यह पेज Class 10 Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 4 – Shishulalanam के सभी प्रश्न-उत्तरों को अत्यंत व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करता है। ‘शिशुलालनम्’ पाठ में लव-कुश, राम और वाल्मीकि से सम्बंधित सुन्दर प्रसंगों का वर्णन है, और यहाँ दिए गए उत्तर NCERT के नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार सरलता से समझने योग्य बनाए गए हैं। इस सामग्री में एकपदेन उत्तरम्, पूर्णवाक्येन उत्तरम्, व्याकरण (विभक्ति-निर्देश), सन्धि-विच्छेद, विशेषण-विशेष्यम्, पर्यायवाची शब्द, तथा ‘कः कं प्रति कथयति’—सभी को स्पष्ट तालिकाओं (tables) में सुसंगठित रूप से शामिल किया गया है।
यह लेख उन छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो Class 10 Board Exam के लिए संस्कृत की प्रभावी तैयारी करना चाहते हैं। प्रत्येक उत्तर परीक्षा-उन्मुख है तथा शब्दार्थ, व्याकरण और प्रसंग की समझ को मजबूत करता है। अध्याय 4 Shishulalanam के कठिन अंशों को भी सरल भाषा में समझाया गया है, जिससे विद्यार्थी पाठ का भाव, अर्थ और प्रसंग आसानी से ग्रहण कर सकें। यदि आप NCERT Sanskrit Chapter 4 Shishulalanam के best notes, summary और solved exercises खोज रहे हैं, तो यह पेज आपके लिए सबसे उपयुक्त अध्ययन-सामग्री प्रदान करता है।
Shishulalanam Class 10 Chapter 4 – शिशुलालनम् प्रश्न-उत्तर (NCERT Shemushi Part 2)
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| Shishulalanam Class 10 Chapter 4 – शिशुलालनम् प्रश्न-उत्तर (NCERT Shemushi Part 2) |
शिशुलालनम् — प्रश्नोत्तर
1. एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर)
| क्रम | प्रश्न | उत्तर |
|---|---|---|
| (क) | कुशलवौ कम् उपसृत्य प्रणमतः? | रामम् |
| (ख) | तपोवनवासिनः कुशस्य मातरं केन नाम्ना आह्वयन्ति? | देवीति |
| (ग) | वयोऽनुरोधात् कः लालनीयः भवति? | शिशुः |
| (घ) | केन सम्बन्धेन वाल्मीकिः लवकुशयोः गुरुः? | उपनयनोपदेशेन |
| (ङ) | कुत्र लवकुशयोः पितुः नाम न व्यवह्रियते? | तपोवने |
2. पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूर्ण वाक्य में उत्तर)
| क्रम | प्रश्न | उत्तर |
|---|---|---|
| (क) | रामाय कुशलवयोः कण्ठाश्लेषस्य स्पर्शः कीदृशः आसीत्? | रामाय कुशलवयोः कण्ठाश्लेषस्य स्पर्शः हृदयग्राही आसीत्। |
| (ख) | रामः लवकुशौ कुत्र उपवेशयितुम् कथयति? | रामः लवकुशौ अङ्कम् सिंहासनम् उपवेशयितुम् कथयति। |
| (ग) | बालभावात् हिमकरः कुत्र विराजते? | बालभावात् हिमकरः पशुपति-मस्तके विराजते। |
| (घ) | कुशलवयोः वंशस्य कर्ता कः? | कुशलवयोः वंशस्य कर्ता सहस्रदीधितिः (सूर्यः)। |
