नवग्रहों के वृक्ष, गुण और श्लोक सहित तालिका

Sooraj Krishna Shastri
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 इस पोस्ट में नवग्रहों के साथ उनके अधिपत्य वृक्षों, उनके स्वभाव, उपयोग, और मूल संस्कृत श्लोक को भी शामिल किया गया है – यह विशेष रूप से शिक्षण, स्मरण, एवं शोध के लिए उपयुक्त है।

नवग्रहों के वृक्ष, गुण और श्लोक सहित तालिका
नवग्रहों के वृक्ष, गुण और श्लोक सहित तालिका



🌿 नवग्रहों के वृक्ष, गुण और श्लोक सहित तालिका

🔯 ग्रह 🌳 वृक्ष का प्रकार 🌿 गुणधर्म / उपयोग 📜 संबंधित श्लोक
सूर्य स्थूल / मजबूत वृक्ष इमारती लकड़ी, तेज, स्थायित्व सूर्यो जनयति स्थूलान्‌
सूर्यो जनयति स्थूलान्‌ दुर्भगान्‌ सूर्यपुत्रकः।
चन्द्र रसयुक्त / दुग्धसिक्त शीतल, नमी युक्त, सुखद क्षीरोपेतांश्च तथा चन्द्र:
क्षीरोपेतांश्च तथा चन्द्रः कटुकाद्यान्‌ धरासुतः।
मंगल कटु / तीखे वृक्ष औषधीय, रोगहारी, उष्ण कटुकाद्यान्‌ धरासुतः
(उसी श्लोक में मंगल का उल्लेख है)
बुध फलरहित पर शुभ वृक्ष सुगंधित, उपचारक, पवित्र गुरुज्ञीं सफलाफलौ
पुष्पवृक्ष भगोः पुत्रों गुरुज्ञीं सफलाफलौ।
गुरु फलदार वृक्ष मधुर, धर्मसम्बन्धी, उपयोगी गुरुज्ञीं सफलाफलौ (गुरु की व्याख्या इसी में)
शुक्र पुष्पवृक्ष सौंदर्य, आकर्षण, प्रेम पुष्पवृक्ष भगोः पुत्रों (शुक्र = भगः पुत्र)
शनि सूखे, निर्जल वृक्ष कठोर, विषैले, निन्दित नीरसान्‌ सूर्यपुत्रश्च एवं ज्ञेया: खगा द्विज!
राहु विषवृक्ष / निन्दित जहरीले, अप्रिय, अनाहार्य विषवृक्षाण्यभोज्यानि
विषवृक्षाण्यभोज्यानि दुर्भगानि फलानि च।
उपेतग्रहतुल्यानि राहोरौद्भिदमीरितम्‌॥
केतु रहस्यमय / उग्र वृक्ष विरक्ति, अनाहार्य, गूढ़ प्रभाव राहु के साथ ही व्याख्येय है

📘 श्लोक पूर्ण रूप में (संदर्भ – श्लोक)

सूर्यो जनयति स्थूलान्‌ दुर्भगान्‌ सूर्यपुत्रकः ।
क्षीरोपेतांश्च तथा चन्द्रः कटुकाद्यान्‌ धरासुतः॥

पुष्पवृक्ष भगोः पुत्रों गुरुज्ञीं सफलाफलौ ।
नीरसान्‌ सूर्यपुत्रश्च एवं ज्ञेया: खगा द्विज !॥

विषवृक्षाण्यभोज्यानि दुर्भगानि फलानि च ।
उपेतग्रहतुल्यानि राहोरौद्भिदमीरितम्‌ ॥


🧾 प्रमुख उदाहरण ग्रहानुसार वृक्षों के

ग्रह 🌳 प्रमुख वृक्ष
सूर्य सागवान, साल, अर्जुन, देवदार
चन्द्र वट, नारियल, गूलर, कदंब
मंगळ नीम, आक, मिर्च, करील
बुध चन्दन, बेल, पिप्पली
गुरु आम, जामुन, पीपल
शुक्र गुलाब, चमेली, पारिजात
शनि बबूल, कैक्टस, खजूर
राहु धतूरा, भांग, नागफणी
केतु आक, नागकेसर, कुटज

📌 उपयोग के क्षेत्र:

  • ग्रह शांति के लिए: संबंधित वृक्ष की पूजा, दान, या रोपण करें।
  • वास्तु शास्त्र में: दिशा अनुसार उचित वृक्ष लगाना शुभफलदायक।
  • औषधीय दृष्टि से: ग्रह दोष दूर करने हेतु वृक्षों की छाल, फल, पत्तियाँ प्रयुक्त होती हैं।
  • नवग्रह यज्ञ: प्रत्येक ग्रह हेतु उसी ग्रह का वृक्ष-सम्बन्धित समिधा (लकड़ी) प्रयोग होती है।

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