ज्योतिष में सटीक फलादेश के लिए सही कुण्डली आवश्यक है। जानिए सूर्य, बुध, शुक्र, राहु-केतु और चन्द्रमा की स्थिति से जन्मकुण्डली की सत्यता की जांच कैसे करें। सूर्य की राशिगत गति और लग्न परीक्षण के वैदिक नियमों को क्रमबद्ध रूप में समझें।
कुण्डली सही है या गलत यह कैसे जानें? सूर्य, बुध, शुक्र, राहु-केतु और चन्द्र की स्थिति से जन्मकुण्डली की सटीकता जाँचने का वेदिक तरीका यहाँ जानें।
सटीक कुण्डली कैसे पहचानें | How to Verify Accurate Horoscope Step by Step in Vedic Astrology
🔆 कुण्डली को सटीक देखने के लिए आवश्यक प्रमुख ज्योतिषीय तथ्य
(How to Verify a Horoscope Accurately – Step-by-Step Guide in Hindi)
ज्योतिष शास्त्र में कुण्डली की शुद्धता सबसे मूलभूत आवश्यकता है। यदि ग्रह, लग्न या भावों की स्थिति में थोड़ी भी त्रुटि हो जाए, तो संपूर्ण फलादेश गलत हो सकता है। इसलिए किसी भी जन्मकुण्डली को देखने से पहले निम्नलिखित बातों का गहन निरीक्षण आवश्यक है—
1️⃣ सूर्य की स्थिति से लग्न की जाँच
| समय (सूर्योदय से) | सूर्य की स्थिति | संबंधित भाव |
|---|---|---|
| सूर्योदय के समय | लग्न (Ascendant) पर | 1st भाव |
| सूर्योदय के 2 घंटे बाद | द्वादश भाव पर | 12th भाव |
| सूर्योदय के 4 घंटे बाद | एकादश भाव पर | 11th भाव |
| सूर्योदय के 6 घंटे बाद | दशम भाव पर | 10th भाव |
| सूर्योदय के 8 घंटे बाद | नवम भाव पर | 9th भाव |
| सूर्योदय के 10 घंटे बाद | अष्टम भाव पर | 8th भाव |
| सूर्योदय के 12 घंटे बाद (सूर्यास्त) | सप्तम भाव पर | 7th भाव |
| सूर्योदय से पहले | धन भाव (2nd भाव) पर | - |
2️⃣ बुध की स्थिति की पुष्टि
बुध सदैव सूर्य के निकट रहता है।
- वह सूर्य के साथ, या
- एक भाव आगे, या
- एक भाव पीछे रहता है।
📖 यदि कुण्डली में बुध इन सीमाओं से अधिक दूर दिखे, तो समझें कि ग्रह स्थिति या लग्न में त्रुटि है।
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| सटीक कुण्डली कैसे पहचानें | How to Verify Accurate Horoscope Step by Step in Vedic Astrology |
3️⃣ शुक्र की स्थिति का परीक्षण
- सूर्य के साथ, या
- दो भाव आगे, या
- दो भाव पीछे रहता है।
📌 इस सीमा से अधिक दूरी होने पर कुण्डली के ग्रह-निर्धारण में त्रुटि अवश्य मानी जाएगी।
4️⃣ राहु–केतु की अनिवार्य स्थिति
राहु और केतु सदा एक-दूसरे के आमने-सामने (180° विपरीत) रहते हैं।
- अर्थात यदि राहु प्रथम भाव में है, तो केतु सप्तम भाव में होगा।
- यह नियम अविचल (Invariable) है।
➡️ यदि कुण्डली में राहु–केतु की यह स्थिति भंग हो, तो यह निश्चित रूप से गलत कुण्डली है।
5️⃣ चन्द्रमा और राशि की संगति
कुण्डली में चन्द्रमा जिस राशि में स्थित है, वही राशि जातक की राशि (Janma Rashi) कहलाती है।
- अतः जन्मराशि के अनुसार चन्द्रमा का भाव अवश्य जाँचें।
- यदि राशिफल या नक्षत्रानुसार चन्द्रमा की स्थिति मेल नहीं खाती, तो कुण्डली असत्य मानी जाएगी।
6️⃣ सूर्य की वार्षिक राशि-गति (Transit Calendar)
| तिथि | सूर्य की राशि | राशि क्रमांक |
|---|---|---|
| 14 जनवरी | मकर (Capricorn) | 10 |
| 12 फ़रवरी | कुम्भ (Aquarius) | 11 |
| 14 मार्च | मीन (Pisces) | 12 |
| 13 अप्रैल | मेष (Aries) | 1 |
| 14 मई | वृषभ (Taurus) | 2 |
| 14 जून | मिथुन (Gemini) | 3 |
| 16 जुलाई | कर्क (Cancer) | 4 |
| 16 अगस्त | सिंह (Leo) | 5 |
| 16 सितम्बर | कन्या (Virgo) | 6 |
| 17 अक्टूबर | तुला (Libra) | 7 |
| 16 नवम्बर | वृश्चिक (Scorpio) | 8 |
| 15 दिसम्बर | धनु (Sagittarius) | 9 |
➡️ यदि किसी जन्मकुण्डली में सूर्य की राशि इस वार्षिक गति से मेल नहीं खाती, तो तिथि या समय में त्रुटि निश्चित है।
⚖️ निष्कर्ष (Conclusion)
🌿 सारांश में
“सटीक कुण्डली ही सटीक फल देती है।”इसलिए पहले कुण्डली की प्रमाणिकता की पुष्टि करें, फिर ही फलादेश या भविष्यवाणी का विश्लेषण करें।
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