| (ङ) | कुशलवयोः मातरं वाल्मीकिः केन नाम्ना आह्वयति? | कुशलवयोः मातरं वाल्मीकिः वधूः नाम्ना आह्वयति। |
3. विभक्ति-निर्देश (रेखांकित पदों का विश्लेषण)
| क्रम | वाक्य/पद | विभक्ति | कारण |
|---|---|---|---|
| (क) | रामः लवकुशौ आसनार्धम् उपवेशयति। | द्वितीया | ‘उपवेशयति’ धातु के कारण कर्म |
| (ख) | धिङ् माम् एवं भूतम्। | द्वितीया | ‘धिङ्’ अव्यय होने के कारण |
| (ग) | अङ्कव्यवहितम् अध्यास्यताम् सिंहासनम्। | द्वितीया | ‘अध्यास्यताम्’ क्रियापद के कारण |
| (घ) | अलम् अतिविस्तरेण। | तृतीया | ‘अलम्’ अव्यय के कारण |
| (ङ) | रामम् उपसृत्य प्रणम्य च। | द्वितीया | ‘उपसृत्य’ के कारण |
4. यथानिर्देशम् उत्तरत
| क्रम | प्रश्न | उत्तर |
|---|---|---|
| (क) | 'जानाम्यहं तस्य नामधेयम्' – अत्र कर्तृपदं किम्? | अहम् |
| (ख) | 'किं कुपिता एवं भणति...' – 'हर्षिता' का विलोम? | कुपिता |
| (ग) | 'आज्ञापयतु भवान्!' – ‘भवान्’ किसके लिए? | रामाय |
| (घ) | 'अध्यास्यताम् सिंहासनम्' – क्रियापदं किम्? | अध्यास्यताम् |
| (ङ) | 'वयसस्तु न किञ्चिदन्तरम्' – ‘आयुषः’ का पर्याय? | वयसः |
5. कः कं प्रति कथयति (किसने किससे कहा?)
| क्रम | वाक्य | कः (किसने) | कम् (किससे) |
|---|---|---|---|
| (क) | सव्यवधानं न चारित्र्यलोपाय। | रामः | उभौ (कुशलवौ) |
| (ख) | किं कुपिता एवं भणति, उत प्रकृतिस्था? | विदूषकः | कुशम् |
| (ग) | जानाम्यहं तस्य नामधेयम्। | कुशः | रामम् |
| (घ) | तस्या द्वे नाम्नी। | लवः | विदूषकम् |
| (ङ) | वयस्य! अपूर्व खलु नामधेयम्। | रामः | विदूषकम् |
6. पर्यायवाची शब्द
| शब्द | पर्याय 1 | पर्याय 2 |
|---|---|---|
| हिमकरः | शशिः | निशाकरः |
| सम्प्रति | इदानीम् | अधुना |
| समुदाचारः | शिष्टाचारः | सदाचारः |
| पशुपतिः | शिवः | चन्द्रशेखरः |
| तनयः | पुत्रः | सुतः |
| सहस्रदीधितिः | सूर्यः | भानुः |
7. विशेषण-विशेष्य मेलनम्
| विशेषण | विशेष्य |
|---|---|
| उदात्तरम्यः | समुदाचारः |
| अतिदीर्घः | प्रवासः |
| समरूपः | कुटुम्बवृत्तान्तः |
| हृदयग्राही | स्पर्शः |
| कुमारयोः | कुशलवयोः |
8. सन्धि और सन्धि-विच्छेद
(क) सन्धि कुरुत (सन्धि बनाएँ)
| विच्छेद | सन्धि पद |
|---|---|
| द्वयोः + अपि | द्वयोरपि |
| द्वौ + अपि | द्वावपि |
| कः + अत्र | कोऽत्र |
| अनभिज्ञः + अहम् | अनभिज्ञोऽहम् |
| इति + आत्मानम् | इत्यात्मानम् |
(ख) विच्छेदं कुरुत (विच्छेद करें)
| सन्धि पद | विच्छेद |
|---|---|
| अहमप्येतयोः | अहम् + अपि + एतयोः |
| वयोऽनुरोधात् | वयः + अनुरोधात् |
| समानाभिजनौ | समान + अभिजनौ |
| खल्वेतत् | खलु + एतत् |
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