Get complete NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Manika Chapter 7 साधुवृत्तिं समाचरेत्. Includes accurate Question Answers (अभ्यास कार्य) and Hindi translation to help you score high in Board Exams
यहाँ NCERT संस्कृत मणिका भाग 2, कक्षा 10, पाठ 7 - 'साधुवृत्तिं समाचरेत्' का सम्पूर्ण अभ्यास कार्य प्रस्तुत है।
NCERT Solutions Class 10 Sanskrit Manika Chapter 7: साधुवृत्तिं समाचरेत् (Sadhuvrittim Samacharet) | Question Answers
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पाठ 7 - 'साधुवृत्तिं समाचरेत्'
अभ्यास-कार्यम् (Exercises)
1. एकपदेन उत्तरत (एक शब्द में उत्तर दीजिये)
| प्रश्नः | उत्तरम् |
| (क) प्रच्छन्नभाग्यः कुत्र अवसत्? | कर्मपुरनगरे |
| (ख) प्रच्छन्नभाग्यः कम् पापमार्ग त्यक्तुम् अकथयत्? | दुष्टबुद्धिम् |
| (ग) प्रच्छन्नभाग्यस्य पत्नी कीदृशी आसीत्? | बुद्धिमती |
| (घ) आपदां तरणिः किम् अस्ति? | धैर्यम् |
| (ङ) पत्न्याः परामर्शेन सः कस्य क्षेत्रे कार्यं प्रारभत? | कृषकस्य (क्षेत्रे) |
| (च) कीदृशः प्रच्छन्नभाग्यः स्वगृहं प्रत्यागच्छत्? | समुपजातविवेकः |
| (छ) सुवर्णपूरितः कलशः कस्य वृक्षस्य मूले स्थितः आसीत्? | अश्वत्थस्य |
2. पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिये)
| प्रश्नः | उत्तरम् |
| (क) दुष्टबुद्धिः कलशे कम् अपश्यत्? | दुष्टबुद्धिः कलशे एकं भयङ्करम् विषधरम् अपश्यत्। |
| (ख) दुष्टबुद्धिः कलशं किमर्थं मित्रस्य गृहे अपातयत्? | दुष्टबुद्धिः कलशम् स्वमित्रम् सर्पेण मारयितुम् इच्छन् मित्रस्य गृहे अपातयत्। |
| (ग) प्रच्छन्नभाग्यस्य चक्षुषी केन समुन्मीलिते? | प्रच्छन्नभाग्यस्य चक्षुषी गुरूपदेशेन इव बालवचसा समुन्मीलिते। |
| (घ) सर्पः कं दष्टवान्? | सर्पः दुष्टबुद्धिम् दष्टवान्। |
| (ङ) नरः कीदृशीं वृत्तिं समाचरेत्? | नरः साधुवृत्तिम् समाचरेत्। |
| (च) कलशपातशब्देन प्रबुद्धौ दम्पती किम् अपश्यताम्? | कलशपातशब्देन प्रबुद्धौ दम्पती प्रचुरमणिमाणिक्यानाम् आभया भासमानं निजगृहम् अपश्यताम्। |
| (छ) परद्रव्ये अनासक्ता बुद्धिमती किं न्यवेदयत्? | परद्रव्ये अनासक्ता बुद्धिमती न्यवेदयत् – ‘नाथ! विरम अस्माद् लोभात्।’ |
3. प्रश्ननिर्माणं क्रियताम् (रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण)
| वाक्यम् | प्रश्ननिर्माणम् |
| (क) विषादं त्यक्त्वा उद्यमः क्रियताम्। | कं / किम् त्यक्त्वा उद्यमः क्रियताम्? |
| (ख) जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः घटः पूर्यते। | केन क्रमशः घटः पूर्यते? |
