पंचम भाव ज्योतिष फल | Putra Putri Santan Prediction in Astrology
जानिए पंचम भाव (5th House) में ग्रह और राशियों की स्थिति से पुत्र-पुत्री (Putra-Putri) की भविष्यवाणी कैसे होती है। Jyotish Shastra के अनुसार चन्द्र, शुक्र, बुध और शनि कन्या संतान का संकेत देते हैं जबकि सूर्य, मंगल और गुरु पुत्रकारक माने जाते हैं।
प्रस्तुत श्लोक सन्तान-फल निर्णय के अत्यंत सूक्ष्म सूत्र हैं। इन्हें विस्तार से समझना आवश्यक है। मैं इन्हें क्रमशः, विस्तारपूर्वक और व्यवस्थित व्याख्या सहित प्रस्तुत कर रहा हूँ—
पंचम भाव और सन्तान-फल : विस्तृत विवेचना
१. पंचम भाव का महत्व
- पंचम भाव ज्योतिषशास्त्र में सन्तान का भाव माना गया है।
- यह केवल सन्तान की संख्या या प्रकार (पुत्र/पुत्री) ही नहीं, बल्कि उनकी योग्यता, स्वभाव, आयु और कुल की वृद्धि का भी द्योतक है।
- इस भाव में ग्रह, राशियाँ और दृष्टियाँ मिलकर जातक के सन्तान-फल का निर्णय करती हैं।
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पंचम भाव ज्योतिष फल | Putra Putri Santan Prediction in Astrology |
२. श्लोक-विश्लेषण
(क)
श्लोक
चेत्पञ्चमर्ने समराशिवर्गे बुधेन वा सूर्यसुतेन युक्ते ।सितेन शीतद्युतिनेक्षित वा कन्यागज स्यान्मनुजो नितान्तम् ।।
विस्तृत अर्थ
-
समराशि/समवर्ग: यहाँ सम का अर्थ है स्त्री-स्वभाव की राशियाँ (वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन)।
-
यदि ये राशियाँ पंचम भाव में आती हैं, और वहाँ—
- बुध (स्त्रीकारक ग्रह) या
- शनि (सूर्यपुत्र, मंदगामी, कन्या संतान की संख्या को बढ़ाने वाला ग्रह)
से युक्त हों,
-
साथ ही उन पर शुक्र (स्त्रीकारक, शोभा देने वाला ग्रह) या चन्द्र (स्त्रीत्व का मूलकारक ग्रह) की दृष्टि पड़ जाए,
➡️ तब जातक को जीवन में अधिक कन्या-संतान प्राप्त होती है।
👉 यहाँ संकेत है कि स्त्री ग्रहों का प्रभाव → स्त्री संतान।
(ख)
श्लोक
चन्द्रे सुतभं याते र वगेहे दारिकाबहुत्वं स्यात् ।कन्यायां हिमरश्मी तथैव बाच्यं तु हिवुके वा ।।
विस्तृत अर्थ
-
यदि सिंह राशि (सुतभं = पुत्रभाव की राशि) का चन्द्रमा पंचम भाव में स्थित हो,तो जातक को बहुत अधिक कन्याएँ प्राप्त होती हैं।
-
यदि कन्या राशि का चन्द्रमा पंचम भाव में हो,या चतुर्थ भाव में हो,तो भी जातक को अनेक कन्याएँ होती हैं।
👉 इसका कारण है—
चन्द्रमा का स्त्रीत्व-कारक होना और कन्या राशि का स्त्रीभाव से सम्बन्ध।
(ग)
श्लोक
कन्या वृषो मृगो वा येवां सुतभागमागतो नृणाम् ।कुएः कन्यानामुत्पत्तिं पुत्रग्रहवीक्षिताः पुत्रवान् ।।
विस्तृत अर्थ
-
यदि पंचम भाव में कन्या, वृषभ, मकर (मृगशिरा मकर का संकेत) राशियाँ हों,तो सामान्यतः जातक को पुत्रियाँ होती हैं।
-
लेकिन यदि इन राशियों पर पुत्रकारक ग्रह (सूर्य, गुरु, मंगल आदि) की दृष्टि पड़े,तो पुत्र की प्राप्ति होती है।
👉 यहाँ सूत्र यह है—
- पंचम भाव में स्त्री राशियाँ = कन्या संतान।
- पुत्रकारक ग्रह का प्रभाव = पुत्र संतान।
३. ग्रहों के सन्दर्भ में विस्तार
- चन्द्रमा → कन्या सन्तान की ओर संकेत।
- शुक्र → पुत्री की संख्या बढ़ाता है, विशेषतः यदि पंचम भाव में दृष्टि करे।
- बुध → कन्या भाव का स्वामी, कन्या उत्पन्न करने वाला ग्रह।
- शनि → दीर्घ संतान सुख, किंतु अधिकतर कन्या सन्तान का योग।
- सूर्य, गुरु, मंगल → पुत्रकारक ग्रह, इनकी स्थिति या दृष्टि होने पर पुत्र की प्राप्ति संभव।
४. राशियों के सन्दर्भ में विस्तार
-
स्त्री राशियाँ (वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन)→ पुत्री संतान की वृद्धि।
-
पुत्रकारक राशियाँ (सिंह, धनु, मेष)→ पुत्र की संभावना।
-
विशेष योग:
- पंचम में सिंह राशि का चन्द्र → अनेक कन्याएँ।
- पंचम/चतुर्थ में कन्या राशि का चन्द्र → अनेक कन्याएँ।
- पंचम में मकर/वृषभ/कन्या राशि और उन पर पुरुष ग्रह की दृष्टि → पुत्र संतान।
५. सारणी (तालिका)
पंचम भाव की स्थिति | ग्रह/राशि का प्रभाव | संतान-फल |
---|---|---|
पंचम भाव में समराशि (वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन) + बुध/शनि | शुक्र/चन्द्र की दृष्टि | अधिक कन्याएँ |
पंचम भाव में सिंह राशि का चन्द्र | — | अनेक पुत्रियाँ |
पंचम/चतुर्थ में कन्या राशि का चन्द्र | — | अनेक पुत्रियाँ |
पंचम भाव में कन्या, वृषभ, मकर राशि | — | कन्या उत्पत्ति |
इन्हीं राशियों पर पुत्रकारक ग्रह की दृष्टि | — | पुत्र की प्राप्ति |
६. निष्कर्ष
- पंचम भाव में स्त्री-स्वभाव की राशियाँ और चन्द्र/शुक्र/बुध/शनि का प्रभाव → पुत्री संतान।
- पंचम भाव में पुरुष ग्रह (सूर्य, मंगल, गुरु) की दृष्टि या स्थिति → पुत्र संतान।
- विशेष रूप से सिंह राशि का चन्द्र अथवा कन्या राशि का चन्द्र → जातक को अधिकतर पुत्रियाँ ही प्राप्त होती हैं।
🌸 इस प्रकार इन श्लोकों में ज्योतिष के गूढ़ सूत्रों के माध्यम से यह समझाया गया है कि संतान की उत्पत्ति केवल एक ग्रह या राशि पर निर्भर नहीं करती, बल्कि ग्रह-राशि-दृष्टि के सामूहिक प्रभाव से पुत्र-पुत्री का निर्णय होता है।