नवग्रहों के साथ शरीर की धातुएँ, स्थान, कालखंड और रसों का सम्बन्ध
यहां जो श्लोक और उसका भावार्थ प्रस्तुत किया गया है, वह पारम्परिक वैदिक-ज्योतिषीय चिकित्सा (Medical Astrology) और प्रश्न-ज्योतिष (Horary Astrology) की एक गूढ़ विधा से संबंधित है, जिसमें नवग्रहों के साथ शरीर की धातुएँ, स्थान, कालखंड और रसों का सम्बन्ध स्थापित किया गया है। आइए इसे व्यवस्थित और व्याख्यात्मक रूप में प्रस्तुत करें:
![]() |
| नवग्रहों के साथ शरीर की धातुएँ, स्थान, कालखंड और रसों का सम्बन्ध |
🔯 ग्रहों की धातुएँ (Body Elements governed by Planets)
(श्लोक संख्या ३२)
| ग्रह | नियंत्रित धातु |
|---|---|
| सूर्य | अस्थि (हड्डी) |
| चन्द्र | रक्त (खून) |
| मंगळ | मज्जा (Bone marrow) |
| बुध | त्वचा (Skin) |
| गुरु | वसा (Fat) |
| शुक्र | वीर्य (Semen/Reproductive fluid) |
| शनि | स्नायु (Nerves/Tendons) |
🏞️ ग्रहों के स्थान (Places governed by Planets)
(श्लोक संख्या ३३)
व्याख्या
| ग्रह | स्थान |
|---|---|
| सूर्य | देवालय (मन्दिर) |
| चन्द्र | जलस्थान (जलाशय, सरोवर) |
| मंगळ | वह्नि स्थान (रसोई, अग्नि स्थल) |
| बुध | क्रीड़ा स्थल (खेल का स्थान, विद्या का क्षेत्र) |
| गुरु | कोश (खजाना, वित्त स्थान) |
| शुक्र | शयनागार (बेडरूम, विलास स्थान) |
| शनि | उत्कर (कूड़ा-करकट, मल-मूत्र निष्कासन का स्थान) |
🔸 प्रश्न-ज्योतिष में किसी घटना या प्रश्न का उत्तर देते समय, इन स्थानों का ध्यान रखा जाता है।
🕰️ ग्रहों के कालखंड (Time Periods governed by Planets)
(श्लोक संख्या ३४)
व्याख्या
| ग्रह | कालखंड |
|---|---|
| सूर्य | अयन (छह महीने) |
| चन्द्र | क्षण (क्षणिक समय) |
| मंगळ | वार (सप्ताह/एक दिन) |
| बुध | ऋतु (दो मास) |
| गुरु | मास (एक महीना) |
| शुक्र | पक्ष (पंद्रह दिन) |
| शनि | संवत्सर (एक वर्ष) |
🍋 ग्रहों के रस (Tastes governed by Planets)
(श्लोक संख्या ३५)
व्याख्या
| ग्रह | रस (स्वाद) |
|---|---|
| सूर्य | कटु (तीखा, कड़वा) |
| चन्द्र | क्षार (नमकीन, क्षारीय) |
| मंगळ | तिक्त (कसैला, तीखा) |
| बुध | मिश्र (मिश्रित स्वाद) |
| गुरु | मधुर (मीठा) |
| शुक्र | आम्ल (खट्टा) |
| शनि | कषाय (कसैला/सूखा स्वाद) |
🔸 आयुर्वेद में रसों का स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव होता है। ग्रहों की स्थिति से ज्ञात होता है कि कौन-सा रस शरीर में अधिक या कम हो सकता है।
नवग्रहों के अनुसार शरीर की धातुएँ, उनके स्थान, कालखंड और रसों का एक सुंदर और सुव्यवस्थित चार्ट (तालिका)
यह रहा नवग्रहों के अनुसार शरीर की धातुएँ, उनके स्थान, कालखंड और रसों का एक सुंदर और सुव्यवस्थित चार्ट (तालिका) — जो आपको ज्योतिषीय और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से एक समग्र समझ प्रदान करता है:
🌞 नवग्रह और उनके विशेष सम्बंध
| ग्रह 🔯 | शरीर की धातु 🩻 | स्थान 🌐 | कालखंड 🕰️ | रस 🍋 |
|---|---|---|---|---|
| सूर्य | अस्थि (हड्डी) | देवालय (मंदिर) | अयन (6 माह) | कटु (कड़वा, तीखा) |
| चन्द्र | रक्त (खून) | जलस्थान (झील, सरोवर) | क्षण (क्षणिक समय) | क्षार (नमकीन) |
| मंगल | मज्जा (Bone marrow) | अग्निस्थान (रसोई) | वार (एक दिन) | तिक्त (कसैला) |
| बुध | त्वचा (Skin) | क्रीड़ास्थल (खेल/विद्या) | ऋतु (दो माह) | मिश्र (मिश्रित) |
| गुरु | वसा (Fat) | कोश (खजाना/भंडार) | मास (एक माह) | मधुर (मीठा) |
| शुक्र | वीर्य (Semen) | शयनागार (बेडरूम) | पक्ष (15 दिन) | आम्ल (खट्टा) |