| (ग) कृषकस्य क्षेत्रे श्रमं कृत्वा स धनम् अर्जितवान्। | कृषकस्य क्षेत्रे किम् कृत्वा स धनम् अर्जितवान्? |
| (घ) धैर्यम् आपदां तरणिः। | धैर्यम् कासां तरणिः? |
| (ङ) नरः साधुवृत्तिं समाचरेत्। | नरः कीदृशीं / काम् वृत्तिं समाचरेत्? |
| (च) प्रच्छन्नभाग्यस्य गृहम् मणीनाम् आभया भासमानम् अभवत्। | प्रच्छन्नभाग्यस्य गृहम् कासाम् आभया भासमानम् अभवत्? |
4. यथानिर्देशम् उत्तरत (व्याकरण आधारित प्रश्न)
| प्रश्नः / वाक्यम् | उत्तरम् |
| (क) ‘साधुजनगर्हितम् इमं पन्थानं त्यजतु भवान्।’ (कर्तृपदं किम्?) | भवान् |
| (ख) ‘अहो विचित्रः स्वप्नो मया दृष्टः।’ (विशेषणपदं किम्?) | विचित्रः |
| (ग) ‘प्रविश्य’ इति पदस्य विलोमपदं किं प्रयुक्तम्? | निर्गत्य |
| (घ) ‘अनेन वचसा प्रतिहतान्तःकरणः प्रच्छन्नभाग्यः अचिन्तयत्।’ (क्रियापदं किम्?) | अचिन्तयत् |
| (ङ) ‘शीघ्रम्’ इति पदस्य पर्यायपदं किम्? | सपदि |
| (च) ‘दुष्टबुद्धिः तु तस्य सद्वचनानि...’ (‘तस्य’ सर्वनाम कस्मै प्रयुक्तम्?) | प्रच्छन्नभग्याय |
| (छ) ‘विचित्रा खलु दैवगतिः।’ (विशेष्यपदं किम्?) | दैवगतिः |
5. घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि लिखत
(सही क्रम निम्नलिखित है)
प्रच्छन्नभाग्यः नामकः एकः कुमारः कर्मपुरनगरे अवसत्।
बाल्ये सः दुष्टबुद्धिनाम्ना चौरेण सह चौर्यकर्मणि संलग्नः अभवत्।
मार्गे गच्छतः प्रच्छन्नभाग्यस्य मनः केनचित् बालवचसा प्रतिहतम् अभवत्।
सः पापपथं त्यक्त्वा गृहम् आगच्छत्।
पश्चात्तापेन दग्धमानसः सः सर्वं वृत्तान्तं भार्यायै निवेद्य सकरुणम् अक्रन्दत्।
पत्न्याः परामर्शेन सः परिश्रमं कृत्वा शनैः शनैः प्रभूतं धनम् अर्जितवान्।
मित्रस्य धनागमवृत्तान्तं श्रुत्वा दुष्टबुद्धिः तस्यैव गृहे चौर्यार्थम् अगच्छत्।
प्रच्छन्नभाग्यस्य स्वप्नवार्ता श्रुत्वा सः झटिति क्षेत्रम् अगच्छत्।
दुष्टबुद्धिः अश्वत्थमूलं खनित्वा सुवर्णकलशं प्राप्तवान्।
यदा सः सुवर्णकलशस्य आवरणम् अपसारितवान् तदैव तस्मिन् एकं भयङ्करं विषधरं दृष्टवान्।
6. विशेषण-विशेष्य संयोजनम्
| पात्रम् (विशेष्य) | विशेषणानि |
| प्रच्छन्नभाग्यः | विद्यापराङ्मुखः, परिश्रमी, समुपजातविवेकः, शान्तचित्तः |
| दुष्टबुद्धिः | चौरः, कृतघ्नः, लोभी, ईर्ष्यालुः |
| प्रच्छन्नभाग्यस्य पत्नी | बुद्धिमती, धैर्यवती, लोभरहिता, अनासक्ता |
7. उचितं संयोजनं (सही मिलान)
| ‘क’ स्तम्भः | ‘ख’ स्तम्भः (सही उत्तर) |
| (क) सखे, यदि मां मित्रस्थाने परिगणयसि तर्हि | (iii) साधुजनगर्हितं पन्थानं त्यजतु, भवान् |
