Hitam Manohari Cha Durlabham Vachah – Class 7 Sanskrit Chapter 8 Notes, Question Answers | हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः अभ्यास प्रश्न उत्तर
Class 7 Sanskrit Chapter 8 ‘हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः’ के सम्पूर्ण NCERT solutions, अभ्यास प्रश्नोत्तरी
Hitam Manohari Cha Durlabham Vachah – Class 7 Sanskrit Chapter 8 Notes, Question Answers
📘 हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः
✦ अभ्यास-कार्य ✦
१. ‘आम्’ अथवा ‘न’ इति लिखन्तु
| क्रम | प्रश्न | उत्तर |
|---|---|---|
| (क) | किं वयं पृथिव्याः पुत्राः पुत्र्यः च स्मः ? | आम् |
| (ख) | किं रत्नम् अन्विष्यति ? | न |
| (ग) | किं शीलं श्रेष्ठम् आभूषणम् अस्ति ? | आम् |
| (घ) | किं शरीरम् आद्यं धर्मसाधनम् ? | आम् |
| (ङ) | किं गुणानां सर्वदा एव आदरः भवति ? | आम् |
| (च) | किं क्रियाशीलः एव विद्वान् भवति ? | आम् |
| (छ) | किम् अस्माभिः केवलं मनोरञ्जकानि वाक्यानि वक्तव्यानि ? | न |
| (ज) | यः सदा सुखम् इच्छति, किं सः विद्यां प्राप्नोति ? | न |
२. एकपदेन उत्तराणि लिखन्तु
| प्रश्न | उत्तर |
|---|---|
| (क) आद्यं धर्मसाधनं किम् ? | शरीरम् |
| (ख) कीदृशं वचः मा ब्रूहि ? | दीनम् |
| (ग) श्रेष्ठम् आभूषणं किम् ? | शीलम् |
| (घ) सर्वेषां मनुष्याणां माता का ? | पृथ्वी |
| (ङ) रत्नानाम् अन्वेषणं के कुर्वन्ति ? | ग्राहकाः |
३. पूर्णवाक्येन उत्तरम् लिखन्तु
(क) कः विद्वान् अस्ति ?
उत्तरः – अर्जितज्ञानस्य आचरणेन व्यवहारप्रयोगेन च मनुष्यः वास्तविकः विद्वान् भवति, न केवलं अध्ययनात्।
(ख) गुणिषु पूजास्थानं किम् ?
उत्तरः – गुणिषु पूजास्थानं गुणाः एव भवन्ति, न लिङ्गं न वयः।
(ग) कः विद्यां न प्राप्नोति ?
उत्तरः – यः सदा सुखम् इच्छति, परिश्रमं न करोति, अलसः सः विद्यां न प्राप्नोति।
(घ) मनुष्यः विद्याम् अर्थं च कथं साधयेत् ?
उत्तरः – मनुष्यः क्षणशः कणशः च समयस्य रूप्यकस्य च संचयं कृत्वा विद्याम् अर्थं च साधयेत्।
(ङ) कीदृशं वचनं दुर्लभम् ?
उत्तरः – यत् वचनं हितकारकं च मनोहारि च भवति तत् दुर्लभं भवति।
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| Hitam Manohari Cha Durlabham Vachah – Class 7 Sanskrit Chapter 8 Notes, Question Answers |
४. रेखाङ्कितपदानि आधारित्वा प्रश्ननिर्माणम्
| मूल वाक्य | प्रश्न |
|---|---|
| (क) शीलं परं भूषणम्। | किं परं भूषणम् ? |
| (ख) मनुष्यः पृथिव्याः सन्तानः अस्ति। | मनुष्यः कस्याः सन्तानः अस्ति ? |
| (ग) गुणिषु लिङ्गं वयः च न महत्त्वपूर्णम्। | केषु लिङ्गं वयः च न महत्त्वपूर्णम् ? |
| (घ) हितकारकं मनोहारि च वचः दुर्लभं भवति। | हितकारकं मनोहारि च किम् दुर्लभं भवति ? |
५. समुचितं मेलनम्
| A | B |
|---|---|
| (क) क्षणशः कणशः साधयेत् | विद्याम् अर्थं च |
| (ख) सर्वश्रेष्ठम् आभूषणम् | शीलम् |
| (ग) रत्नं न अन्विष्यति, तत् | मृग्यते |
| (घ) आद्यं धर्मसाधनम् | शरीरम् |
| (ङ) हितकारकं मनोहारि च वचः | दुर्लभम् |
| (च) पूजास्थानम् | गुणाः |
६. समानार्थकपदानि लिखन्तु
| शब्दः | समानार्थकपदम् |
|---|---|
| (क) सुतः | पुत्रः |
| (ख) प्रथमम् | आद्यम् |
| (ग) धनम् | अर्थम् |
| (घ) अवस्था | वयः |
| (ङ) वचनम् | वचः |
| (च) आचरणम् | शीलम् |
७. रेखाङ्कित पदानां विभक्तिः
| वाक्य | रेखाङ्कित पद | विभक्तिः |
|---|---|---|
| (क) माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः। | पृथिव्याः | षष्ठी |
| (ख) गुणाः पूजास्थानं गुणिषु। | गुणिषु | सप्तमी |
| (ग) शीलं परं भूषणम्। | शीलं | प्रथमा |
| (घ) ... विद्याम् अर्थं च साधयेत्। | विद्याम् | द्वितीया |
| (ङ) सुखार्थिनः कुतो विद्या कुतो विद्यार्थिनः? | विद्यार्थिनः | प्रथमा/द्वितीया |
| (च) हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः। | वचः | प्रथमा |
८. अनुस्वारस्य स्थाने ‘म्’ लिखित्वा वाक्यानि पुनर्लिखन्तु
| मूल वाक्य | संशोधित वाक्य |
|---|---|
| (क) न रत्नं अन्विष्यति। | न रत्नम् अन्विष्यति। |
| (ख) शरीरं आद्यं खलु धर्मसाधनम्। | शरीरम् आद्यं खलु धर्मसाधनम्। |
| (ग) वयं अद्यतनं पाठं पठामः। | वयम् अद्यतनं पाठं पठामः। |
| (घ) त्वं अस्माकं गृहं आगच्छ। | त्वम् अस्माकं गृहम् आगच्छ। |
| (ङ) अहं एकं प्रश्नं प्रष्टुं इच्छामि। | अहम्एकं प्रश्नं प्रष्टुम् इच्छामि। |
| (च) गुणं अर्जयितुं अधिकं प्रयत्नं करोतु। | गुणम् अर्जयितुम् अधिकं प्रयत्नं करोतु। |
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