| शनि | स्नायु (Nerves) | उत्कर (कूड़ा स्थान) | संवत्सर (1 वर्ष) | कषाय (सूखा/कसैला) |
🔎 विशेष टिप्पणियाँ (Observations):
-
धातु बल और ग्रह बल:यदि कोई ग्रह बलवान है, तो उसकी संबंधित धातु पुष्ट रहती है;यदि ग्रह निर्बल हो, तो उस धातु में दोष/कमी आती है।
-
स्थान प्रयोग:प्रश्न-कुंडली (Horary Astrology) में घटना कहाँ घटित हो सकती है, यह जानने के लिए ग्रह से संबंधित स्थान का ध्यान रखा जाता है।
-
कालखंड का उपयोग:कार्य की सिद्धि या पूर्णता का समय जानने के लिए ग्रहों के कालों का विचार करें — विशेषतः लग्नेश के नवांश एवं नवांशेश से।
-
रस और आहार:व्यक्ति के भोजन के स्वाद की प्रवृत्ति, ग्रहबल एवं रसों के आधार पर जानी जा सकती है।यह आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी अत्यंत उपयोगी है।
🪐 समग्र व्यावहारिक निष्कर्ष (Practical Application Summary)
-
धातु-सम्बन्धी रोगों में ग्रहबल देखना चाहिए।जैसे – सूर्य कमजोर हो तो अस्थि रोग, शुक्र निर्बल हो तो वीर्य की कमजोरी आदि।
-
प्रश्न ज्योतिष में ग्रह-स्थान से घटनास्थल अनुमानित किया जा सकता है।
-
ग्रह-काल के अनुसार किसी कार्य की पूर्णता का समय निकाला जा सकता है।
-
स्वादों और रसों के आधार पर किसी ग्रह की प्रकृति या व्यक्ति के भोजन की प्रवृत्ति का अनुमान लगाया जा सकता है।
और भी जानें --
- कुंडली में कब बनता है सरकारी नौकरी और धन लाभ का योग
- ग्रहों के वर्ण (जाति/वर्ण व्यवस्था) तथा उनके सत्त्व-रजस्-तमस् गुण
- ग्रहों का वर्ण, देवता एवं लिंगभाव (पुं-स्त्री-नपुंसकत्व)
- ज्योतिष: ग्रहों का आत्मादि विभाग (श्लोक एवं भावार्थ सहित)
- ग्रहों की संख्या, नाम, प्रकृति (शुभ या क्रूर), और विशिष्टताओं" पर आधारित एक संक्षिप्त एवं व्यवस्थित विवरण
- ज्योतिषशास्त्र के अपमान और अवज्ञा करने वाले व्यक्ति के लिए अत्यंत कठोर चेतावनी
- ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अवतारों की उत्पत्ति और उनका ग्रहरूप स्वरूप
- ज्योतिष: ज्योतिष के अधिकारी – शास्त्रीय दृष्टिकोण
- ज्योतिष: नक्षत्र की परिभाषा और परिचय
- ग्रह, राशि, नक्षत्र एवं लग्न की शास्त्रीय परिभाषा - श्लोक के साथ
- नवग्रहों के साथ शरीर की धातुएँ, स्थान, कालखंड और रसों का सम्बन्ध
- ग्रहों के बलों के प्रकार और उनके निर्धारण सूत्र
- नवग्रहों के वृक्ष, गुण और श्लोक सहित तालिका
- नवग्रहों के वस्त्र, धातु, स्थान एवं रंग — श्लोक सहित तालिका
- ग्रहों की ऋतुएँ (श्लोक सहित सारणी)
- ग्रहों की संज्ञाएँ: धातु, मूल, जीव तथा नैसर्गिक आयु
- नवग्रहों की उच्च-नीच राशियों और परमोच्च-अवमुक्त अंशों का निर्धारण
- नवग्रहों के मूलत्रिकोण स्थानों की गहराई से व्याख्या
- ग्रहों की नैसर्गिक (नैसर्गिकी) मैत्री (श्लोक सहित अर्थ) और तालिका
- ग्रहों की तात्कालिक (स्थानिक) मैत्री
- ज्योतिष शास्त्र में पंचधा मैत्री (पाँच प्रकार की ग्रह मैत्री)
- ग्रहों के स्थान बल (Sthan Bala)
- अप्रकाशक दोषकारी उपग्रहों—धूम, व्यतिपात, परिवेष, इन्द्रचाप और उपकेतु—का विश्लेषण
- गुलिक, काल, मृत्यु, यमघण्ट, अर्धप्रहर – परिचय
- होरा शास्त्र और राशिचक्र का शास्त्रीय विवेचन
- राशियों का अंगविभाग, स्वभाव, लिंग, और दोषाधारिता (त्रिदोष सिद्धांत)
- मेष आदि 12 राशियों का विस्तृत परिचय
- भारतीय आयुर्वेदिक परंपरा में गर्भ के क्रमिक विकास का विश्लेषण
- 12 भावों के नाम, उनके कारकत्व और ग्रहाधारित दृष्टिकोण
- बृहत् पाराशर होरा शास्त्र के आधार पर भाव विचार सिद्धान्त (भाव, भावेश, कारक, त्रिविध लग्न) का सूत्र
