापि परेभ्यः अहितं न कुर्यात्।
(ग) मूर्खबुद्धिः जनः कीदृशीं वाणीं त्यजति?
उत्तरम्: मूर्खबुद्धिः जनः धर्मप्रदां वाचं त्यजति।
(घ) विदुषां वचः किम्?
उत्तरम्: आचारः प्रथमः धर्मः इति विदुषां वचः।
(ङ) वस्तुतः लोके चक्षुष्मन्तः के कथिताः?
उत्तरम्: वस्तुतः विद्वांसः एव लोके चक्षुष्मन्तः कथिताः।
(च) महात्मानः समत्वं किं कथयन्ति?
उत्तरम्: यथा चित्ते अवक्रता तथा यदि वाचि भवेत्, तदेव महात्मानः समत्वं कथयन्ति।
(छ) विवेकी जनः कस्य तत्त्वार्थनिर्णयं कर्तुं शक्नोति?
उत्तरम्: येन केनापि यत् प्रोक्तम्, विवेकी जनः तस्य तत्त्वार्थनिर्णयं कर्तुम् शक्नोति।
(ज) कीदृशः जनः परैः न तिरस्क्रियते?
उत्तरम्: वाक्पटुः, धैर्यवान्, सभायाम् अपि अकातरः मन्त्री परैः न तिरस्क्रियते।
3. प्रश्ननिर्माणं कुरुत
| क्र. | उत्तर वाक्य (स्थूलपद) | प्रश्न निर्माण |
| (क) | विमूढधीः पक्वं फलं परित्यज्य अपक्वं फलं भुङ्क्ते। | कः पक्वं फलं परित्यज्य अपक्वं फलं भुङ्क्ते? |
| (ख) | संसारे विद्वांसः ज्ञानचक्षुभिः नेत्रवन्तः कथ्यन्ते। | संसारे विद्वांसः कैः नेत्रवन्तः कथ्यन्ते? |
| (ग) | जनकेन सुताय शैशवे विद्याधनं दीयते। | जनकेन सुताय कदा विद्याधनं दीयते? |
| (घ) | तत्त्वार्थस्य निर्णयः विवेकेन कर्तुं शक्यते। | तत्त्वार्थस्य निर्णयः केन कर्तुं शक्यते? |
| (ङ) | साधूनां चित्ते वाचि च सरलता भवति। | केषाम् चित्ते वाचि च सरलता भवति? |
| (च) | धैर्यवान् लोके परिभवं न प्रप्नोति। | कः लोके परिभवं न प्रप्नोति? |
| (छ) | आत्मकल्याणम् इच्छन् नरः परेषाम् अनिष्टं न कुर्यात्। | किम् / कम् इच्छन् नरः परेषाम् अनिष्टं न कुर्यात्? |
4. यथानिर्देशम् उत्तरत् (व्याकरण कार्य)
| क्र. | प्रश्न / निर्देश | उत्तरम् |
| (क) | ‘भुङ्क्ते‘ इति क्रियापदस्य किं कर्तृपदं प्रयुक्तम्? | विमूढधीः |
| (ख) | ‘परुषाम्’ इति विशेषणस्य किं विशेष्यपदं पाठे प्रयुक्तम्? | वाचम् |
| (ग) | ‘...वाचि भवेद् यदि।’ अस्मिन् वाक्ये किं क्रियापदं प्रयुक्तम्? | भवेत् |
| (घ) | ‘...इच्छत्यात्मनः श्रेयः...’ अत्र ‘कल्याणम्’ पदस्य पर्यायपदं किम्? | श्रेयः |
| (ङ) | ‘अल्पानि’ इति पदस्य किं विलोमपदं पाठे प्रयुक्तम्? | प्रभूतानि |
5. विलोम-शब्दाः
| शब्दः | विलोमशब्दः |
| (क) कृतज्ञता | कृतघ्नता |
| (ख) पक्वः | अपक्वः |
| (ग) परुषा | कोमला |
| (घ) विमूढधीः | सुधीः |
| (ङ) आलस्यम् | उद्योगः |
| (च) कातरः | अकातरः |
6. समानार्थकाः शब्दाः (पर्यायवाची)
| शब्दः | समानार्थक शब्द 1 | समानार्थक शब्द 2 | समानार्थक शब्द 3 |
| (क) चित्तम् | मनः | मानसम् | चेतः |
| (ख) मुखम् | वदनम् | आननम् | वक्त्रम् |
| (ग) प्रभूतम् | भूरि | विपुलम् | बहु |
| (घ) चक्षुः | नयनम् | लोचनम् | नेत्रम् |
| (ङ) सभा | संसद् | समितिः | परिषद् |
| (च) श्रेयः | शुभम् | कल्याणम् | शिवम् |
7. विशेषणपदैः रिक्तस्थानानि पूरयत
| क्र. | वाक्यम् (रिक्तस्थान सहित) | उत्तरम् (विशेषण) |
| (क) | ................... मन्त्री परैः न परिभूयते। | वाक्पटुः धैर्यवान् सभायामपि अकातरः |
| (ख) | बुद्धिमान् सदा ................... एव वाचं वदति। | धर्मप्रदाम् |
| (ग) | यः सुखानि इच्छति सः ................... कर्म त्यजेत्। | अहितं |
