NCERT Class 8 Sanskrit Deepakam Chapter 5 “गीता सुगीता कर्तव्या” श्रीमद्भगवद्गीता के श्रेष्ठ उपदेशों पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण पाठ है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए ज्ञान के प्रमुख सूत्र—श्रद्धा, ज्ञान, संयम, स्थितप्रज्ञता, कर्मयोग, शान्ति—का स्पष्ट, सरल एवं प्रेरक वर्णन मिलता है। यह पाठ छात्रों को यह सिखाता है कि मनुष्य को काम, क्रोध, मोह, लोभ, भय आदि दोषों से मुक्त होकर स्थिरबुद्धि बनना चाहिए।
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NCERT Class 8 Sanskrit Deepakam Chapter 5 – गीता सुगीता कर्तव्या | Summary, Question Answers
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| NCERT Class 8 Sanskrit Deepakam Chapter 5 – गीता सुगीता कर्तव्या | Summary, Question Answers |
गीता सुगीता कर्तव्या
{अभ्यास-प्रश्न समाधान Class 8 – Sanskrit (Deepakam) Well-Formatted Answer Sheet}
1. एकपदेन उत्तराणि
| क्रमांक | प्रश्न | उत्तर (एकपदेन) |
|---|---|---|
| (क) | श्रद्धावान् जनः किं लभते? | ज्ञानम् |
| (ख) | कस्मात् सम्मोहः जायते? | सङ्गात् |
| (ग) | सम्मोहात् किं जायते? | स्मृतिविभ्रमः |
| (घ) | अर्जुनाय गीतां कः उपदिष्टवान्? | कृष्णः |
| (ङ) | हर्षामर्षभयोद्वेगैः मुक्तः नरः कस्य प्रियः भवति? | मम (ईश्वरस्य) |
2. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत
| क्रमांक | प्रश्न | उत्तर (पूर्णवाक्ये) |
|---|---|---|
| (क) | कीदृशं वाक्यं वाङ्मयं तपः उच्यते? | अनुद्वेगकरं सत्यं प्रियं हितं च यत् वाक्यं तत् वाङ्मयं तपः उच्यते। |
| (ख) | कीदृशः जनः स्थितधीः उच्यते? | दुःखेषु अनुद्विग्नमनाः, सुखेषु विगतस्पृहः, वीतरागभयक्रोधः यः जनः सः स्थितधीः उच्यते। |
| (ग) | जनः कथं प्रणश्यति? | स्मृतिभ्रंशात् बुद्धिनाशो, बुद्धिनाशात् जनः प्रणश्यति। |
| (घ) | जनः कथम् उत्तमां शान्तिं प्राप्नोति? | यः सर्वकामान् त्यक्त्वा निर्ममो निरहङ्कारः चरति सः उत्तमां शान्तिं प्राप्नोति। |
| (ङ) | उपदेशप्राप्तये त्रयः उपायाः के? | प्रणिपातेन, परिप्रश्नेन, सेवया—एते त्रयः उपायाः भवन्ति। |
3. कोष्ठकस्थ-पदानि उपयुज्य वाक्यानि
| प्रश्न | दिया हुआ पद | बनाया गया वाक्य |
|---|---|---|
| (क) | अनुद्वेगकरम् | अनुद्वेगकरं सत्यं प्रियहितं च वाक्यं वाङ्मयं तपः उच्यते। |
| (ख) | सततम् | सततं सन्तुष्टः दृढनिश्चयः योगी भवति। |
| (ग) | अनुद्विग्नमनाः | अनुद्विग्नमनाः मुनिः स्थितधीः उच्यते। |
| (घ) | प्रणिपातेन | तदात्मज्ञानं प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया च विद्धि। |
| (ङ) | सम्मोहात् | सम्मोहात् स्मृतिविभ्रमः भवति। |
4. दत्तपदानि प्रयुज्य वाक्यानि
| पदम् | वाक्यं |
|---|---|
| उच्यते | गुरुः शिष्यं धर्मं उच्यते। |
| च | रामः लक्ष्मणः च वनं गतौ। |
| न | सः सत्यं न वदति। |
| लब्ध्वा | सः धनं लब्ध्वा प्रसन्नः अभवत्। |
| कुर्यात् | सः कार्यं कुर्यात्। |
5. श्लोकपूर्तिः (समुचित पदेन पूरयत)
| क्रमांक | श्लोक–पूरक उत्तर |
|---|---|
| (क) | श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः। |
| (ख) | स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ्मयं तप उच्यते। |
| (ग) | सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः। |
| (घ) | क्रोधात् भवति सम्मोहः सम्मोहात् स्मृतिविभ्रमः। |
| (ङ) | तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया। |
6. पुल्लिङ्ग → स्त्रीलिङ्ग रूपान्तरणम्
| पुल्लिङ्ग | स्त्रीलिङ्ग |
|---|---|
| गुणवान् | गुणवती |
| आयुष्मान् | आयुष्मती |
| क्षमावान् | क्षमावती |
| ज्ञानवान् | ज्ञानवती |
| श्रीमान् | श्रीमती |
7. स्तम्भ-मेलनम् (Column Matching)
| स्तम्भ–A | स्तम्भ–B |
|---|---|
| सर्वभूतानाम् | सर्वेषां प्राणिनाम् |
| अनुद्विग्नमनाः | यस्य मनः विचलितं न भवति |
| स्थितधीः | स्थिरमतिमान् |
| परिप्रश्नेन | पुनः पुनः प्रश्नकरणेन |
| संयतेन्द्रियः | इन्द्रियसंयमी |
8. श्रीमद्भगवद्गीतायाः विषये पञ्च वाक्यानि
| क्रमांक | वाक्यम् |
|---|---|
| (क) | श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दुधर्मस्य प्रमुखः ग्रन्थः अस्ति। |
| (ख) | एषः ग्रन्थः महाभारतस्य भीष्मपर्वस्य भागः अस्ति। |
| (ग) | अत्र भगवान् श्रीकृष्णः अर्जुनाय उपदेशं दत्तवान्। |
| (घ) | गीता कर्मयोगं, ज्ञानयोगं, भक्तियोगं च प्रतिपादयति। |
| (ङ) | गीता जीवनस्य सारं धर्ममार्गं च दर्शयति। |
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