“Vrikshah Satpurushah Iva” Class 6 Sanskrit Chapter 15 के सभी अभ्यास प्रश्न-उत्तर यहाँ सरल, सुव्यवस्थित और विद्यार्थी-हितकारी रूप में उपलब्ध हैं। इसमें पद्यांश, शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद, व्याख्या, तालिकाएँ, एकपदीय उत्तर, पूर्णवाक्य प्रश्नोत्तर, रिक्तस्थान, रूप, लट्-लकार, तथा पाठ का सारांश शामिल है। यह नोट्स CBSE Class 6 Sanskrit परीक्षा की तैयारी में अत्यंत उपयोगी हैं।
Vrikshah Satpurushah Iva Class 6 Chapter 15 Question Answers | वृक्षाः सत्पुरुषाः इव अभ्यास प्रश्न उत्तर
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| Vrikshah Satpurushah Iva Class 6 Chapter 15 Question Answers | वृक्षाः सत्पुरुषाः इव अभ्यास प्रश्न उत्तर |
📘 Class 6 Sanskrit – Chapter 15
🌳 वृक्षाः सत्पुरुषाः इव
अभ्यास-प्रश्नोत्तर — सुव्यवस्थित रूप (Decoded + Refined)
🔷 प्रश्न 1 पाठे लिखितानि सुभाषितानि सस्वरं पठन्तु, अवगच्छन्तु, लिखन्तु, स्मरन्तु च।
उत्तर:
छात्राः सुभाषितानि सस्वरं पठेयुः, तेषां अर्थं बोधयेयुः, लिखेयुः, स्मरेयुः च।
🔷 प्रश्न 2 — एकपदेन उत्तराणि लिखन्तु
| क्रम | प्रश्न | एकपदेन उत्तरम् |
|---|---|---|
| (क) | वृक्षाः स्वयं कुत्र तिष्ठन्ति? | आतपे |
| (ख) | परोपकाराय का वहेयुः / का: वहन्ति? | नद्यः |
| (ग) | दशवापीसमः कः भवति? | हृदः |
| (घ) | सत्पुरुषाः इव के सन्ति? | वृक्षाः |
| (ङ) | अर्थिनः केभ्यः न विमुखाः भवन्ति? | महीरुहाः |
| (च) | वृक्षाः स्वयं किं न खादन्ति? | फलानि |
🔷 प्रश्न 3 — पूर्णवाक्येन उत्तराणि लिखन्तु
(क) नद्यः किं न पिबन्ति?
→ नद्यः स्वयम् अम्बु न पिबन्ति।
(ख) वृक्षाः अस्मभ्यं किं किं यच्छन्ति?
→ वृक्षाः अस्मभ्यं पुष्पाणि, पत्राणि, फलानि, छायाम्, मूलानि, वल्कलानि च यच्छन्ति।
(ग) इदं शरीरं किमर्थम् अस्ति?
→ इदं शरीरं परोपकाराय अस्ति।
(घ) दशपुत्रसमः कः भवति?
→ दशपुत्रसमः द्रुमः भवति।
(ङ) केषां विभूतयः परोपकाराय भवन्ति?
→ सतां विभूतयः परोपकाराय भवन्ति।
(च) अन्यस्य छायां के कुर्वन्ति?
→ वृक्षाः अन्यस्य छायां कुर्वन्ति।
🔷 प्रश्न 4 — रिक्तस्थान पूरयन्तु
- फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरुषाः इव।
- दशहृदः समः पुत्रः, दशपुत्रसमः द्रुमः।
- सुजनस्य विभूतयः परोपकाराय भवन्ति।
- स्वयं न खादन्ति वृक्षाः फलानि।
- परोपकाराय इदं शरीरम्।
- अर्थिनः महीरुहेभ्यः न विमुखाः भवन्ति।
🔷 प्रश्न 5 — वाक्येषु विभक्ति-नामानि निर्दिशन्तु
| वाक्य | विभक्ति |
|---|---|
| वृक्षाः अन्यस्मै छायां ददति। | चतुर्थी + द्वितीया |
| नद्यः परोपकाराय वहन्ति। | चतुर्थी |
| वृक्षाः फलानि यच्छन्ति। | द्वितीया |
| अर्थिनः नित्यं याचन्ते। | प्रथमा |
| सत्पुरुषाः परार्थाय जीवितानि। | चतुर्थी |
🔷 प्रश्न 6 — शब्दानां द्विवचन-बहुवचन रूपाणि लिखन्तु
| मूल शब्द | द्विवचन | बहुवचन |
|---|---|---|
| मेघः | मेघौ | मेघाः |
| हृदः | हृदौ | ह्रदाः |
| सत्पुरुषः | सत्पुरुषौ | सत्पुरुषाः |
| वापी | वप्यौ | वप्यः |
| नदी | नद्योः | नद्यः |
| वृक्षः | वृक्षौ | वृक्षाः |
| पुष्पम् | पुष्पे | पुष्पाणि |
| शरीरम् | शरीरे | शरीराणि |
🔷 प्रश्न 7 — लट्-लकारे प्रथमपुरुष रूपाणि (एकवचन–द्विवचन–बहुवचन)
| धातु / क्रियापद | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
|---|---|---|---|
| तिष्ठन्ति | तिष्ठति | तिष्ठतः | तिष्ठन्ति |
| फलन्ति | फलति | फलतः | फलन्ति |
| यान्ति | याति | यातः | यान्ति |
| पिबन्ति | पिबति | पिबतः | पिबन्ति |
| खादन्ति | खादति | खादतः | खादन्ति |
🔷 पाठ-सार (संक्षेपेण)
- वृक्ष स्वयं धूप सहते हैं परन्तु दूसरों को छाया देते हैं।
- अपने फल, पत्ते, पुष्प, जड़ आदि स्वयं न लेकर जीवों को देते हैं।
- नदियाँ भी अपना जल स्वयं नहीं पीतीं — परोपकार करती हैं।
- यही सत्पुरुषों का स्वभाव है — निःस्वार्थ सेवा।
- वृक्ष का महत्व इतना है कि ‘एक वृक्ष दस पुत्रों के समान’ कहा गया।
- सीख : जीवन का ध्येय परोपकार होना चाहिए।
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