- भाव, भावेश और नित्य कारक के त्रैतीय दृष्टिकोण से फल विचार
- मेष आदि राशियों की दृष्टि का विश्लेषण
- जैमिनि पद्धति के चर, स्थिर और द्विस्वभाव राशियों की दृष्टि
- Jyotish: ज्योतिष के अद्भुत फलित सूत्र
- भाव संज्ञा और भाव संख्या का रहस्य | Bhava Numbers & Their Significance in Astrology
- Navgraha Mantra for Success: जानिए नौ ग्रहों के मंत्र और उनके लाभ
- Kundli Mein Karak, Akarak, Marak aur Badhak Grah: Astrology Mein Inka Mahatva aur Asar,कुंडली में कारक,अकारक, मारक ग्रह और बाधक ग्रह
- तुलसी की जड़ का चमत्कारी महत्व और उपाय | Vastu & Astrology Remedies
- Mangal Dosh Effects on Marriage: मंगल दोष के शुभ-अशुभ परिणाम
- शनिदेव (Shani Dev) : पौराणिक कथा, Scientific Facts और ज्योतिषीय दृष्टिकोण का विस्तृत विश्लेषण
- Ayushya Jyotish: किसी की आयु कितनी होगी? बालारिष्ट से लेकर दीर्घायु और उपायों तक सम्पूर्ण विवेचन
- कुंडली में Paya विचार : भाव और नक्षत्र आधारित Paya Types, फल और उपाय
- गण्डमूल नक्षत्र (Gandmool Nakshatra) : चरणवार प्रभाव, शांति उपाय और सम्पूर्ण जानकारी
- ऋतु (भौम) और रेतस् (शुक्र) Relation in Ayurveda and Astrology | Santan Utpatti Secrets
- सन्तान मृत्यु के कारण in Astrology | Santan Mrityu Jyotish Shastra Analysis
- पंचम भाव ज्योतिष फल | Putra Putri Santan Prediction in Astrology
- पिता पुत्र सम्बन्ध ज्योतिष | Father Son Relationship in Astrology by Lagnesh Panchamesh Yoga
- सुंदर और भाग्यशाली पत्नी के योग | Beautiful & Lucky Wife Astrology by 7th House
- Prakeerna Yoga in Astrology | प्रकीर्ण योग ज्योतिष में महत्व और फलादेश
- Parastrigaman Yoga in Astrology | परस्त्रीगमन योग के कारण और उपाय
- वृष्टियोग (Vrishti Yoga in Astrology) – Definition, Conditions, Effects and 30th Year Fortune Rise
- Marakesh Grah in Astrology (मारकेश ग्रह) – How to Identify Death Inflicting Planets in Horoscope
- Stri Jatak Yog in Astrology | स्त्री जातक के महत्त्वपूर्ण योग, विवाह, विधवा, तलाक और संतान योग
- कृषि भूमि से लाभ हानि (Jyotish Upay) – Farming Land Astrology Remedies for Profit and Loss
- ग्रहों की 12 विशिष्ट अवस्थाएँ (Graho Ki 12 Vishesht Avastha) – महर्षि पाराशर ज्योतिष अनुसार गणना और फल
- गुरु-शनि सम्बन्ध | Guru Shani Relation in Astrology – ज्ञान, कर्म और वैराग्य का रहस्यमय संतुलन
- Grah aur Rog: Planets and Diseases Remedies in Astrology | ग्रह दोष और स्वास्थ्य उपाय
- Preta Badha aur Jyotish | प्रेतबाधा और ज्योतिषीय योग – Kundli Mein Bhut Pret Dosha Ka Rahasya
- Why Two Panchangs Show Different Dates? एक ही दिन, दो अलग तिथियाँ! जानिए पंचांगों में समयांतर का रहस्य
- सटीक कुण्डली कैसे पहचानें | How to Verify Accurate Horoscope Step by Step in Vedic Astrology
- मेलापक के अपवाद – Graha Melapak Exceptions in Jyotish Shastra | विवाह में कुंडली मिलान कब आवश्यक नहीं
- Banking Career Astrology: Kundli Mein Bank Naukri Ke Shubh Yog (बैंकिंग सेवा योग)
- घातक रोगों से मुक्ति के वैदिक उपाय और कार्तिक मास का महत्व | Surya Upasana & Kartik Maas Significance
- दिशाशूल विचार
- ज्योतिष का कैंसर से संबंध
- शनि ग्रह परिचय तथा शनि मन्त्र प्रयोग
- सनातन धर्म में 108 का महत्व ?
