“जननी तुल्यवत्सला” Class 10 Sanskrit NCERT Shemushi Part 2 का Chapter 5 है, जिसमें माता की करुणा, पुत्रवत्सलता और जीवों के प्रति संवेदना का सुंदर वर्णन मिलता है। इस पेज पर हम आपको Chapter 5 ‘जननी तुल्यवत्सला’ के सभी प्रश्न-उत्तर (Question Answers) अत्यंत सरल, व्यवस्थित और परीक्षा-उपयोगी रूप में प्रस्तुत करते हैं। यहाँ एकपदेन उत्तरं, पूर्णवाक्येन उत्तरम्, समानार्थक पद मिलान, प्रश्न निर्माण, सन्धि-विच्छेद, सर्वनाम-प्रयोग, और विशेषण-विशेष्य मेलनम् सभी को साफ-सुथरी तालिकाओं (Tables) में व्यवस्थित किया गया है।
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जननी तुल्यवत्सला Chapter 5 Question Answers | Class 10 Sanskrit NCERT Solutions
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| जननी तुल्यवत्सला Chapter 5 Question Answers | Class 10 Sanskrit NCERT Solutions |
📘 जननी तुल्यवत्सला
अभ्यास कार्य
प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर)
| प्रश्न (क-ङ) | उत्तर |
|---|---|
| (क) वृषभः दीनः इति जानन्नपि कः तं नुद्यमानः आसीत्? | कृषकः |
| (ख) वृषभः कुत्र पपात? | क्षेत्रे |
| (ग) दुर्बले सुते कस्याः अधिका कृपा भवति? | मातुः |
| (घ) कयोः एकः शरीरेण दुर्बलः आसीत्? | बलीवर्दयोः |
| (ङ) चण्डवातेन मेघरवैश्च सह कः समजायत? | प्रवर्षः |
प्रश्न 2. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत (संस्कृत भाषा में)
| प्रश्न | उत्तर |
|---|---|
| (क) कृषकः किं करोति स्म? | कृषकः क्षेत्रकर्षणं करोति स्म। |
| (ख) माता सुरभिः किमर्थम् अश्रूणि मुञ्चति स्म? | भूमौ पतिते स्वपुत्रं दृष्ट्वा माता सुरभिः अश्रूणि मुञ्चति स्म। |
| (ग) सुरभिः इन्द्रस्य प्रश्नस्य किमुत्तरं ददाति? | सुरभिः इन्द्रस्य इदम् उत्तरं ददाति-"भो वासव! पुत्रस्य दैन्यं दृष्ट्वा अहं रोदिमि।” |
| (घ) मातुः अधिका कृपा कस्मिन् भवति? | मातुः अधिका कृपा दीने पुत्रे भवति। |
| (ङ) इन्द्रः दुर्बलवृषभस्य कष्टानि अपाकर्तुं किं कृतवान्? | इन्द्रः दुर्बलवृषभस्य कष्टानि अपाकर्तुं प्रवर्षः कृतवान्। |
| (च) जननी कीदृशी भवति? | जननी सर्वेषु अपत्येषु तुल्यवत्सला परं दीने पुत्रे कृपार्द्रहृदया भवति। |
| (छ) पाठेऽस्मिन् कयोः संवादः विद्यते? | अस्मिन् पाठे सुरभिसुराधिपइन्द्रयोः संवादः विद्यते। |
प्रश्न 3. समानार्थकपदानां मेलनम् (सही मिलान)
| 'क' स्तम्भ (शब्द) | 'ख' स्तम्भ (समानार्थक पद) |
|---|---|
| (क) कृच्छ्रेण | (i) काठिन्येन |
| (ख) चक्षुभ्याम् | (ii) नेत्राभ्याम् |
| (ग) जवेन | (iii) द्रुतगत्या |
| (घ) इन्द्रः | (iv) वासवः |
| (ङ) पुत्राः | (v) सुताः |
| (च) शीघ्रम् | (vi) अचिरम् |
| (छ) बलीवर्दः | (vii) वृषभः |
प्रश्न 4. प्रश्ननिर्माणं कुरुत
| वाक्य | प्रश्न निर्माण |
|---|---|
| (क) सः कृच्छ्रेण भारम् उद्वहति। | सः केन / कथम् भारम् उद्वहति? |
| (ख) सुराधिपः ताम् अपृच्छत्? | कः ताम् अपृच्छत्? |
| (ग) अयम् अन्येभ्यो दुर्बलः। | अयम् केभ्यः / केभ्यो दुर्बलः? |
| (घ) धेनूनाम् माता सुरभिः आसीत्? | कासाम् माता सुरभिः आसीत्? |
| (ङ) सहस्राधिकेषु पुत्रेषु सत्स्वपि सा दुःखी आसीत्। | कति पुत्रेषु सत्स्वपि सा दुःखी आसीत्? |
प्रश्न 5. सन्धिं / सन्धि-विच्छेदं कुरुत
| पद / विच्छेद | सन्धि / विच्छेद (उत्तर) |
|---|---|
| (क) कुर्वन् + आसीत् | कुर्वन्नासीत् |
| (ख) तयोरेकः | तयोः + एकः |
| (ग) न + उत्थितः | नोत्थितः |
| (घ) सत्स्वपि | सत्सु + अपि |
| (ङ) तथा + अपि + अहम् + एतस्मिन् | तथाप्यहमेतस्मिन् |
| (च) बहूनि + अपत्यानि | बहून्यपत्यानि |
| (छ) जलोपप्लवः | जल + उपप्लवः |
प्रश्न 6. सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्
| वाक्य | किसके लिए (उत्तर) |
|---|---|
| (क) सा च अवदत् भो वासव! | धेनुमात्रे सुरभये (सुरभ्यै) |
| (ख) पुत्रस्य दैन्यं दृष्ट्वा अहम् रोदिमि। | धेनुमात्रे सुरभये (सुरभ्यै) |
| (ग) सः दीनः इति जानन् अपि कृषकः तं पीडयति। | दुर्बल बलीवर्दाय |
| (घ) मे बहूनि अपत्यानि सन्ति। | धेनुमात्रे सुरभये (सुरभ्यै) |
| (ङ) सः च ताम् एवम् असान्त्वयत्। | आखण्डलाय (इन्द्राय) |
| (च) सहस्रेषु पुत्रेषु सत्स्वपि तव अस्मिन् प्रीतिः अस्ति। | धेनुमात्रे सुरभये (सुरभ्यै) |
प्रश्न 7. विशेषण-विशेष्य मेलनम्
| विशेषणपदम् | विशेष्यपदम् (सही उत्तर) |
|---|---|
| (क) कश्चित् | (i) कृषकः |
| (ख) दुर्बलम् | (ii) वृषभम् |
| (ग) क्रुद्धः | (iii) कृषीवलः |
| (घ) सहस्राधिकेषु | (iv) पुत्रेषु |
| (ङ) अभ्यधिका | (v) कृपा |
| (च) विस्मितः | (vi) आखण्डलः |
| (छ) तुल्यवत्सला | (vii) जननी |
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