कृषि भूमि से लाभ हानि (Jyotish Upay) – Farming Land Astrology Remedies for Profit and Loss
"जानिए कृषि भूमि से लाभ–हानि के ज्योतिष उपाय। चतुर्थ भाव, शनि-मंगल दोष, भूमि विवाद व क्रय-विक्रय में लाभ हेतु Astrology Remedies।"
✅ कृषि भूमि से लाभ–हानि और ज्योतिषीय उपाय
कृषि भूमि मनुष्य के जीवन में अन्न, धन और स्थायित्व का प्रमुख स्रोत मानी जाती है। जन्मकुंडली में भूमि का संबंध चतुर्थ भाव (भूमि-संपत्ति), दशम भाव (कर्म), एकादश भाव (लाभ) और द्वितीय भाव (धन) से विशेष रूप से देखा जाता है। यदि इन भावों या उनके स्वामियों पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो भूमि से हानि, विवाद, या फसल में रुकावटें आ सकती हैं। ऐसे में शास्त्र सम्मत उपाय करना लाभकारी सिद्ध होता है।
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कृषि भूमि से लाभ हानि (Jyotish Upay) – Farming Land Astrology Remedies for Profit and Loss |
1. कृषि भूमि से निरंतर हानि
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ज्योतिषीय कारण :चतुर्थ भाव या उसके स्वामी पर राहु/शनि का दुष्प्रभाव होने से भूमि से हानि होती है। साथ ही यदि एकादश भाव (लाभ) निर्बल हो, तो कृषि कार्य से लाभ नहीं मिलता।
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उपाय :
- शनिवार के दिन काली उड़द, सरसों का तेल और काले वस्त्र का दान करें।
- भूमि पर हल चलाने से पहले गंगाजल छिड़कें।
- पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएँ और शनिदेव से प्रार्थना करें।
2. फसल में बार-बार नुकसान
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ज्योतिषीय कारण :मंगल और शनि की अशुभ दृष्टि फसल को प्रभावित करती है। कभी रोग-कीट, तो कभी प्राकृतिक आपदा से हानि होती है।
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उपाय :
- मंगलवार को हनुमान मंदिर में नारियल, गुड़ और चोला अर्पित करें।
- हल चलाने से पहले खेत की मेड़ पर गोमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करें।
- हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
3. भूमि विवाद के कारण हानि
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ज्योतिषीय कारण :यदि मंगल (भूमि का कारक) और राहु (विवाद कारक) प्रभावित हों तो भूमि संबंधी झगड़े और न्यायालयी मामले खड़े होते हैं।
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उपाय :
- मंगलवार को भगवान हनुमान को लाल फूल और सिंदूर अर्पित करें।
- “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
- मंगलवार के दिन गरीब को लाल वस्त्र अथवा मसूर की दाल दान करें।
4. कृषि से अधिक लाभ प्राप्ति हेतु
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ज्योतिषीय कारण :बृहस्पति (वृद्धि का कारक) और चतुर्थ भाव शुभ हों तो कृषि में वृद्धि और संपन्नता मिलती है।
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उपाय :
- गुरुवार को विष्णु भगवान को पीले फूल और पीला वस्त्र अर्पित करें।
- गाय को गुड़–चना खिलाएँ।
- खेत की मेड़ पर तुलसी का पौधा लगाएँ और प्रतिदिन जल दें।
- प्रतिदिन “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का जप करें।
5. भूमि क्रय–विक्रय में लाभ हेतु
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ज्योतिषीय कारण :शुक्र (भोग, सुख) और बृहस्पति (धन, विस्तार) भूमि क्रय-विक्रय में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यदि ये ग्रह बलवान हों और शुभ मुहूर्त चुना जाए तो लाभ निश्चित होता है।
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उपाय :
- भूमि खरीदने/बेचने से पहले कुंडली में शुभ ग्रहों की स्थिति देख लें।
- सौदे के समय नारियल, पीली मिठाई और एक तांबे का सिक्का अपने पास रखें।
- भूमि की पंजीकरण प्रक्रिया के समय श्रीगणेश का ध्यान करें।
- भूमि लेन-देन में सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को विशेष शुभ माना जाता है।
🌿 विशेष सुझाव (General Tips)
- भूमि से जुड़े हर कार्य में शुभ मुहूर्त अवश्य देखें।
- भूमि/फसल की सुरक्षा हेतु खेत के चारों कोनों में शंख या नारियल गाड़ दें।
- शनिवार को खेत के कोने में सरसों का तेल मिलाकर दीपक जलाएँ।
- रोज़ाना गाय, कुत्ता और पक्षियों को अन्न का दान करें – इससे भूमि में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
👉 इस प्रकार ज्योतिषीय दृष्टि से चतुर्थ, एकादश और मंगल-शनि-बृहस्पति की स्थिति का विचार कर यदि उपयुक्त उपाय किए जाएँ, तो कृषि भूमि से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है और हानियों से बचाव होता है।