- जानिए क्या हैं रुद्राक्ष धारण करने के लाभ ? रुद्राक्ष कैसे धारण करें ?
- कुंडली में कैसे बनता है कर्ज योग, कैसे मिलेगी मुक्ति, जानें ज्योतिषीय उपाय ?
- शनि का राशि परिवर्तन 17 जनवरी जाने किस राशि पर क्या पड़ेगा प्रभाव
- आइए जानते है कौन-कौन से ग्रहों की युति क्या-क्या फल देती है
- पिप्पलाद मुनि द्वारा किए गए स्तोत्र का जप ११ बार करने से उन लोगों पर जो न शनि की साढ़ेसाती और न ही उनकी ढैया के प्रभाव में होते हैं कोई विशेष संकट नहीं आते?
- पुरुष और स्त्रियों के विवाह मैं विलंब का कारण और निवारण । जन्मकुण्डली में सातवें भाव का अर्थ । सातवां भाव और पति पत्नी ।जानिए की शादी तय होकर भी क्यों टूट जाती है ?तलाक क्यों हो जाता है ?मधुर वैवाहिक जीवन का योग ।
- जानिए व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं ?
- दिशाशूल और उसके परिहार
- अक्षय तृतीया पौराणिक महात्म्य एवं शीघ्र विवाह और धन प्राप्ति के लिए शुभ उपाय
- शनि की शान्ति का अचूक उपाय
- गुमशुदा व्यक्ति/वस्तु का ज्ञान ज्योतिष द्वारा
- चन्द्रमा ग्रह शान्ति मंत्र, जप, कवच और स्तोत्र पाठ
- मंगल ग्रह शान्ति मंत्र, जप, कवच और स्तोत्र पाठ
- बुध ग्रह शान्ति मंत्र, जप, कवच और स्तोत्र पाठ
- बृहस्पति ग्रह शान्ति मंत्र, जप, कवच और स्तोत्र पाठ
- शुक्र ग्रह शान्ति मंत्र, जप, कवच और स्तोत्र पाठ
- शनि मंत्र शान्ति मंत्र, जप, कवच और स्तोत्र पाठ
- राहु ग्रह शान्ति मंत्र, जप, कवच और स्तोत्र पाठ
- केतु मंत्र शान्ति मंत्र, जप, कवच और स्तोत्र पाठ
- शिव वास विचार
- कुंडली से जानें दुर्घटना का पूर्व समय
- मंगल दोष के कुछ प्रभावी एवं लाभकारी उपाय
- 'एक आंख वाले कौवे' और भारतीय शकुन-शास्त्र
- दिन के आठ प्रहर कौन से हैं ?
- उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु आवश्यक कारक ग्रह
- शनिवार को घर मे नही लानी चाहिए निम्नलिखित दस चीजें
- शनि ग्रह की साढेसाती या महादशा विचार
- काल पुरुष की कुंडली में शनि
- ज्योतिष में व्यक्ति के कर्म और भाग्य
- महादशा विचार
- ग्रह व उनसे संबंधित बीमारी व उपाय
- रुद्राक्ष धारण विधि
- रुद्राक्ष और राशि का सम्बन्ध
- राशियों का परिचय
- राशियों के अनुसार रत्नों का विस्तृत वर्णन
- रुद्राक्ष और राशि का संबंध
- बीज और क्षेत्र: संतान प्राप्ति में ज्योतिषीय दृष्टिकोण
- ज्योतिष: सरकारी नौकरी और सूर्य ग्रह
क्या आप किसी विशेष सूर्य ग्रहण की जानकारी चाहते हैं?

