ग्रहों की 12 विशिष्ट अवस्थाएँ (Graho Ki 12 Vishesht Avastha) – महर्षि पाराशर ज्योतिष अनुसार गणना और फल
"महर्षि पाराशर ज्योतिष में ग्रहों की 12 अवस्थाएँ – शयन, उपवेश, नेत्रपाणी, प्रकाशन आदि। गणना विधि, सूत्र और विस्तृत फल जानिए।"
🌸महर्षि पाराशर प्रदत्त – ग्रहों की 12 विशिष्ट अवस्थाएँ 🌸
ज्योतिष शास्त्र में महर्षि पाराशर ने ग्रहों की 12 विशेष अवस्थाओं का उल्लेख किया है। इन अवस्थाओं के आधार पर यह जाना जाता है कि कोई ग्रह किस स्थिति में है और उससे जातक के जीवन में किस प्रकार के फल उत्पन्न होंगे।
🪔 ग्रहों की 12 अवस्थाएँ – नाम सूची
- शयन
- उपवेश
- नेत्रपाणी
- प्रकाशन
- गमनेच्छा
- गमन
- सभा
- आगम
- भोजन
- नृत्यलिप्सा
- कौतुक
- निद्रा
📖 सूत्र (गणना की विधि)
ग्रह की अवस्था निकालने के लिए हमें 6 प्रमुख संख्याएँ चाहिए :
![]() |
ग्रहों की 12 विशिष्ट अवस्थाएँ (Graho Ki 12 Vishesht Avastha) – महर्षि पाराशर ज्योतिष अनुसार गणना और फल |
-
ग्रह जिस नक्षत्र में स्थित है उसकी संख्या
- जैसे अश्विनी = 1, भरणी = 2, कृत्तिका = 3 …
-
ग्रह की संख्या
- सूर्य = 1
- चंद्र = 2
- मंगल = 3
- बुध = 4
- गुरु = 5
- शुक्र = 6
- शनि = 7
- राहु = 8
- केतु = 9
-
ग्रह का अंश (Degrees)
- ग्रह यदि 12°30’ पर है तो इसे 13 मानेंगे।
-
इष्टकाल संख्या (घटी/घंटा)
- उदाहरण: यदि समय 21:34 है तो इसे 22 माना जाएगा।
-
जन्म नक्षत्र संख्या
- जैसे यदि जन्म नक्षत्र भरणी है → 2।
-
जन्म लग्न संख्या
- मेष = 1, वृषभ = 2, मिथुन = 3 … मकर = 10, आदि।
⚖️ गणना क्रम
- ग्रह का नक्षत्र संख्या × ग्रह संख्या
- प्राप्त गुणनफल × ग्रह के अंश
- उपरोक्त गुणनफल + इष्टकाल संख्या
- फिर + जन्म नक्षत्र संख्या
- फिर + जन्म लग्न संख्या
- अब कुल योगफल ÷ 12
- प्राप्त शेषफल ग्रह की अवस्था बताएगा।
🔎 उदाहरण
प्रश्न: बुध अश्विनी नक्षत्र (संख्या 1) में 14°12’ पर है।
- ग्रह संख्या: बुध = 4
- अश्विनी नक्षत्र = 1
- अंश = 15 (14°12’ → 15 माना जाएगा)
- इष्टकाल = 15
- जन्म नक्षत्र = भरणी (2)
- जन्म लग्न = मकर (10)
गणना:
अब 87 ÷ 12 = 7 शेष 3
👉 शेषफल = 3 → नेत्रपाणी अवस्था।
🌿 अवस्थाओं का संक्षिप्त फल
(आगे आप चाहे तो मैं हर अवस्था का विस्तृत फल भी जोड़ दूँ। अभी केवल संक्षेप में:)
- शयन – आलस्य, आरामप्रियता।
- उपवेश – एकाग्रता, बैठक कार्य।
- नेत्रपाणी – देखने, जाँचने, निरीक्षण की वृत्ति।
- प्रकाशन – प्रसिद्धि, उज्ज्वलता, नाम।
- गमनेच्छा – यात्रा की इच्छा।
- गमन – यात्रा, चलायमान जीवन।
- सभा – सभा, मित्र मंडल, सलाह।
- आगम – आय, आगमन, प्राप्ति।
- भोजन – भोग, आनंद, भोजन में रुचि।
- नृत्यलिप्सा – कला, मनोरंजन, संगीत।
- कौतुक – आनंद, हँसी-मजाक, उत्साह।
- निद्रा – नींद, एकांत, रहस्यप्रियता।
✅ इस प्रकार से यह गणना करके जातक के हर ग्रह की अवस्था आसानी से निकाली जा सकती है।