| (ख) जलबिन्दुनिपातेन | (iv) क्रमशः पूर्यते घटः। |
| (ग) स हलकार्यं कृत्वा श्रमेण | (ii) प्रभूतं धनम् अर्जितवान्। |
| (घ) बुद्धिमती सा अवदत्-अलं चिन्तया | (v) आपदां तरणिः धैर्यम्। |
| (ङ) गुरूपदेशेन इव अनेन | (i) बालवचसा मम चक्षुषी समुन्मीलिते। |
8. कः कम् कथयति (किसने किससे कहा)
| कथनम् | कः (किसने) | कम् (किससे) |
| (क) कथं भवन्तौ सुपथं परित्यज्य कुपथेन गन्तुं प्रवृत्तौ? | उदण्डः बालकः | प्रच्छन्नभाग्यम् दुष्टबुद्धिम् च |
| (ख) सखे! साधुजनगर्हितम् इमं पन्थानं त्यजतु भवान् | प्रच्छन्नभाग्यः | दुष्टबुद्धिम् |
| (ग) इदानीम् विषादं त्यक्त्वा उद्यमः क्रियताम्। | प्रच्छन्नभाग्यस्य भार्या | प्रच्छन्नभाग्यम् |
| (घ) अहो विचित्रः स्वप्नः मया दृष्टः। | प्रच्छन्नभाग्यः | स्वभार्यां |
| (ङ) नाथ! विरम् अस्माद् लोभात्। | प्रच्छन्नभाग्यस्य भार्या | प्रच्छन्नभाग्यम् |
9. पर्यायपद-चयनम् (समानार्थक शब्द)
| मूल शब्द | पर्यायः 1 | पर्यायः 2 | पर्यायः 3 |
| रात्रिः | शर्वरी | निशा | रजनी |
| धनं | द्रविणम् | अर्थः | वित्तम् |
| सर्पः | भुजंगः | अहिः | विषधरः |
| दृष्ट्वा | वीक्ष्य | विलोक्य | प्रेक्ष्य |
| नेत्रं | अक्षिः | लोचनं | चक्षुः |
| त्यक्त्वा | परित्यज्य | हित्वा | विहाय |
| गृहं | निकेतनम् | गेहम् | सदनं |
10. समस्तपदैः वाक्यानि पूरयत (समास)
| विग्रह वाक्यम् / प्रश्नः | समस्तपदम् / उत्तरम् |
| (क) क्लेशानां परम्परा कस्य मानसं न संतापयति? | क्लेशपरम्परा |
| (ख) गुरोः उपदेशः शिष्यस्य कल्याणाय भवति। | गुरूपदेशः |
| (ग) परेषां द्रव्ये आसक्तिः उचिता नास्ति। | परद्रव्ये |
| (घ) कलशस्य पातेन तस्य निद्राभङ्गः अभवत्। | कलशपातेन |
| (ङ) यः नरः विद्यायाः पराङ्मुखः भवति... | विद्यापराङ्मुखः |
| (च) साधूनां वृत्तिम् आचरेत्। | साधुवृत्तिम् |
| (छ) रवेः किरणाः गृहस्य अभ्यन्तरे प्रविशन्ति। | रविकिरणाः / गृहाभ्यन्तरे |
11. प्रसङ्गानुसारम् उचितम् अर्थम् (सही अर्थ चुनिए)
| वाक्यम् / पदम् | विकल्पः | सही उत्तर |
| (क) सन्धिं प्रकल्प्य... | (i) चिन्तयित्वा (ii) रचयित्वा (iii) कथयित्वा | रचयित्वा |
| (ख) ...आभया भासमानं... | (i) प्रकाशेन (ii) सूर्येण (iii) अग्निना | प्रकाशेन |
| (ग) आपदां तरणिः धैर्यम्। | (i) सूर्यः (ii) तरणम् (iii) नौका | नौका |
| (घ) झटिति एव क्षेत्रं गतः। | (i) सहसा (ii) शीघ्रम् (iii) विलम्बेन | शीघ्रम् |
| (ङ) विषादं त्यक्त्वा उद्यमः क्रियताम्। | (i) परिश्रमः (ii) प्रयत्नः (iii) प्रयोगः | परिश्रमः |