| (घ) | पुत्रः शैशवे पितुः ................... विद्याधनं प्राप्नोति। | महत् |
| (ङ) | ................... आचारः इति विद्वांसः मन्यन्ते। | प्रथमो धर्मः |
प्रश्न 8: भाव-पूर्ति
निर्देश: पाठात् चित्वा अधोलिखितपद्यांशानां भावम् उपयुक्तपदैः पूरयत।
(नीचे लिखे पद्यांशों के भाव को पाठ से चुनकर उचित शब्दों से पूरा करें।)
(क) चित्ते वाचि च सरलता महात्मभिः समत्वम् मन्यते।
(ख) पिता पुत्राय विद्यादानार्थं महत् कष्टं सहते। पुत्रेण अस्य अनुभूतिः एव कृतज्ञता कथ्यते।
(ग) विमूढधीः एव धर्मप्रदां वाचं त्यक्त्वा परुषां वाचं वदति।
(घ) अस्मिन् संसारे केवलं विद्वांसः एव चक्षुष्मन्तः मन्तव्याः।
(ङ) प्रत्येकं कथनस्य तत्वार्थस्य निर्णयः येन क्रियते सः विवेकः अस्ति।
(च) यः मन्त्री (परामर्शदाता) तु वाक्पटुः धैर्यवान् सभायामप्यकातरः भवति स अन्यैः कदापि न तिरस्क्रियते।
प्रश्न 9: अन्वय-पूर्ति
निर्देश: पाठात् चित्वा अधोलिखितानां श्लोकानाम् अन्वयम् उचितपदक्रमेण पूरयत।
(पाठ से चुनकर श्लोकों का अन्वय उचित क्रम में पूरा करें।)
(क) पिता पुत्राय बाल्ये महत् विद्याधनं यच्छति, अस्य पिता किम् तपः तेपे, इत्युक्तिः तत्कृतज्ञता।
(ख) येन केनापि यत् प्रोक्तं। तस्य तत्त्वार्थनिर्णयः येन कर्तुम् शक्यः भवेत्, सः विवेकः इति ईरितः।
(ग) य आत्मनः श्रेयः प्रभूतानि सुखानि च इच्छति, सः परेभ्यः अहितम् कर्म कदापि च न कुर्यात्।
10. सूक्ति-मेलनम्
| क्र. | कथनम् | तद्भावात्मक-सूक्तिः |
| (क) | विद्याधनं महत् | 1. विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्। 2. विद्याधनं श्रेष्ठं तन्मूलमितरद्धनम्। |
| (ख) | आचारः प्रथमो धर्मः | 1. आचारेण तु संयुक्तः सम्पूर्णफलभाग्भवेत्। 2. आचारप्रभवो धर्मः सन्तश्चाचारलक्षणाः। |
| (ग) | चित्ते वाचि च अवक्रता एव समत्वम् | 1. मनसि एकं वचसि एकं कर्मणि एकं महात्मनाम्। 2. सं वो मनांसि जानतां। |
11. समास-विग्रहः
| विग्रहः | समस्तपदम् | समास-नाम |
| (क) तत्त्वार्थस्य निर्णयः | तत्त्वार्थनिर्णयः | षष्ठी तत्पुरुषः |
| (ख) वाचि पटुः | वाक्पटुः | सप्तमी तत्पुरुषः |
| (ग) धर्मं प्रददाति इति (ताम्) | धर्मप्रदाम् | उपपद तत्पुरुषः |
| (घ) न कातरः | अकातरः | नञ् तत्पुरुषः |
| (ङ) न हितम् | अहितम् | नञ् तत्पुरुषः |
| (च) महान् आत्मा येषाम् ते | महात्मानः | बहुव्रीहिः |
| (छ) विमूढा धीः यस्य सः | विमूढधीः | बहुव्रीहिः |
12. भिन्नप्रकृतिकं पदम् (Odd One Out)
| पद समूह | भिन्न पद (Odd Word) | कारण |
| तपः, धर्मः, श्रेयः, वचः | धर्मः | (अन्य सभी 'सकारांत' नपुंसकलिंग हैं, धर्मः 'अकारांत' पुल्लिंग है) |
| तथ्यतः, विशेषतः, मुख्यतः, ईरितः | ईरितः | (अन्य सभी में 'तसिल' प्रत्यय है, इसमें 'क्त' प्रत्यय है) |
| लघुता, प्रकीर्तिता, अवक्रता, कृतज्ञता | प्रकीर्तिता | (अन्य सभी भाववाचक संज्ञा हैं, यह विशेषण/क्रिया रूप है) |
| लोके, चित्ते, वाचि, भुङ्क्ते | भुङ्क्ते | (अन्य सभी सप्तमी विभक्ति में हैं, यह क्रियापद है) |
13. उचितम् अर्थं चित्वा लिखत (MCQs)
| क्र. | वाक्य/शब्द | सही अर्थ (विकल्प) |
| (क) | श्रेयः | कल्याणम् |
| (ख) | आहुः | कथयन्ति |
| (ग) | वाक्पटुः | वाक्कुशलः |
| (घ) | परुषां | कठोराम् |
| (ङ) | ईरितः | कथितः |

